सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली की 30 मई को गुरुग्राम में गिरफ्तारी के पीछे पुलिस शिकायत करने वाले व्यक्ति को खुद कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।1 जून से फरार वजाहत खान को कई नोटिसों को नजरअंदाज करने के बाद छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया।
खान के खिलाफ कोलकाता के गोल्फ ग्रीन पुलिस स्टेशन में एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है। FIR के बाद, पुलिस ने उसके गार्डन रीच निवास पर तीन नोटिस भेजे, जिसमें उसे पूछताछ के लिए पेश होने का निर्देश दिया गया। हालांकि, खान फरार रहे जब तक कि उनकी गिरफ्तारी नहीं हो गई।
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शर्मिष्ठा पनोली की हुई थी गिरफ्तारी
शर्मिष्ठा पनोली को 30 मई की रात को उनके द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो के चलते कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। वीडियो में, पनोली पर आरोप है कि उन्होंने वीडियो में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और ऑपरेशन सिंदूर पर चुप्पी साधने के लिए मुस्लिम बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की आलोचना की थी। इसके बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। वीडियो को बाद में हटा दिया गया, और पनोली ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी।
पनोली की गिरफ्तारी के बाद वजाहत खान का अता-पता नहीं था और उनके पिता सादात खान ने मीडिया को बताया कि वजाहत घर नहीं लौटा है और परिवार को धमकी भरे फोन कॉल मिल रहे हैं। इस बीच, श्री राम स्वाभिमान परिषद द्वारा वजाहत खान के खिलाफ कोलकाता पुलिस में एक औपचारिक शिकायत भी दर्ज की गई।
2 जून की तारीख वाली और गार्डन रीच पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को संबोधित शिकायत में खान पर हिंदू देवताओं, धार्मिक परंपराओं और समुदाय पर निशाना साधने के लिए अपमानजनक, भड़काऊ और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया।
किया था अभद्र भाषा का इस्तेमाल
पत्र में आरोप लगाया गया था कि खान ने हिंदुओं को 'रेपिस्ट कल्चर' और 'यूरिन ड्रिंकर्स' जैसे शब्दों से संबोधित किया और उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की कई धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की गई थी।
इस बीच, पनोली को ऑपरेशन सिंदूर पोस्ट मामले में अंतरिम जमानत दे दी गई है। जमानत की शर्तों के तहत, उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति के बिना उनके देश छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। उन्हें 10,000 रुपये की राशि जमा कराने का भी निर्देश दिया गया।
कोर्ट ने पहले अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है और यह किसी को भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की अनुमति नहीं देती।