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10 में से 1 टीचर 'नाकाबिल'; कहानी भारत के एजुकेशन सिस्टम की

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर के एक सरकारी स्कूल के टीचर का वीडियो आया है, जिसमें वे गलत स्पेलिंग लिख रहे हैं। ऐसे में जानते हैं कि भारत का एजुकेशन सिस्टम कैसा है?

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को जिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है, उनका मानना था कि देश का भविष्य बच्चों के हाथ में है और उनको बेहतर इंसान बनाने में शिक्षकों का बड़ा योगदान है।

 

मगर क्या हो कि जब शिक्षक ही ऐसा हो जो खुद ही पढ़ना-लिखना न जानता हो? कुछ ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से सामने आया है, जहां एक सरकारी स्कूल के टीचर 'Eleven' और 'Nineteen' की स्पेलिंग भी नहीं लिख पा रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि गलत स्पेलिंग लिखने के बावजूद वह टीचर आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। ब्लैकबोर्ड पर गलत स्पेलिंग लिखते हुए उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है

'हां, हां यह सही है'

ब्लैकबोर्ड पर गलत स्पेलिंग लिखते हुए टीचर का वीडियो वायरल हो रहा है। टीचर से जब कहा गया कि वह 'Eleven' की स्पेलिंग लिखकर दिखाए तो उन्होंने 'aivene' लिख दिया। जब कहा गया कि 'Nineteen' की स्पेलिंग लिखो तो उन्होंने इसे 'ninithin' लिख दिया।

 

 

और तो और, जब उनसे पूछा गया कि क्या यह सही स्पेलिंग है? तो उन्होंने भरपूर आत्मविश्वास के साथ कहा- 'हां, हां यही सही है।' मतलब एक तो गलत स्पेलिंग लिखी और ऊपर से गलती का अहसास भी नहीं हुआ।

मगर यह इकलौते टीचर नहीं हैं!

ऐसा बताया जा रहा है कि बलरामपुर के सरकारी स्कूल में यह टीचर पांच साल से पढ़ा रहे हैं। उसके बावजूद इन्हें आसान अंग्रेजी की स्पेलिंग भी नहीं आती।

 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकारी स्कूल के टीचर का इस तरह का वीडियो सामने आया है। पिछले साल भी बलरामपुर के ही एक सरकारी स्कूल के टीचर का वीडियो सामने आया था, जिसमें वह बच्चों को 'संडे-मंडे' की गलत स्पेलिंग के साथ पढ़ाते दिख रहे थे। उन्होंने 'Monday' की स्पेलिंग 'Mndea' और 'Tuesday' की स्पेलिंग 'Tusdea' लिखी थी। उन्होंने हर दिन की स्पेलिंग लिखी थी।

 

 

यह तो वह चंद मामले हैं जो सामने आ जाते हैं लेकिन हमारे देश में बहुत से ऐसे टीचर हैं, जो पढ़ा तो रहे हैं लेकिन उनके पास पढ़ाने की योग्यता ही नहीं है। मसलन, पहली से 5वीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन में कम से कम 50-55% के साथ-साथ B.Ed या M.Ed जरूरी है। हालांकि, सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि देशभर में लगभग 10 फीसदी टीचर हैं, जो क्वालिफाइड नहीं हैं।

 

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टीचर और क्वालिफिकेशन

शिक्षा मंत्रालय की UDISE+ की 2023-24 की रिपोर्ट बताती है कि क्लास 1 से 5वीं तक पढ़ाने वाले 88.2% टीचर ही क्वालिफाइड हैं। इसका मतलब हुआ कि 11.8% टीचर ऐसे हैं, जिनके पास कोई क्वालिफिकेशन नहीं है।

 

इसी तरह 6वीं से 8वीं तक पढ़ाने वाले 11%, 9वीं और 10वीं को पढ़ाने वाले 9.3% और 11वीं-12वीं को पढ़ाने वाले 11% टीचर्स के पास वह मिनिमम क्वालिफिकेशन नहीं है, जो जरूरी है। इस हिसाब से देखा जाए तो हर 10 में से 1 टीचर पढ़ाने के काबिल नहीं है।

 

UDISE+ की रिपोर्ट बताती है कि देशभर के सभी स्कूलों में 98 लाख से ज्यादा टीचर हैं। इनमें से लगभग 32 हजार टीचर ऐसे हैं, जिन्होंने खुद 10वीं तक पढ़ाई नहीं की है।

