वाकिफ, मुतवल्ली... अमित शाह ने जो अरबी में बोला उनके मतलब क्या हैं?
देश
• NEW DELHI 03 Apr 2025, (अपडेटेड 03 Apr 2025, 2:34 PM IST)
लोकसभा में बुधवार को वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने 'वाकिफ' और 'मुतवल्ली' जैसे शब्दों का जिक्र भी किया। ऐसे में जानते हैं कि आखिर इनका मतलब क्या है?

लोकसभा में अमित शाह। (Photo Credit: Sansad TV)
वक्फ... वाकिफ... मुतवल्ली... वक्फ बाय यूजर... ये कुछ ऐसे शब्द हैं जो चर्चा में बने हुए हैं। वजह है वक्फ (संशोधन) बिल। इस बिल में सरकार ने 'वक्फ बाय यूजर' का प्रावधान हटा दिया है। जब गुरुवार को लोकसभा में इस पर चर्चा हुई तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'वाकिफ' और 'मुतवल्ली' शब्द का जिक्र भी किया। अमित शाह का वह वीडियो भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय है जिसमें वह बार-बार कह रहे हैं कि वक्फ में कोई गैर-मुस्लिम शख्स नहीं आएगा। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस मामले में विपक्ष पूरी तरह से झूठ फैला रहा है।
अमित शाह ने कहा, 'पहले तो वक्फ में कोई गैर-इस्लामिक सदस्य आएगा ही नहीं। न मुतवल्ली गैर-इस्लामिक होगा और न वाकिफ गैर-इस्लामिक होगा। जो धार्मिक संस्थाओं का संचालन करते हैं, उसमें कोई गैर-मुस्लिम व्यक्ति को रखने का प्रावधान किया भी नहीं है और हम करना भी नहीं चाहते।'
'अश्वत्थामा मारा गया'
मगर अमित शाह ने ऐसा क्यों कहा? उन्होंने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि वक्फ बिल में प्रावधान किया गया है कि अब वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम और दो महिला सदस्यों को भी नियुक्त किया जाएगा।
विपक्ष का यही कहना था कि मुस्लिम संस्थाओं में गैर-मुस्लिमों को रखा जाएगा। अमित शाह ने इसी पर सवाल दिया था। हालांकि, अमित शाह ने इसे लेकर जो कहा, वह महाभारत की 'अश्वत्थामा मारा गया' वाली कहानी जैसा ही था।
कौरवों की तरफ से लड़ रहे गुरु द्रोणाचार्य को मारने के लिए पांडवों ने 'अश्वत्थामा मारा गया' वाली बात फैला दी थी। असल में जिस अश्वत्थामा को मारा गया था, वह हाथी था। अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के बेटे का नाम भी था। गुरु द्रोण को लगा कि उनका बेटा अश्वत्थामा मारा गया है। उन्हें शस्त्र त्याग दिए और पांडवों ने उन्हें मार दिया। इस तरह पांडवों ने न तो झूठ बोला और न ही अश्वत्थामा को मारा लेकिन उन्होंने गुरु द्रोण को मारकर अपना उद्देश्य जरूर पूरा कर लिया।
#WATCH | #WaqfAmendmentBill | Union Home Minister Amit Shah says, "...Waqf Act and Board came into effect in 1995. All the arguments about the inclusion of non-Muslims inclusion are about interference in the Waqf. First of all, no non-Muslim would come into the Waqf. Understand… pic.twitter.com/osPN7YKoGI
— ANI (@ANI) April 2, 2025
अब अमित शाह ने 'गैर-मुस्लिम' न होने की जो बात कही, वह असल में 'वाकिफ' और 'मुतवल्ली' को लेकर थी। उन्होंने वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को नियुक्त किए जाने पर सफाई नहीं दी। अमित शाह ने अपनी बात बस दूसरे अंदाज में रखी।
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मगर ये वाकिफ और मुतवल्ली हैं क्या?
