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अरावली में बुलडोजर ऐक्शन को महापंचायत से रोक पाएगा अनंगपुर?

हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अनंगपुर गांव में बुलडोजर ऐक्शन के बाद से दहशत का माहौल है और अब एक बड़ी महापंचायत की तैयारियां चल रही हैं। 

demolition at anangpur

अनंगपुर में तोड़े गए हैं घर, Photo Credit: Khabargaon

देश की राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास यानी राष्ट्रपति भवन से लगभग 28 किलोमीटर दूर हरियाणा का एक गांव है अनंगपुर। यहां राष्ट्रपति भवन का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि यह गांव उसी अरावली पहाड़ी पर बसा है, जिस पर राष्ट्रपति भवन बना है। सोमवार, 7 जुलाई की दोपहर को अनंगपुर गांव की चौपाल पर जुटे लोगों की संख्या आम दिनों की तुलना में ज्यादा थी। एक दिन पहले हुई पंचायत के बाद टेंट समेटे जा रहे हैं लेकिन वहां जुटे युवा और बुजुर्ग अपनी भावनाएं खुलकर जाहिर कर रहे हैं। 1 जुलाई को इसी गांव के कुछ घरों को बुलडोजर से तोड़ दिए जाने का मुद्दा धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। फरीदाबाद के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री किशन पाल गुर्जर आश्वासन दे चुके हैं लेकिन गांव के लोग सबसे ज्यादा उन्हीं से नाराज हैं। चौपाल पर अनंगपाल तोमर की प्रतिमा के सामने खड़े एक बुजुर्ग ने बेहिचक कहा कि बुलडोजर तो किशन पाल के इशारे पर ही चला है। चौपाल पर जुटे लोगों में इस बात का गुस्सा है कि किशन पाल गुर्जर उनकी ही जाति के हैं लेकिन उनका साथ नहीं दे रहे हैं। लोगों का यह भी कहना है कि किशन पाल गुर्जर के भरोसे के बावजूद बुलडोजर चला इसलिए उन पर भरोसा नहीं है।

 

एक दिन पहले यानी 6 जुलाई को इसी चौपाल पर हुई पंचायत में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद अवतार सिंह भडाना, समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश की सरधना सीट से विधायक अतुल प्रधान, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता कपिल गुर्जर और कांग्रेस नेता वीरेंद्र प्रताप सिंह समेत तमाम नेता इकट्ठा हुए थे। इन नेताओं ने इसी मंच से कहा कि अगर गांव के लोगों को निशाना बनाया जाएगा तो गुर्जर समाज उसके खिलाफ डटकर लड़ेगा। 6 जुलाई की इस पंचायत के बाद अगली बड़ी पंचायत 13 जुलाई को सूरजकंड में होनी है और इसकी तैयारियां चल रही हैं। गांव के कुछ लोगों ने खबरगांव से बातचीत में आशंका जताई कि 13 जुलाई की महापंचायत को रोकने के लिए भी तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं। 

 

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दरअसल, हरियाणा के फरीदाबाद जिले में आने वाला यह अनंगपुर गांव बुलडोजर ऐक्शन की वजह से चर्चा में है। सोशल मीडिया पर इस गांव के लोगों और गुर्जर समाज के तमाम नेताओं के बयानों से भरे वीडियो तैर रहे हैं। मामला है अनंगपुर गांव में अवैध निर्माण पर चल रहे बुलडोजर का। बुलडोजर तो कई हफ्तों से चल रहे हैं लेकिन इस कार्रवाई में बड़ा हंगामा उस वक्त हुआ जब 3 जुलाई को वन विभाग और फरीदाबाद नगर निगम की टीम ने राजबीर भडाना और उनके भाइयों के घर पर बुलडोजर चलवा दिया। तब से ही राजबीर भडाना के घर आने-जाने वालों का तांता लगा हुआ है और अब यह मामला गुर्जर समुदाय की अस्मिता का बताया जा रहा है।

 

अनंगपुर गांव की चौपाल
अनंगपुर गांव की चौपाल पर जुटे लोग, Photo Credit: Khabargaon

 

 

7 जुलाई की दोपहर में जब खबरगांव की टीम अनंगपुर गांव की चौपाल से राजबीर भडाना के घर की ओर बढ़ी तो रास्ते में दर्जनों गाड़ियां लौटती दिखीं। इनमें से ज्यादातर गाड़ियां नेताओं की थीं और उन पर संगठन के हिसाब से नाम लिखे थे और झंडे लगे थे। इसके बारे में गांव के ही एक बुजुर्ग ने बताया कि लोगों के लगातार आने की वजह से ही राजबीर के परिवार के कुछ लोग अभी भी वहीं हैं जबकि घर तोड़ दिया गया है।

