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नेताओं की नजरों में खटकते अधिकारी, अब किस हाल में हैं?

अधिकारियों और राजनीतिक दलों के मनमुटाव की खबरें नई नहीं हैं। दुर्गा शक्ति नागपाल का मुद्दा हो या अवनीश अवस्थी का, कुछ अधिकारी सरकारों को खटकते हैं, कुछ विपक्ष को।

Durga Shakti Nagpal and Awanish Kumar Awasthi

प्रदीप कसानी, अशोक खेमका, दुर्गा शक्ति नागपाल और अवनीश कुमार अवस्थी। (Photo Credit: Khabargaon)

किसी भी सूबे में जब सरकारें बदलती हैं तो अधिकारियों का भी तबादला होता है। ऐसा भी देखा गया है कि जिस तेज तर्रार अधिकारी को फील्ड पर होना चाहिए था, सत्तारूढ़ दल के साथ अनबन के बाद उसकी पोस्टिंग सचिवालय में कर दी जाती है, जिसका रवैया सुस्त होता है, उसे कोई अहम विभाग दे दिया जाता है। सरकारें, नीतिगत मतभेद और प्रशासनिक नियंत्रण की वजहों से ऐसा करती रही हैं। हर सरकार के कुछ पसंदीदा अधिकारी होते हैं, जो उनके इशारे पर काम करते हैं, जिसे विपक्ष भ्रष्टाचार का तमगा देता है। उत्तर प्रदेश की सियासत में अधिकारियों के रवैये को लेकर हंगामा बरपा है। अखिलेश यादव को भी ऐसे ही एक पूर्व IAS अधिकारी खटक रहे हैं, जिन्हें वह कभी न भूलने की बात कह रहे हैं। 

अखिलेश यादव और अवनीश अवस्थी की अदावत भी कुछ ऐसी ही है। अखिलेश यादव खुलकर कहते हैं कि टोटी चोरी का पूरा अध्याय अवनीश अवस्थी के इशारे पर लिखा गया है। अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार हैं। वह राज्य के मुख्य सचिव रह चुके हैं। योगी सरका के पसंदीदा अधिकारी रहे हैं। वह योगी सरकार के सबसे मजबूत अधिकारियों में शामिल रहे हैं। अखिलेश यादव हमेशा से उन पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह अपने संवैधानिक दायित्वों से ज्यादा बीजेपी के इशारे पर काम करते हैं। वह विपक्ष के लोगों को मनगढ़ंत मामलों में फंसाते हैं। 

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अखिलेश यादव, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश:-
मैंने कई बार कहा है और एक बार फिर कह रहा हूं कि टोटी चोरी के मामले में एक अखबार ने स्टिंग ऑपरेशन किया था। इस मामले में एक पत्रकार ने पूरी जानकारी हासिल की थी। उसने कहा था कि एक आईएएस अवनीश अवस्थी हैं। दूसरा एक अधिकारी ओएसडी जो भाग गया है। ओएसडी का नाम कौशिक है जिसकी हाईट डस्टबिन के बराबर है। ये जानकारी हमें प्रतिष्ठित अखबार से मिली है। इसलिए ये बात हम लोग भूलने वाले नहीं है। ये बात सरकार भी जान लें और सरकार चलाने वाले भी जान लें। आप हमारे घर को गंगा जल से धुलवाएंगे। ये बात आप लोग भूल सकते हैं, लेकिन हम नहीं भूलने वाले हैं।

एक नजर, अवनीश कुमार अवस्थी के करियर पर

अवनीश कुमार अवस्थी उत्तर प्रदेश कैडर के 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं। वह योगी आदित्यनाथ सरकार के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में शुमार रहे हैं। उन्होंने योगी सरकार में कई प्रमुख भूमिकाएं निभाईं हैं। 1 अगस्त 2019 से 31 अगस्त 2022 तक वह अपर मुख्य सचिव (गृह) रहे हैं। उनकी कानून व्यवस्था, पुलिस और सुरक्षा में मजबूत दखल रही है। वह योगी सरकार के पहले कार्यकाल में सचना विभाग के प्रमुख सचिव रहे। उनके पास यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी का प्रभार रहा, वे CEO रहे। उनके निर्देशन में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाएं पूरी हुईं।

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अवनीश कुमार अवस्थी, सलाहकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

अवनीश कुमार अवस्थी योगी सरकार के भरोसेमंद अधिकारी रहे। साल 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्मंत्री बने, अवनीश अवस्थी को केंद्र से बुलाकर राज्य की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। राम मंदिर निर्माण से लेकर योगी सरकार के प्रशासनिक सुधारों तक में उनकी भूमिका सराही गई। वह साल 2022 में रिटायर हुए तो उन्हें योगी आदित्यनाथ का प्रशासनिक सलाहकार नियुक्त किया गया। उनका कार्यकाल कई बार बढ़ाया गया है। अब वह 28 फरवरी 2026 तक इस पद पर बने रहेंगे। यह उनका चौथा सेवा विस्तार है।

