वक्फ बिल संसद से पास होने के बीच अब कैथोलिक चर्च की जमीन पर भी बहस छिड़ गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी मैग्जीन (ऑर्गनाइजर) में कैथोलिक चर्चों की संपत्ति पर आए एक आर्टिकल से नया विवाद शुरू हो गया है। आर्टिकल का शीर्षक था, 'भारत में किसके पास ज्यादा जमीन? कैथोलिक चर्च बनाम वक्फ बोर्ड की बहस।' इसमें दावा किया गया है कि कैथोलिक चर्च के पास 7 करोड़ हेक्टेयर जमीन है, जो भारत की कुल भूमि का 20 प्रतिशत से भी ज्यादा होता है। इन आंकड़ों पर विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि, कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) जैसी संस्थाओं ने जमीन का कोई आधिकारिक आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया है। RSS के इस आर्टिकल में दावा किया गया है कि कैथोलिक चर्च के पास इतनी जमीन होने के कारण वे सबसे बड़े गैर-सरकारी जमीन मालिक बन जाते हैं। इस आर्टिकल के सामने आने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संघ और भाजपा की मंशा पर निशाना साधा है।
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वक्फ के बाद अब चर्च की जमीन पर बवाल...
वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पारित हुआ, जिसके बाद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और स्वामित्व को लेकर बहस छिड़ गई। कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया, जबकि सरकार का दावा है कि यह पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। यहां संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पास हुआ तो वहीं, RSS से जुड़े मैग्जीन में चर्च की संपत्तियों पर आर्टिकल पब्लिश हो गए। इनमें दावा किया गया है कि कैथोलिक चर्च के पास भारत में लगभग 7 करोड़ हेक्टेयर जमीन है, जिससे वे सबसे बड़े गैर-सरकारी मालिक बन गए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वक्फ विधेयक पहले मुसलमानों पर हमला करता है लेकिन भविष्य में अन्य समुदायों को भी निशाना बनाया जाएगा। उन्होंने RSS पर चर्च की संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के दौरान कहा कि दक्षिण भारत में कई ईसाई संस्थाओं की जमीनों पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा किया है, जिससे चर्च नाराज हैं। उन्होंने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की जरूरत पर जोर दिया।
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केरल से लेकर तेलंगाना में तनाव
केरल के एर्नाकुलम जिले में वक्फ बोर्ड ने 404 एकड़ जमीन पर दावा किया, जहां कई चर्च और ईसाई परिवार बसे हुए हैं। इससे स्थानीय समुदाय में तनाव बढ़ गया है। वहीं, मध्य प्रदेश के जबलपुर में चर्च की लीज रद्द होने से 150 ईसाई परिवारों पर बेदखली का खतरा मंडराने लगा, जिसे हाई कोर्ट ने फिलहाल रोक दिया है। इसके अलावा तेलंगाना के जनवाड़ा गांव में जमीन विवाद को लेकर हुई झड़प में 21 ईसाई घायल हो गए। बता दें कि चर्च की जमीनों को लेकर चल रहे इन विवादों ने विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ा दिया है।
1927 का 'इंडियन चर्च एक्ट'
इतिहास के पन्नों को पलटने से पता चलता हैं कि कैथोलिक चर्च ने ब्रिटिश शासन के दौरान 1927 के 'इंडियन चर्च एक्ट' के तहत भूमि प्राप्त की थी। इन संपत्तियों का इस्तेमाल अधिकत्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों को चलाने के लिए किया जाता है। चर्च के अधीन हजारों स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और अन्य संस्थान हैं। बता दें कि 1927 का इंडियन चर्च एक्ट एक ऐतिहासिक कानून है जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान पारित किया गया था। इसका पूरा नाम है The Indian Church Act, 1927। यह कानून चर्च ऑफ इंग्लैंड से संबंधित संपत्तियों, अधिकारों को लेकर बनाया गया था, खासकर भारत में ईसाई धर्मगुरुओं और चर्चों की कानूनी मान्यता के लिए यह कानून था।
इस कानून का उद्देश्य यह था कि भारत में चर्च के पास जो जमीन और संपत्तियां थीं, उन्हें एक कानूनी मान्यता दी जाए। यह एक्ट चर्च ऑफ इंग्लैंड की भारत स्थित ब्रांच को कुछ हद तक स्वतंत्र बनाता था, जिससे वह भारत की परिस्थिति के अनुसार काम कर सके। वर्तमान स्थिति की बात करें तो इस कानून का सीधा उपयोग बहुत कम होता है लेकिन इससे जुड़ी चर्च संपत्तियों का रिकॉर्ड इसी के आधार पर तय होता था। ब्रिटिश काल में चर्च को जो जमीनें दी गई, उनका आधार अक्सर इस एक्ट से जुड़ा हुआ होता है। आज भारत में कई मिशनरी स्कूल, अस्पताल और चर्च संस्थाएं इन्हीं ऐतिहासिक जमीनों पर चल रही हैं, जिनकी नींव ब्रिटिश शासन और इसी तरह के एक्ट्स के जरिए रखी गई थी।
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अब क्या हो सकता है आगे?
हो सकता है कि आने वाले समय में सरकार कैथोलिक चर्च, मंदिर ट्रस्ट और अन्य धार्मिक ट्रस्टों के पास मौजूद जमीन का भी रिकॉर्ड सार्वजनिक करने पर विचार करे।