 

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कोर्ट के आदेशानुसार, लगभग साढ़े 6 हजार अवैध संपत्तियों को तोड़ा जाना है। इनमें बारात घर, फार्म हाउस और अन्य निर्माण शामिल हैं। जून महीने से ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी है और छिटपुट विरोध भी हुआ है। हालांकि, मामला उस वक्त बिगड़ा जब फार्म हाउस और बारात घरों से इतर तीन लोगों के घर तोड़ दिए गए। इस पर खुद राजबीर भडाना खबरगांव से कहते हैं, 'हम ना तो कोई राजनीति करते हैं, ना किसी का कोई विरोध है। लगता है यही गलती हो गई। किशन पाल को तो हमने अपने घर में बिठाकर रोटी खिलाई थी और एक चुनाव में 1.5 लाख रुपये का सम्मान भी किया था (चंदा दिया था)। लगता है वहीं गलती कर दी।'

सांसद पर क्यों आरोप लगा रहा पीड़ित परिवार?

 

7 जुलाई को अपने टूटे घर के हॉल में अपने घर से जुड़े कागज लिए बैठे जयबीर भडाना कहते हैं, 'पहले यह लकड़ियों का मकान था, समय के साथ हमने इसे बेहतर बनाया। हम तीन भाई हैं, ये हम तीनों के ही मकान हैं। सब कुछ किशन पाल की वजह से हो रहा है। हमें अधिकारियों ने ही बताया कि किशन पाल तुम्हारे मकान तुड़वा रहा है, उनसे मिल लो लेकिन हमने इनकार कर दिया। हमारे पास सारे कागज हैं, साल 1939-40 के डॉक्यूमेंट हैं। बिजली के बिल हैं, अंग्रेजों के जमाने के कागज हैं।'

 

जयबीर भडाना ने दिखाए पुराने कागज, Photo Credit: Khabargaon

 

 

इस बारे में हमने फरीदाबाद के सांसद किशन पाल गुर्जर और विधायक धनेश अदलखा से भी संपर्क करने की कोशिश की। हालांकि, दोनों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। अगर हमें जवाब मिलता है तो खबर अपडेट की जाएगी।

 

जयबीर ने खबरगांव को साल 1981 के बिजली के मीटर से जुड़ा कागज, साल 1976-77 के हाउस टैक्स का कागज और कई अन्य पुराने दस्तावेज भी दिखाए। इन कागजों के आधार पर ही यह परिवार दावा करता है कि उनका घर जायज है और उसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बुलडोजर ऐक्शन से पहले कागज दिखाने की कोशिश भी की गई लेकिन अधिकारियों ने एक न सुनी। 

 

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उन्होंने आगे कहा, 'पुलिसवालों ने हमारी बहू के बाल पकड़कर खींचे, कोई महिला पुलिस नहीं थी। जो लोग थे, उन्होंने कई सामान जेब में डाल लिए। ऐसे आए थे, जैसे लुटेरे हों।' जिस दिन बुल्डोजर ऐक्शन हुआ था, उस दिन प्रशासन की टीम और जेसीबी मशीनों पर पथराव भी हुआ था। पथराव करने के आरोप में ही पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया था। इसमें खुद राजबीर भडाना भी शामिल थे। बाद में ये सभी लोग जमानत पर छूटकर घर आ गए। पत्थरबाजी के आरोपों पर जयबीर ने कहा, 'पत्थर चलाने वाले लोग उनके ही थे। उन्होंने पत्थर चलाए और भाग गए। फिर लाठीचार्ज हम पर कर दिया। वह तो वीडियो बना लिया गया और वायरल हो गया, वरना तो किसी को कुछ पता भी नहीं चलता।'

 

अनंगपुर गांव में तोड़ा गया जयबीर भडाना, Photo Credit: Khabargaon

 

 

इस बारे में हमने जयबीर भडाना से पूछा कि आखिर उनके परिवार की किससे दुश्मनी है? इस पर जयबीर भडाना कहते हैं, 'हमें लगता है कि एक वजह यह होगी कि चुनाव में हमारे गांव ने कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह का समर्थन किया। हमारे भाई साहब गांववालों के साथ चले जाते होंगे। अब अगर चले गए तो कोई गुनाह तो नहीं कर दिया।' जयबीर की बात का समर्थन करते हुए गांव के ही बुजुर्ग संजय कहते हैं, 'किशन पाल गुर्जर बैंसला हैं और महेंद्र प्रताप भडाना हैं, हमारे गांव ने भडाना होने के नाते महेंद्र प्रताप का खुला समर्थन किया था लेकिन वोट दोनों को लगभग बराबर ही मिले। इसके बावजूद हमसे जैसे बदला लिया जा रहा है। जब बुलडोजर चला तब भी हमने कागज दिखाने की कोशिश की। बाद में डीसी के दफ्तर गए लेकिन घंटों बैठे रहने के बावजूद हमारे कागज ही नहीं देखे।'

अब तक क्या-क्या हुआ?

