भारतीय वायुसेना के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने हाल ही में डिफेंस प्रोजेक्ट में देरी को लेकर चिंता जताई। उन्होंने 29 मई को सीआईआई वार्षिक बिजनेस समिट 2025 में कहा कि एक भी प्रोजेक्ट ऐसा नहीं है, जो समय पर पूरा हुआ हो और सवाल उठाया कि हम ऐसा वादा क्यों करते हैं, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता। उन्होंने खास तौर पर तेजस1 ए फाइटर जेट्स की डिलीवरी में देरी का जिक्र किया, जिसका कॉनट्रेक्ट 2021 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ 48 हजार करोड़ रुपये में हुआ था लेकिन मार्च 2024 से शुरू होने वाली डिलीवरी अभी तक शुरू नहीं हुई।
भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से डिफेंस प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर समय-समय पर चिंता जताई जाती रही है। यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी वायुसेना प्रमुख ने डिफेंस प्रोजेक्ट्स की धीमी प्रगति और खरीद-डिलीवरी प्रक्रियाओं की सुस्त रफ्तार पर अपनी राय दी हो। पूर्व एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया से लेकर बी. एस. धनोआ तक, कई टॉप वायुसेना अधिकारी इस मुद्दे पर खुलकर अपनी असहमति और चिंता व्यक्त कर चुके हैं। उनका कहना रहा है कि भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमताओं को समय पर अपडेट करने के लिए रक्षा खरीद और आपूर्ति प्रक्रिया का अधिक पारदर्शी, तेज और प्रभावी होना बेहद जरूरी है।
इन वरिष्ठ अधिकारियों ने न सिर्फ मौजूदा व्यवस्था की खामियों की ओर इशारा किया, बल्कि रक्षा मंत्रालय और सरकार से आग्रह भी किया कि रणनीतिक परियोजनाओं को अनावश्यक देरी से बचाते हुए तय समय सीमा में पूरा किया जाए। तो आइए जानते हैं, कब-कब और किन वायुसेना प्रमुखों ने डिफेंस प्रोजेक्ट्स में देरी को लेकर क्या कहा?
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एयर चीफ मार्शल नॉर्मन अनिल कुमार ब्राउन (सेवानिवृत्त, 2011-2013)
ब्राउन ने अपने कार्यकाल में रक्षा खरीद प्रक्रिया की कॉम्प्लिकेशन और देरी पर चिंता जताई, खासकर मीडियम मल्टी रोल लड़ाकू विमान (MMRCA) सौदे में, जो बाद में राफेल कॉन्ट्रैक्ट बना। उन्होंने बार-बार कहा कि देरी से वायुसेना की आधुनिकीकरण योजनाएं पटरी से उतर रही हैं और स्वदेशी उत्पादन की गति को तेज करने की जरूरत है।
एयर चीफ मार्शल अरुप राहा (सेवानिवृत्त, 2013-2016)
राहा ने अपने कार्यकाल में स्वदेशी परियोजनाओं, विशेष रूप से तेजस लड़ाकू विमान में देरी को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्क्वाड्रन की कमी और पुराने विमानों (जैसे मिग-21) पर निर्भरता को हाइलाइट किया, जो वायुसेना की युद्ध क्षमता को प्रभावित कर रही थी। उन्होंने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया, यह संकेत देते हुए कि देरी से राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता है।
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एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ (सेवानिवृत्त 2016-2019)
अपने कार्यकाल के दौरान, धनोआ ने लड़ाकू स्क्वाड्रन की घटती संख्या (42 के स्वीकृत स्तर के मुकाबले 33-35) और रक्षा खरीद में देरी पर चिंता जताई। 2019 में, बलाकोट हवाई हमले के बाद, उन्होंने तेजस और अन्य स्वदेशी प्लेटफार्मों की डिलीवरी में देरी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इससे परिचालन तत्परता प्रभावित होती है। उन्होंने राफेल सौदे की धीमी प्रगति पर भी टिप्पणी की, जो उस समय विवादों में थी।
एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया (सेवानिवृत्त, 2019-2021)
भदौरिया ने अपने कार्यकाल के दौरान और बाद में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने तेजस कार्यक्रम में देरी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की उत्पादन क्षमता को लेकर चिंताओं का उल्लेख किया, खासकर जब IAF को लड़ाकू स्क्वाड्रन की कमी का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि, उनके बयान मौजूदा चीफ एपी सिंह जितने तीखे नहीं थे।
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रक्षा खरीद में देरी
तेजस एलसीए (LCA) Mk-1A प्रोजेक्ट
स्थिति: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा तेजस Mk-1A हल्के लड़ाकू विमान की आपूर्ति में देरी के कारण, HAL का 2025 की चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ 8% घटकर 3,977 करोड़ रह गया।
INS विक्रांत (स्वदेशी विमानवाहक पोत)
निर्माण प्रारंभ: 2009
आवश्यक डिलीवरी: 2016
वास्तविक कमीशनिंग: सितंबर 2022
देरी के कारण: रूसी उपकरणों की आपूर्ति में विलंब, COVID-19 महामारी के प्रभाव, और अन्य तकनीकी समस्याएं।
शाची-क्लास ऑफशोर पेट्रोल वेसल (OPV)
अनुबंध वर्ष: 2010
अनुबंध मूल्य: 2,500 करोड़
स्थिति: निर्माण में 9 वर्षों की देरी के बाद 2020 में परियोजना रद्द कर दी गई।