 

हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से लगभग 1,600 टीचर ऐसे हैं जो खुद तो 10वीं तक भी नहीं पढ़े लेकिन 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को भी पढ़ाते हैं। इतना ही नहीं, देशभर में 12,047 टीचर ऐसे हैं जो खुद 12वीं तक पढ़े हैं और 9वीं से 12वीं क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं।

 

रिपोर्ट बताती है कि 2023-24 तक देशभर के 98.07 लाख टीचर्स में से 85.05 लाख ही ऐसे थे, जिन्होंने ग्रेजुएशन या इससे आगे की पढ़ाई की थी। यानी कुल टीचर्स में से 87% ही ग्रेजुएट या उससे ज्यादा पढ़े-लिखे थे।

 

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हैरान करने वाले कुछ आंकड़े ये भी!

पिछले साल जनवरी में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (TISS) की एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई थी। इसमें सामने आया था कि देशभर के स्कूलों में अंग्रेजी, गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले 41% टीचर्स क्वालिफाइड नहीं हैं।

 

इतना ही नहीं, UDISE+ की रिपोर्ट बताती है कि 2023-24 तक देशभर में 1.10 लाख स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक ही टीचर हैं। इन स्कूलों में करीब 40 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इसके अलावा, करीब 32 हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां टीचर हैं तो लेकिन एक भी स्टूडेंट नहीं है।

 

वैसे तो 2011 की जनगणना के मुताबिक, 78 करोड़ से ज्यादा भारतीय साक्षर हैं लेकिन इनमें से 40 करोड़ ऐसे हैं जो अपना नाम भी ठीक से पढ़-लिख नहीं पाती। इसका मतलब हुआ कि आधी आबादी सिर्फ कहने को पढ़ी-लिखी है।

 

इसके अलावा, भारत में 24.80 करोड़ छात्र हैं। इनके लिए 98.60 लाख टीचर हैं। इस हिसाब से औसतन हर 25 छात्र पर एक शिक्षक है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत, प्राइमरी स्कूल में 30 और अपर प्राइमरी लेवल पर हर 35 छात्र पर 1 शिक्षक होना चाहिए। वहीं, सेकंडरी लेवल पर हर 30 छात्रों पर 1 शिक्षक जरूरी है। UDISE+ का डेटा बताता है कि प्राइमरी (1 से 5) लेवल पर हर 21 छात्रों पर 1 शिक्षक है। वहीं, अपर प्राइमरी (6 से 8) लेवल पर हर 18 छात्रों पर 1 शिक्षक है। इसी तरह सेकंडरी (9 से 10) लेवल पर 16 और हायर सेकंडरी (11 से 12) लेवल पर 24 छात्रों पर एक टीचर है।

 

हालांकि, इसके बावजूद चीन और अमेरिका जैसे देशों के आगे भारत थोड़ा पीछे है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अमेरिका में हर 14 और चीन में हर 17 छात्रों पर 1 शिक्षक है।

 

 

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पढ़ाई पर कितना खर्च?

2025-26 के बजट में सरकार ने शिक्षा मंत्रालय के लिए 1.28 लाख करोड़ रुपये का फंड रखा है। 2024-25 की तुलना में यह 13% ज्यादा है। इसमें से स्कूल एजुकेशन के लिए 78,572 करोड़ और हायर एजुकेशन के लिए 50,078 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

 

हालांकि, यह 2025-26 में होने वाले कुल बजट का सिर्फ 2.5% ही है। 2025-26 के लिए केंद्र सरकार ने 50.65 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है। इसमें से सिर्फ 1.28 लाख करोड़ रुपये ही शिक्षा मंत्रालय को मिले हैं। जबकि, 2015-16 में सरकार ने कुल बजट का लगभग 4% शिक्षा के लिए दिया था।

 

2020 में आई नई शिक्षा नीति (NEP) कहती है कि शिक्षा पर GDP का कम से कम 6% खर्च होना चाहिए। हालांकि, अभी देश में शिक्षा पर GDP का 3 से 4 फीसदी ही खर्च हो रहा है।

 

भारत के मुकाबले अमेरिका और चीन अपनी GDP का 6% से ज्यादा शिक्षा पर खर्च करते हैं। जापान तो शिक्षा पर अपनी GDP का लगभग 7.5% शिक्षा पर खर्च करता है।

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