भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से निसार सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। यह नासा और इसरो का संयुक्त प्रोजेक्ट है। सैटेलाइट को जीएसएलवी रॉकेट से सटीक कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो का कहना है कि जीएसएलवी ने निसार को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। सैटेलाइट का वजन 2393 किलोग्राम है। बुधवार की शाम 5:40 बजे इसे लॉन्च किया गया। रॉकेट से अलग होने के बाद वैज्ञानिक उपग्रह को प्रक्षेपित करने का काम शुरू करेंगे।
एस-बैंड रडार प्रणाली, डेटा हैंडलिंग और उच्च गति डाउनलिंक प्रणाली, अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण प्रणाली को राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने विकसित किया है। एल-बैंड रडार प्रणाली, उच्च गति डाउनलिंक प्रणाली, सॉलिड स्टेट रिकॉर्डर, जीपीएस रिसीवर, 12 मीटर रिफ्लेक्टर को उठाने वाले 9 मीटर बूम को नासा ने तैयार किया है।
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निसार इसरो और नासा का यह सबसे उन्नत रडार सिस्टम है। यह सैटेलाइट दुनियाभर के पारिस्थितिक तंत्रों की निगरानी करने में सहायता करेगा। एल बैंड से जंगलों की संरचना की जानकारी मिलेगी। वहीं एस बैंड से फसलों की निगरानी होगी। सैटेलाइट से मिले डेटा से यह जानने में मदद मिलेगी कि कृषि और वन क्षेत्र में कैसे बदलाव आ रहे हैं।
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सैटेलाइट की कमान और संचालन की जिम्मेदारी इसरो के पास है। वहीं नासा कक्षा संचालन और रडार संचालन पर सहायता करेगा। निसार से मिली तस्वीरों को इसरो और नासा शोधकर्ताओं तक पहुंचाएंगे। निसार मिशन का जीवनकाल 5 साल है। यह सैटेलाइट अंटार्कटिका तक कवरेज प्रदान करेगा। निसार की मदद से यह भी जानने को मिलेगा कि पृथ्वी की बर्फ में कैसा बदलाव आ रहा है। सैटेलाइट पृथ्वी और बर्फ की थ्री डाइमेंशनल इमेज प्रदान करेगा। रात हो या दिन, बारिश हो या बादल, हर मौसम में काम करेगा। इसकी मदद से भूकंप की भी जानकारी मिलने में मदद होगी।