जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बायसारन घाटी में मंगलवार को एक दर्दनाक आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय लोग भी शामिल थे। इस हमले की ज़िम्मेदारी ‘द रेज़िस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है, जो पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक प्रॉक्सी ग्रुप है।
बायसारन घाटी, जिसे "मिनी स्विट्ज़रलैंड" भी कहा जाता है, अपने हरे-भरे मैदानों, ऊंचे देवदार के पेड़ों और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के लिए मशहूर है। हर साल यहां हज़ारों पर्यटक आते हैं। लेकिन मंगलवार को यह खूबसूरत इलाका खून से रंग गया, जब हथियारबंद आतंकियों ने अचानक वहां मौजूद पर्यटकों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।
घटना के चश्मदीदों ने बताया कि आतंकी पास के एरिया से अचानक से आए और सीधे पर्यटकों को निशाना बनाकर गोलीबारी शुरू कर दिया। उस समय लोग खाने-पीने के स्टॉल पर कुछ खा रहे थे या घास पर बैठकर पिकनिक मना रहे थे।
एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि ‘गोलियां चलते हुए देखकर चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। लोग चिल्ला रहे थे और जान बचाकर भाग रहे थे। हमें कुछ समझ नहीं आया जब तक लोगों को गिरते नहीं देखा।’
TRF ने ली जिम्मेदारी
हमले के तुरंत बाद TRF ने सोशल मीडिया पर ज़िम्मेदारी लेते हुए एक बयान जारी किया। उसने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब तक 85,000 से ज़्यादा डोमिसाइल (स्थायी निवासी प्रमाणपत्र) गैर-स्थानीय लोगों को दिए गए हैं जो कि एक साजिश है जिसके तहत ‘डेमोग्राफी में बदलाव’ किया जा रहा है।
TRF ने कहा, ‘ये बाहरी लोग पर्यटक बनकर आते हैं, डोमिसाइल लेते हैं और फिर ज़मीन के मालिक बनकर बैठ जाते हैं। ऐसे में जो भी ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से बसने की कोशिश करेगा, उसे हिंसा का सामना करना पड़ेगा।’ एक्सपर्ट्स का मानना है कि TRF का ऐसा बयान युवाओं को गुमराह करने और क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की कोशिश है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे श्रीनगर
इस हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार शाम को श्रीनगर पहुंचे। उन्होंने एयरपोर्ट से सीधे राजभवन जाकर उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। बुधवार को वह पहलगाम भी जाएंगे और पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात करेंगे।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इस बर्बर हमले के पीछे जो भी हैं, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता है।’
TRF: लश्कर का नया चेहरा
‘’द रेजिस्टेंस फ्रंट’ की शुरुआत 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुई थी। भारतीय एजेंसियों के अनुसार, यह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक दूसरा नाम है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से सहयोग मिलता है।
TRF पिछले कई सालों से घाटी में आम नागरिकों, सुरक्षाबलों और राजनीतिक नेताओं पर हमलों में शामिल रहा है। जनवरी 2023 में भारत सरकार ने TRF को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादी संगठन घोषित किया।
TRF का एक प्रमुख कमांडर शेख सज्जाद गुल भी UAPA के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है, और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उस पर इनाम रखा है। TRF सोशल मीडिया के ज़रिए युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर ले जाने, हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी और आतंकियों की घुसपैठ जैसे कार्यों में लिप्त रहा है।
डर का माहौल पैदा करने की कोशिश
हमले का समय भी काफी मायने रखता है क्योंकि हाल के महीनों में कश्मीर में पर्यटन और निवेश में बढ़ोतरी देखी गई है। माना जा रहा है कि TRF का उद्देश्य इस हमले से डर का माहौल पैदा करना, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना है।
सेना के रिटायर्ड अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल अतहर हसनैन के मुताबिक, ‘यह हमला सिर्फ मासूम लोगों पर नहीं किया गया है, बल्कि कश्मीर में शांति और विकास की कोशिशों पर किया गया है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले पर दुख जताया और आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही।