भारत के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में राहुल गांधी से लेकर पीएम मोदी तक कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने जिला अदालतों में खाली पड़ी वैकेंसी पर भी बात की।
चंद्रचूड़ ने कहा कि राहुल गांधी ने न्यायपालिका का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका कानूनों की स्क्रूटिनी या जांच के लिए है न कि विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए।
उन्होंने कहा कि, 'मैं इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष से बात नहीं करना चाहता, हम लोग इस पर बात करने के लिए यहां नहीं हैं। लेकिन मैं यह बात जरूर कहना चाहूंगा कि लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि ज्युडिशियरी विपक्ष की भूमिका निभाएगी। कई बार यह गलतफहमी हो जाती है कि न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए है, लेकिन यह सच नहीं है। हम लोग कानून की स्क्रूटिनी करने के लिए हैं।'
आगे उन्होंने कहा कि हम लोग इस बात कि जांच करने के लिए हैं कि एक्जीक्यूटिव के द्वारा उठाए गए कदम कानून सम्मत हैं या नहीं। राजनीतिक विपक्ष के लिए एक अलग जगह है।
बता दें कि राहुल गांधी ने पहले कहा था, 'हम लोग मीडिया, जांच एजेंसी और ज्युडिशियरी तीनों का काम कर रहे हैं। यही भारत का सच है।'
कोई पार्टी नहीं फैसला करेगी कि किस पर सुनवाई करें
इसके अलावा इस पॉडकास्ट में उन्होंने यह भी कहा कि कोई पार्टी इस बात का फैसला नहीं करेगी कि सुप्रीम कोर्ट किस मामले पर सुनवाई करे।
दरअसल, उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) के उस आरोप का जवाब देते हुए कहा था जिसमें पार्टी की तरफ से बयान आया था कि विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला न देकर चंद्रचूड़ ने राजनेताओं के मन से डर को खत्म कर दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद राउत ने आरोप लगाते हुए कहा था कि 'इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।'
पीएम मोदी से मिलने के मुद्दे पर क्या कहा
उनके आवास पर गणपति पूजा में पीएम मोदी के शामिल होने पर जो विवाद पैदा हुआ था, उसका भी जवाब उन्होंने दिया। चंद्रचूड़ ने कहा कि कई ऐसे मौके होते हैं जब हम राजनेताओं से मिलते हैं। जैसे संविधान के कुछ प्रावधानों के मुताबिक कई ऐसी कमेटी होती हैं जिसमें नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री के साथ बैठक होती है। अब जिन बातों पर चर्चा करनी होती है, उन पर हम चर्चा करते हैं, फैसले करते हैं।
फैसले के बाद जाहिर है कि हम इंसान हैं तो साथ चाय भी पीते हैं। इस दौरान हम क्रिकेट से लेकर बहुत से टॉपिक पर बात करते हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई 'नई' बात नहीं है और पहले भी प्रधानमंत्री जजों के घर कई सामाजिक मौकों पर जाते रहे हैं।
जिला अदालतों में हैं कम जज
बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जिला अदालतों में जितनी जरूरत है, हमारे पास उतने जज नहीं हैं जिसकी वजह से आने वाले मामलों की सुनवाई तेज़ी से नहीं पा रही है। इसलिए सबसे पहले आपको जनसंख्या की तुलना में जज के अनुपात को बेहतर करना होगा।
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'पूरे साल हम बहुत सारे संवैधानिक मुद्दों के साथ डील करते हैं, 9 जजों, 7 जजों, 5 जजों की बेंच फैसले देती है। क्या कोई पार्टी इस बात का फैसला करेगी कि सु्प्रीम कोर्ट किस फैसले पर सुनवाई करेगा।'