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'कल्पना नहीं की थी कि जज कानून बनाएंगे...', SC के फैसले पर भड़के धनखड़

कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर पेंडिंग पड़े बिल पर राज्यपाल या राष्ट्रपति फैसला नहीं लेते हैं तो इसे अपने-आप पास मान लिया जाएगा। अब जगदीप धनखड़ ने इस पर सख्त नाराजगी जाहिर की है।

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, File Photo Credit: PTI

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने किसी बिल पर राज्यपाल या राष्ट्रपति के निर्णय लेने की समय सीमा निर्धारित कर दी थी। अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस फैसले पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे और कार्यपालिका का काम खुद संभालकर एक 'सुपर संसद' की तरह काम करेंगे। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार यह निर्धारित कर दिया था कि राष्ट्रपति को राज्यपाल के पास विचार के लिए सुरक्षित रखे गए विधेयकों की सूचना मिलने से 3 महीने के अंदर फैसला लेना होगा। जगदीप धनखड़ ने यह तक कहा कि न्यायपालिका को यह अधिकार नहीं है कि वह राष्ट्रपति को निर्देश दे।

 

उन्होंने कहा कि संविधान ने न्यायपालिका को शक्ति दी है कि वह कानून की व्याख्या कर सके लेकिन उसे यह शक्ति नहीं मिली है कि वह राष्ट्रपति को ही निर्देश दे दे। बता दें कि 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु से संबंधित एक केस में सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर राज्यपाल किसी बिल को पेंडिंग रखते हैं तो राष्ट्रपति को इस पर 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा। दरअसल, तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कई बिल काफी समय से पेंडिंग रखे थे। इसी के चलते तमिनलाडु सरकार ने न्यायपालिका से हस्तक्षेप की अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बरस पड़े धनखड़

 

अब इसके बारे में जगदीप धनखड़ ने कहा है, 'हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा। यह कोई समीक्षा दायर करने या न करने का सवाल नहीं है। हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र का सौदा नहीं किया था। राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए कहा जा रहा है और अगर ऐसा नहीं होता है तो संबंधित विधेयक अपने-आप कानून बन जाता है।' राज्यसभा के ट्रेनी के एक ग्रुप को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे पास ऐसे जज हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका का कार्य स्वयं संभालेंगे, जो ‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता।'

 

 

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धनखड़ ने कहा कि उनकी चिंताएं बहुत उच्च स्तर पर हैं और उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि उन्हें यह सब देखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा कि भारत में राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है और राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण एवं बचाव की शपथ लेते हैं जबकि मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसदों और न्यायाधीशों सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे कहा, 'हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। इसके लिए पांच या उससे अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता होती है...।’

 

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न्यायपालिका को आड़े हाथ लेते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके। दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर कैश पाए जाने के मामले का जिक्र करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा, 'राष्ट्रपति और राज्यपाल को मुकदमों के खिलाफ संरक्षण मिला है है, यह संरक्षण आम जनता और यहां तक कि जज तक को नहीं मिलता।'

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