आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर केंद्र सरकार 'संविधान हत्या दिवस' मना रही है। इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक दो मिनट के मौन के बाद शुरू हुई। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आपातकाल से लड़ने वाले लोगों के बलिदानों का याद करने का संकल्प लिया गया। मंत्रिमंडल ने संविधान की हत्या की कोशिश को असफल करने वाले योद्धाओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया। कैबिनेट ने कहा कि संविधान पर हमला 1974 में नवनिर्माण आंदोलन और संपूर्ण क्रांति अभियान को कुचलने के प्रयास के साथ ही शुरू हो गया था।
कैबिनेट बैठक के बाद सरकार ने बताया, 'आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गणतंत्र के इन सभी वीरों के अद्वितीय साहस और बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि के लिए 2 मिनट मौन रखा गया। यह श्रद्धांजलि उन सभी नागरिकों के लिए भी है, जिनके संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए और जिन्हें अकल्पनीय यातनाओं का सामना करना पड़ा।'
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आपातकाल में संविधान को कुचलने का प्रयास
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'साल 2025 संविधान हत्या दिवस' की 50वीं वर्षगांठ है। यह भारतीय इतिहास का एक अविस्मरणीय अध्याय था। आपातकाल में संविधान को कुचलने का प्रयास किया गया, भारत की लोकतांत्रिक भावना पर हमला किया गया और संघवाद को नष्ट किया गया। मौलिक अधिकार, मानवीय स्वतंत्रता और गरिमा को भी खत्म किया गया।'
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लोकतंत्र के सेनानियों से सीखने की अपील
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं से आपातकाल के लोकतंत्र सेनानियों से सीखने की अपील की और कहा कि इन वीरों ने तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध किया और हमारे संविधान व लोकतांत्रिक भावना की रक्षा की। कैबिनेट ने आगे कहा कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण, सुरक्षा और रक्षा का मूर्तरूप है। मंत्रिमंडल ने आह्वान किया कि एक राष्ट्र के रूप में हम अपने संविधान और उसकी लोकतांत्रिक व संघीय भावना को बनाए रखने के संकल्प को और मजबूत करें।