  • विवाद क्या रहे?
    अखिलेश यादव मानते हैं कि साल 2018 में अवनीश अवस्थी ने उनके खिलाफ टोटी चोरी का फर्जी मामला बनाकर उनकी छवि धूमिल की है। उनका कहना है कि उन्हीं के इशारे पर मीडिया में ऐसी खबरें छपीं। अवनीश अवस्थी के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव रहने के दौरान भी अखिलेश यादव, उनके प्रशासनिक फैसलों पर सवाल उठाते रहे। उनके सेवा विस्तार पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए।  
  • उपलब्धियां: ऐसा नहीं है कि उनका कद सिर्फ योगी सरकार में ही बढ़ा। वह ललितपुर, बदायूं, आजमगढ़, वाराणसी, फैजाबाद, मेरठ और गोरखपुर के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में सेवाएं दे चुके थे। उन्होंने सितंबर 2005 से जनवरी 2009 तक उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में सेवाएं दीं थीं। विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि इन्होंने मनमाने तरीके से विपक्ष के खिलाफ रणनीति बनाने में राज्य सरकार का साथ दिया है। 
  • मौजूदा नियुक्ति: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार हैं।


एक नजर, दुर्गा शक्ति नागपाल के करियर पर

दुर्गा शक्ति नागपाल, 2009 बैच की IAS अधिकारी हैं। UPSC की परीक्षा में उनकी 20वीं रैंक आई थी। वह छत्तीसगढ़ से हैं। वह पंजाब काडर की अधिकारी रही हैं लेकिन चर्चित IAS अधिकारी रहे अभिषेक सिंह से शादी के बाद उनकी पोस्टिंग यूपी में हुई। वह खनन माफियाओं के खिलाफ कड़े तेवर रखती हैं। 27 जुलाई 2013 को उनकी एक बात तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इतनी नागवार गुजरी कि उन्हें निलंबित कर दिया।

दुर्गाशक्ति तब गौतमबुद्ध नगर में SDM के तौर पर सेवाएं दे रही थीं। उन्होंने सैंड माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। इस कार्रवाई ने स्थानीय माफिया और कुछ नेताओं को नाराज कर दिया था। अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें 'सांप्रदायिक सौहार्द' बिगाड़ने के आरोप में निलंबित कर दिया। आरोप लगे कि उन्होंने एक एक मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने का आदेश जारी कर दिया था। तब विपक्ष ने कहा कि अखिलेश यादव, खनन माफियाओं को बचा रहे हैं। देशभर की मीडिया में अखिलेश सरकार की किरकिरी हुई। केंद्र की दखल के बाद वह एक बार फिर अपने पद पर बाहल हुईं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनात और IAS दुर्गा शक्ति नागपाल। (Photo Credit: Durga Shakti Nagpal/X)
  • विवाद क्या रहे?
    अखिलेश यादव से टकराहट के बाद साल 2024 में एक बार फिर वह विवादों में आईं। योगी सरकार ने उनके खिलाफ लखीमपुर खीरी में जमीन पैमाइश मामले में लापरवाही का नोटिस जारी किया। यह मामला छह साल तक लंबित रहने और घूसखोरी के आरोपों से जुड़ा था। नियुक्ति विभाग ने उनसे और पूर्व DM महेंद्र बहादुर सिंह से स्पष्टीकरण मांगा था।
  • उपलब्धियां: गौतमबुद्ध नगर और कानपुर में जॉइंट मजिस्ट्रेट रह चुकी हैं। मथुरा की मुख्य विकास अधिकारी, स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर (कृषि), विशेष सचिव (चिकित्सा), बांदा जिला मजिस्ट्रेट भी रही हैं।  
  • मौजूदा नियुक्ति: लखीमपुर खीरी की जिला अधिकारी हैं।  

एक नजर, अशोक खेमका के करियर पर

अशोक खेमका 1991 बैच के हरियाणा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। सरकार किसी की हो, अशोक खेमका के तबादले नहीं रुके। वह देश के सबसे चर्चित IAS अधिकारियों में से एक रहे। 33 साल के करियर में 57 तबादले झेल चुके अशोक खेमका, अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कथित तौर पर जुड़े एक जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया था। 

33 साल के करियर में, 7 मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके IAS अधिकारी ने 50 से ज्यादा तबादला हुए हैं। हर सरकार से उनकी टकराहट होती रही। अशोक खेमका मानते हैं कि उन्हें'ईमानदरी' की सजा मिलती रही और कम महत्वपूर्ण पदों पर उन्हें सरकारें नियुक्त करती रहीं।