जब कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह या मजहब के नाम पर दान में दे देता है तो उसे 'वक्फ' कहा जाता है। वक्फ असल में एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है 'ठहरना'।
मुसलमान मानते हैं कि वक्फ की संपत्ति को न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है। वक्फ की संपत्ति का मालिक सिर्फ अल्लाह होता है।
कुल मिलाकर ऐसी संपत्ति जिसे अल्लाह के नाम पर दान किया गया हो, उसे 'वक्फ' कहा जाता है। जो व्यक्ति संपत्ति दान करता है उसे 'वाकिफ' कहा जाता है। वहीं, ऐसी संपत्ति के प्रबंधन से जुड़ा सारा कामकाज जिसके हाथ में होता है, उसे 'मुतवल्ली' कहते हैं।
उदाहरण के तौर पर, अहमद नाम के किसी शख्स ने अपनी जमीन मस्जिद के लिए दान दी। इस जमीन पर बनने वाली मस्जिद की देखभाल और कामकाज संभालने की जिम्मेदारी अपने भाई हामिद को दे दी। अब इस मामले में अहमद 'वाकिफ' हुए और उनके भाई हामिद 'मुतवल्ली'। वाकिफ हमेशा मुस्लिम ही होता है लेकिन मुतवल्ली का मुस्लिम होना जरूरी नहीं है। कई बार वाकिफ खुद भी मुतवल्ली बन जाते हैं। वक्फ की संपत्ति से जो भी कमाई होती है, उसका कुछ हिस्सा मुतवल्ली वक्फ बोर्ड को देते हैं।
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ये शब्द आए कहां से?
वक्फ का जिक्र इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद के समय से ही मिलता है। ऐसा माना जाता है कि 629 ईस्वी में हजरत उमर ने एक जंग में सऊदी अरब के खैबर में एक जमीन हासिल की। उन्होंने पैगंबर से पूछा कि इस जमीन का क्या किया जाए? तो पैगंबर ने हजरत उमर से जमीन को 'रोकने' की बात कही और कहा कि इससे होने वाले फायदों को लोगों के काम पर लगाओ। यहीं से वक्फ की शुरुआत हुई, जो एक अरबी शब्द है।
भारत में 12वीं सदी में मुहम्मद गौरी ने जब हमला किया तो उसने 'दिल्ली सल्तनत' की स्थापना की। इसके साथ ही भारत में इस्लामिक शासन शुरू हुआ। माना जाता है कि मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए मुहम्मद गौरी ने दो गांव में दान दिए थे। इसे ही भारत में वक्फ के पहले उदाहरण के तौर पर माना जाता है।
वक्फ की तरह ही 'वाकिफ' और 'मुतवल्ली' भी अरब शब्द हैं। 'वाकिफ' शब्द तो वक्फ से ही निकला है। जबकि, 'मुतवल्ली' शब्द अरबी भाषा के 'तवली' शब्द से आया है। तवली का मतलब 'जिम्मेदारी लेना' होता है। चूंकि, वक्फ की संपत्ति का कामकाज और प्रबंधन संभालना एक जिम्मेदारी है, इसलिए इसे 'मुतवल्ली' कहा जाता है।
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अब बात 'वक्फ बाय यूजर' की
'वक्फ बाय यूजर' असल में कानूनी टर्म है। अब तक होता यह था कि अगर कई सालों तक कोई संपत्ति मस्जिद, मदरसे या किसी भी इस्लामिक काम के लिए इस्तेमाल होती थी तो उसे वक्फ की संपत्ति मान लिया जाता था। इसके लिए वक्फ के वैध दस्तावेज का होना जरूरी नहीं था। अगर कहीं जगह पर कई सालों से मस्जिद बनी है तो वह वक्फ की संपत्ति ही होगी।
नए बिल में 'वक्फ बाय यूजर' के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है। इसका मतलब हुआ कि अब अगर किसी जमीन पर सालों मस्जिद, मदरसा, दरगाह या कोई इस्लामिक इमारत बनी है तो वह वक्फ की जमीन तभी मानी जाएगी, जब उसके वैध कानूनी दस्तावेज होंगे। अगर कानूनी दस्तावेज नहीं है तो उसे वक्फ की संपत्ति नहीं माना जाएगा।
इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी जमीन पर दशकों से कोई मस्जिद, मदरसा, दरगाह, कब्रिस्तान या कोई भी इस्लामिक इमारत बनी है तो उसे वक्फ की संपत्ति मान लिया जाता था, फिर चाहे उस जमीन को वक्फ किया भी न गया हो। मगर अब अगर इस जमीन के कानूनी दस्तावेज नहीं हैं तो यह वक्फ की संपत्ति नहीं होगी।
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