विवाद... विरोध... और हंगामे के बाद आखिरकार वक्फ (संशोधन) बिल संसद से पास हो ही गया। लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 288 और राज्यसभा में 128 वोट पड़े। बिल पास होने से पहले दोनों सदनों में 12-12 घंटे से ज्यादा चर्चा भी हुई। विपक्ष ने इसे 'असंवैधानिक' बताया, जबकि सरकार ने तर्क दिया कि इससे अल्पसंख्यकों को फायदा होगा।
केंद्र सरकार का तर्क है कि इस बिल के कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को भी फायदा होगा। राज्यसभा में जब बिल पर चर्चा हो रही थी, तभी बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर मुस्लिम महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का आरोप लगाया।
दरअसल, नए बिल में 'वक्फ अल औलाद' में एक अहम बदलाव किया गया है। इससे अब मुस्लिम महिलाओं को उनका हिस्सा देना होगा। अब अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ में दान देना चाहता है तो पहले उसे महिला उत्तराधिकार को उसका हिस्सा देना होगा।
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वक्फ अल औलाद का मतलब क्या?
इस्लाम को मानने वाला कोई व्यक्ति जब अपनी किसी संपत्ति को इस्लामिक काम के लिए दान करता है तो उसे 'वक्फ' कहा जाता है। वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है- 'ठहरना'।
इसी तरह 'वक्फ अल औलाद' का मतलब होता है 'परिवार के लिए वक्फ' करना। जब कोई मुस्लिम व्यक्ति इस मकसद से संपत्ति को वक्फ करता है कि उसकी कमाई का कुछ हिस्सा उसके परिवार के सदस्यों को भी मिले तो इसे 'वक्फ अल औलाद' कहा जाता है।
इसे ऐसे समझिए कि कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी जमीन मस्जिद के लिए वक्फ करता है लेकिन साथ ही यह भी तय करता है कि इससे होने वाली कमाई का कुछ हिस्सा उसके परिवार को भी दे दिया जाए तो इसका मतलब हुआ कि उसने 'वक्फ अल औलाद' किया है। इससे होता यह है कि उनके वंशजों को जिंदा रहने तक कमाई का कुछ हिस्सा मिलता रहेगा। हालांकि, वंशजों का इंतकाल होने के बाद पूरी संपत्ति फिर वक्फ बोर्ड के पास चली जाती है।
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नए बिल से क्या बदल जाएगा?
अब तक वक्फ अल औलाद का फायदा सिर्फ पुरुष वंशजों को मिलता था लेकिन अब इसमें महिलाओं को भी शामिल किया गया है। वक्फ अल औलाद से विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों को भी वक्फ से होने वाली कमाई में हिस्सा मिलेगा।
इतना ही नहीं, अब अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ करता है तो उसे पहले महिला उत्तराधिकारों को उनका हिस्सा देना होगा। अब तक ऐसा नहीं होता था। अब तक कोई मुस्लिम व्यक्ति महिला उत्तराधिकारों का हिस्सा दरकिनार कर सारी संपत्ति वक्फ के लिए दान कर देता था।
इसे ऐसे समझिए कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी 10 लाख की जमीन को वक्फ के लिए देना चाहता है तो पहले उसमें से महिला उत्तराधिकारों को उनका हिस्सा देना होगा।