पूर्व IAS अशोक खेमका। (Photo Credit: Ashok Khemka/X)
  • विवाद क्या रहे?
    अशोक खेमका ने हरियाणा सीड्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में फंगसाइड खरीद और सोनीपत-खरखोदा लैंड केस में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। 2023 में, उन्होंने IAS अधिकारी सज्जन वर्मा पर वाड्रा मामले से जुड़े दस्तावेजों में हेराफेरी का आरोप लगाया। अशोक खेमका को 33 साल के करियर में 57 बार ट्रांसफर किया गया। वे 30 अप्रैल 2025 को परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए।  
  • उपलब्धियां: अशोक खेमका, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (ट्रांसपोर्ट, आर्काइव्स, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी), मैनेजिंग डायरेक्टर (हरियाणा सीड्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन), ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, डायरेक्टर जनरल (लैंड रिकॉर्ड्स, कंसोलिडेशन, आर्काइव्स एंड आर्कियोलॉजी), इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन, प्रिंसिपल सेक्रेटरी (स्पोर्ट्स, सोशल जस्टिस), स्पेशल कलेक्टर (लैंड एक्विजिशन) और स्टाफ सिलेक्शन कमीशन तक में पोस्ट रहे हैं। उनका कहना था कि उन्हें योग्यता से हमेशा कम की पोस्टिंग मिली।
  • मौजूदा नियुक्ति: रिटायर हो चुके हैं। कोई पद नहीं है। 


एक नजर, प्रदीप कासनी के करियर पर

प्रदीप कासनी 1997 बैच के हरियाणा कैडर IAS अधिकारी रहे हैं। उन्होंने 3 दशक के अपने करियर में 60 से ज्यादा तबादले देखे हैं। यह अपने आप में रिकॉर्ड है। वह अपनी ईमानदारी के लिए चर्चित रहे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार और सरकारी अनियमितताओं के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है। 33 साल के करियर में उन्होंने कई मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया, लेकिन उनकी टकराहट हर सरकार से रही।

पूर्व IAS प्रदीप कासनी।
  • विवाद क्या रहे?
    2014 में, हरियाणा प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव के रूप में प्रदीप कासनी ने स्टेट इन्फॉर्मेशन कमिश्नर्स और राइट टू सर्विस कमिश्नर्स की नियुक्तियों में खामियों को उजागर किया। इसके बाद उनका तबादला हो गया था। 2017 में उन्हें हरियाणा लैंड यूज बोर्ड में OSD के रूप में नियुक्त किया गया। सरकार के रिकार्ड में यह पद मौजूद ही नहीं था। वह बिना वेतन के ही रिटायर हुए थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार रही हो या मनोहर लाल खट्टर की, उनके तबादले रुके नहीं थे।
  • उपलब्धियां: प्रदीप कासनी ने आयुक्त (गुड़गांव डिवीजन), सचिव (प्रशासनिक सुधार विभाग), डिप्टी कमिश्नर और कई अहम विभागों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं हैं।
  • मौजूदा नियुक्ति: प्रदीप कासनी 28 फरवरी 2018 को रिटायर हो चुके हैं। वर्तमान में कोई पद नहीं है। वह कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं। अभी कम चर्चा में रहते हैं।


अमिताभ ठाकुर के करियर पर एक नजर

अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के IPS अधिकारी हैं। वह करीब 3 दशक तक अलग-अलग पदों पर रहे। मार्च 2021 में केंद्र सरकार ने उन्हें समय से जबरन रिटायर कर दिया। वह यूपी पुलिस में IG के पद पर थे। केंद्र सरकार ने मना था कि वह अब नौकरी के योग्य नहीं हैं, यूपी सरकार ने मुहर लगा दी थी। मुलायम सरकार में भी वह सस्पेंड हुए थे। उन्हें धमकी दी गई थी। वह इस धमकी के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में तहरीर तक दे बैठे थे। उन्हें निलंबन झेलना पड़ा था। वह तब फिरोजाबाद के एसपी थे। वह मुलायम सिंह के समधी रामवीर सिंह को जसराना में थप्पड़ तक जड़ चुके हैं। साल 2015 में उन्होंने तत्कालीन मंत्री गायत्री प्रजापति पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए थे।

अमिताभ ठाकुर, पूर्व IPS अधिकारी। (Photo Credit: PTI)
  • विवाद क्या रहे?
    अमिताभ ठाकुर ने 2015 में समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर धमकी देने का आरोप लगाया। वह निलंबित हुए। 2016 में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने उनका निलंबन रद्द किया। योगी सरकार से भी उनकी नहीं बनी। 2021 में, एक बलात्कार पीड़िता और उसके सहयोगी की आत्मदाह की घटना में उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। साल 2022 में जमानत मिली।
  • उपलब्धियां: अमिताभ ठाकुर ने 6 से ज्यादा जिलों में पुलिस अधीक्षक की भूमिका निभाई है। वह सिविल डिफेंस में इंस्पेक्टर जनरल और विजिलेंस, एंटी-करप्शन, इंटेलिजेंस जैसे विभागों में रहे हैं। वह पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में अलग-अलग भूमिकाएं निभा चुके हैं। उन्होंने नेशनल RTI फोरम की स्थापना की। पुलिस सुधारों के लिए काम किया। 
  • मौजूदा स्थिति: मार्च 2021 में जबरन रिटायर हुए। किसी सरकारी पद पर नहीं है। उनकी पत्नी, नूतन ठाकुर और साथ मिलकर मिलकर आजाद अधिकार सेना चलाते हैं। राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर सक्रिय हैं।

 

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