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चमोली हादसा: 'ऐसा लगा सब खत्म...,' हिमस्खलन के मजदूरों की आपबीती सुनिए

माणा में हुए हादसे में फंसे ज्यादातर घायलों के सिर, हाथ और पैर में गंभीर चोटें आई हैं। वे मौत की कगार तक पहुंच गए थे।

Uttarakhand Avalanche

हादसा पीड़ितों का ज्योतिर्मठ में इलाज चल रहा है। (Photo Credit: PTI)

जिस कड़ाके की ठंड और बर्फीली वादियों में माणा गांव के लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर गुप्तेश्वर चले गए थे, उसी माणा में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के मजदूर सेना के लिए सड़कें बना रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि वे जल्द ही निर्माण काम पूरा करके वापस लौट आएंगे लेकिन ऐसा नहीं पाया। वे काम रहे थे तभी ग्लेशियर टूटा और वे बर्फ के पहाड़ में दब गए।

माणा गांव के पास कंटेनरों में रह रहे 55 मजदूरों के लिए हादसा सब कुछ खत्म कर देने वाला रहा। उन्हें लगा कि यही कयामत का दिन है। जो मजदूर हादसे में बच गए, वे उसे याद करके रो पड़ते हैं। 

अचानक टूटा ग्लेशियर, दब गए मजदूर
गोपाल जोशी बाहर कंटेनर से निकले ही थे, तभी उन्होंने देखा कि ग्लेशियर टूट रहा है। बर्फ का एक तेज तूफान आया और जिसमें वह दब गए। हिमस्खलन में जिस साइट पर मजदूर काम कर रहे थे, वह पूरी तरह से तबाह हो गया। सारे मजबूद बर्फ की मोटी चादर में फंस गए। किसी का पैर टूटा, किसी की पीठ। 50 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया लेकिन 4 ने दम तोड़ दिया।  

उत्तराखंड में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन। (Photo Credit: PTI)

गोपाल जोशी चमोली जिले के नारायणबागर के रहने वाले हैं। वह एक्सीलेटर मशीन ऑपरेटर हैं। उनकी कंपनी विजय इंफ्रा कंस्ट्रक्शन है। यहीं BRO कैंप में वह काम कर रहे थे। अभी उनका इलाज ज्योतिर्मठ अस्पताल में चल रहा है। उनके साथ 22 अन्य घायल भी भर्ती हैं।

'बर्फ का पहाड़ गिरा, दब गए भाग नहीं सके'
गोपाल जोशी बताते हैं, 'बाहर बर्फ गिर रही थी। सुबह जैसे ही हम 6 बजे कंटेनर से निकले, देखा कि एक बड़ा सा बर्फ का गोला हमारी ओर आ रहा है। मैंने साथियों से कहा कि भागो, मैं भी वहां से भाग निकला। ऐसा लगा सब खत्म हो गया। वहां पहले ही कई फीट बर्फ जमी थी, हम तेजी से भाग नहीं सकते थे। दो घंटे बाद भारत-तिब्बत पुलिस के जवान हमारे रेस्क्यू के लिए आ पाए।'

किसकी से सिर में चोट किसी के पैर में
हादसे में घायल लोगों को शनिवार को ही ज्योतिर्मठ में भर्ती कराया गया है। सेना के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। उनके सिर और पर चोटें थीं और जख्म था। कई मजदूर गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं, कई की हालत खराब है।

'बचने पर ऐसा लगा कि दूसरा जन्म हो गया'
विपिन कुमार बताते हैं कि वह करीब 15 मिनट तक बर्फ में ही दबे रहे। वह बर्फ से तब बाहर निकल पाए जब हिमस्खलन रहा। उन्होंने कहा कि यह उनके दूसरे जन्म की तरह था।

'चोटी से टूटकर गिरने लगी बर्फ'
मनोज भंडारी भी हादसे के वक्त वहीं थे। उन्होंने कहा, 'जब मैं उठा तो चोटी से बर्फ का पहाड़ गिरता हुआ नजर आया। मैंने शोर मचाना शुरू किया, खुद को बचाने के लिए पास में खड़ी लोडर मशीन के पीछे भागा। वहीं फंस गया।'

खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू में आ रही हैं दिक्कतें। (Photo Credit: PTI)

बद्रीनाथ की ओर भागे कई मजदूर
पंजाब के अमृतसर जिले के रहने वाले जगबीर सिंह बताते हैं कि जब उन्होंने देखा कि पहाड़ी बर्फ का तेज गोला उनकी ओर आ रहा है, तब वे बद्रीनाथ की ओर भागने लगे। जिन लोगों को वहां से रेस्क्यू किया गया है, ज्यादातर के सिर में चोटें हैं, किसी के हाथ में तो किसी के पैर में। गंभीर रूप से घायल लोगों को AIIMS ऋषिकेश भेजा गया है। 

हादसे के वक्त कहां थे मजदूर?
माणा गांव में सड़क के पास ही कंटेनर लगे थे। वहीं के 5 कंटेनरों में लोग रहते थे। रोड साइट पर यूपी, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और कश्मीर के 55 मजदूर थे। इस हादसे में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है। 

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