 

कोर्ट के आदेशानुसार, नगर निगम और वन विभाग की कार्रवाई में अभी तक अनंगपुर समेत कई गांवों में बने सैकड़ों फार्म हाउस और बारात घर तोड़े जा चुके हैं। गांव के ही पुराने चौपाल पर मिले आदर्श बताते हैं कि चार स्टेप में सभी इमारतों को तोड़ा जाएगा और पूरे अरावली को खाली कराने का प्लान है। कई लोगों ने दबे मन से यह भी कहा कि अगर उजाड़ना ही है तो कुछ विकल्प तो दिया जाना चाहिए। हालांकि, मौजूदा समय में लोगों का रुख यह है कि राजनीतिक और सामाजिक दबाव बनाया जाए और इस तरह से गांव को उड़ने ही न दिया जाए।

 

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जून के दूसरे हफ्ते से फरीदाबाद में शुरू हुआ अतिक्रमण विरोधी अभी तक जारी है। अनंगपुर से पहले अनखीर और मेवला महाराजपुर में भी कार्रवाई हो चुकी है। अधिकारियों के मुताबिक, इन तीन गांवों के अलावा, बड़खल, लक्कड़पुर, पाली, भांखरी, धौज, मांगर, मोहत्तबादा, गोठड़ा, खोरी जमालुपर, कोट, सिरोही और सिलाखड़ी में भी सैकड़ों अवैध निर्माण ऐसे हैं जो अवैध रूप से वन भूमि पर बने हुए हैं। इनमें से कई फार्म हाउस नेताओं, बड़े अधिकारियों और कारोबारियों के भी हैं, जिन्हें तोड़ा जा चुका है।

क्या चाहते हैं अनंगपुर के लोग?

 

अनंगपुर गांव के गेट पर एक बड़ा सा बोर्ड लगा है। इस बोर्ड पर लिखा है, 'जन आंदोलन, सरकार हमारा प्रथम लाल डोरा स्थापित करे: गांव अनंगपुर।' इसी तरह गांव की चौपाल पर लगे बोर्ड पर लिखा है, 'गांव अनंगपुर अंतिम लाल डोरा स्थापित सन् 1939 में (अंग्रेजी शासनकाल में)'; ये दो बोर्ड यह बता रहे हैं कि गांव वालों की पहली मांग तो यही है कि लाल डोरा स्थापित किया जाए और गांव के लोगों की रिहायशी जमीन पक्की कर दी जाए।

 

दूसरी मांग यह है कि बुलडोजर ऐक्शन पर तुरंत रोक लगे और इस तरह से लोगों को उजाड़ा न जाए। रामबीर भडाना के घर पर मौजूद एक शख्स कहते हैं, 'एक-एक बारात घर से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है। कोई साफ-सफाई करता है, कोई खाना बनाता है, कोई दूसरे काम करता है, अगर ऐसे ही सारे बारात घर तोड़ दिए तो ये लोग काम के लिए कहां जाएंगे?' हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ये बैंक्वेट हॉल वनभूमि पर बने हैं तो प्रशासन इन्हें हटाए और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट दे।

 

अब इस गांव के लोगों और गुर्जर समाज की तैयारी 13 जुलाई की महापंचायत की है। बताया जा रहा है कि इस पंचायत में दमखम दिखाने की पूरी कोशिश होगी और न सिर्फ गुर्जर समाज के लोगों को बल्कि 36 बिरादरी को बुलाया जाएगा। गांव के लोगों का यह भी कहना है कि अगर इस महापंचायत से बात नहीं बनी तो दिल्ली कूच की तैयारी की जाएगी। अनंगपुर गांव के लोग और गुर्जर समाज से जुड़े वकील कानूनी विकल्प भी तलाश रहे हैं। हालांकि, इसको लेकर भी सब एकमत नहीं हैं क्योंकि कई लोगों का मानना है कि वे कानूनी लड़ाई पहले ही हार चुके हैं।

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