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क्या है TRF, जिसे USA ने माना आतंकी; इसका असर क्या होगा?

टीआरएफ को अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। मगर इस कदम से क्या होगा, यह भी जान लेते हैं।

Donald Trump.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। (Photo Credit: X/@realDonaldTrump)

लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। पिछले छह साल से यह आतंकी संगठन कश्मीर घाटी में सक्रिय है। कई आतंकी घटनाओं और टारगेट किलिंग को अंजाम दे चुका है। इसका सरगना पाकिस्तान के रावलपिंडी में छिपा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह संगठन वैश्विक तौर पर चर्चा में आया। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर 25 हिंदुओं को हत्या की थी। हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली। अब तीन महीने बाद अमेरिका के विदेश विभाग ने टीआरएफ पर एक्शन लिया है। आइए जानते हैं टीआरएफ क्या है, इसकी स्थापना कब हुई और अमेरिका के एक्शन से क्या होगा?

 

टीआरएफ के गठन के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। वैश्विक मंच पर अपनी जवाबदेही से बचने की खातिर पाकिस्तान ने टीआरएफ का गठन किया औरर जम्मू-कश्मीर में आतंक को बढ़ावा दिया। कश्मीर के रहने वाले एक शख्स को आतंकी संगठन का सरगना बनाया गया। कभी यह सरगना भारत की जेल में बंद था, लेकिन आज आईएसआई के इशारे पर घाटी में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है।

 

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पाकिस्तान ने टीआरएफ क्यों बनाया?

14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकी हमला हुआ। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। उस वक्त पाकिस्तान FATF की ग्रे सूची में था। वह नहीं चाहता था कि जम्मू-कश्मीर में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद अपने नाम से आतंकी घटनाओं को अंजाम दें, क्योंकि इससे पाकिस्तान की वैश्विक मंच पर मुश्किलें बढ़नी तय थी। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पाकिस्तान ने द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ नाम से एक नया संगठन खड़ा किया, ताकि दुनिया को यह दिखाया जा सके कि कश्मीर में आतंकी घटनाओं के पीछे स्थानीय लोग हैं, पाकिस्तान नहीं। 

कौन है टीआरएफ सरगना सज्जाद गुल?

जम्मू-कश्मीर का रहने वाला आतंकी सज्जाद गुल टीआरएफ का सरगना है। वह मौजूदा समय में रावलपिंडी में छिपा है। दिल्ली पुलिस ने उसे पांच किलो आरडीएक्स के साथ निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। इस मामले में उसे और उसके दो अन्य साथियों को 10 साल की सजा हुई थी। सजा काटने और जेल से रिहा होने के बाद सज्जाद 2017 में अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चला गया था। 2019 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सज्जाद को टीआरएफ की कमान सौंपी। उसने बेंगलुरु से एमबीए और केरल से लैब टेक्नीशियन की पढ़ाई की है।

लश्कर का ही नया रूप है टीआरएफ

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि टीआरएफ लश्कर का ही एक नया रूप है। कई आतंकी हमलों के बाद जब सुरक्षा एजेंसियों ने जांच की तो पता चला कि टीआरएफ पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-एक-तैयबा का ही हिस्सा है। इंडियन एक्सप्रेस ने सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया, 'टीआरएफ कश्मीर में अन्य आतंकी संगठनों के साथ मिलकर काम करता है। नाम अलग-अलग होने के बावजूद वह सभी एक हैं। पिछले तीन सालों में कश्मीर टाइगर्स और कश्मीर फाइट जैसे कई संगठन उभरे। इनके नाम अलग-अलग हैं, लेकिन कैडर एक है।' 

 

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अमेरिका के एक्शन के मायने क्या हैं?

अमेरिका द्वारा टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करना भारत की कूटनीतिक जीत है। पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश है कि आतंक के मामले में उसे कोई ढील नहीं मिलेगी। जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'यह एक कूटनीतिक जीत है और पाकिस्तान को मुश्किल में डाल सकती है। जहां तक आतंकवाद का सवाल है तो हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा। पहले भी लश्कर और जैश-ए- मोहम्मद जैसे संगठनों को आतंकी घोषित किया जा चुका है। मगर इसके बावजूद उनके हमले जारी रहे।'

 

अधिकारी का कहना है कि टीआरएफ ने खुद को जम्मू-कश्मीर तक सीमित कर रखा है। ऐसे संगठन जल्द ही अपने नाम बदल लेते हैं। भूमिगत संगठन होने के कारण इनकी संपत्तियों के बारे में भी अधिक जानकारी नहीं है, ताकि उन्हें जब्त किया जा सके। यह भी देखना होगा अमेरिका आगे क्या कदम उठाता है। 

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