दिल्ली ही नहीं दुनिया के तमाम देशों के शहर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। हाल ही में यूएस ने मैनहट्टन को जाने वाले वाहनों पर कंजेशन टैक्स लगाने पर विचार किया ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। यही नहीं दिल्ली में भी पिछले महीने प्रदूषण पर काबू पाने के लिए इस तरह की मांग उठी थी। हालांकि, इसे लागू नहीं किया जा सका. तो हम आपको बताते हैं कि क्या होता है कंजेशन टैक्स और क्या वास्तव में इसे लागू करने के प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
क्या होता है कंजेशन टैक्स
कंजेशन टैक्स सरकार द्वारा लगाया जाने वाला एक तरह का टैक्स है जो कि किसी खास एरिया में गाड़ियों की आवाजाही और प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए लगाया जाता है।
यह टैक्स आमतौर पर किसी खास टाइम पीरियड के लिए लगाया जाता है जिस वक्त गाड़ियों की आवाजाही ज्यादा होने की संभावना होती है। जैसे सुबह 8 से 10 बजे और इसी तरह से शाम को 5 से 7 या 8 बजे तक।
दुनिया के किन देशों में है यह टैक्स
यह टैक्स आमतौर पर दुनिया के बड़े शहरों में लगाया जाता है क्योंकि वहां पर वाहनों की संख्या काफी होती है। दुनिया के कुछ देश जैसे न्यूयॉर्क, लंदन, मैनहट्टन, सिंगापुर के अलावा यूरोपीय देशों के तमाम शहरों में इस तरह का टैक्स लगाया जाता है।
दिल्ली में कंजेशन टैक्स लगाने की गई थी मांग
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए और दिल्ली की सड़कों पर भीड़भाड़ को करम करने के लिए दिल्ली सरकार से भी पिछले महीने कंजेशन टैक्स लगाने की मांग की गई थी। इसके लिए दिल्ली के अलग-अलग 13 एंट्री प्वाइंट्स पर बैरियर लगाने की मांग की गई थी।
क्या प्रदूषण कम करने में मिलेगी मदद
निश्चित रूप से कंजेशन टैक्स की वजह से अगर कम गाड़िया सड़कों पर होंगी तो प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इस टैक्स की वजह से लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करने की तरफ प्रेरित होंगे या फिर ज्यादा से ज्यादा कारपूलिंग का प्रयोग करेंगे।
भारत में क्या है नियम
दिल्ली में पहले भी कंजेशन टैक्स लगाने की कोशिश की गई लेकिन हर बार इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे पहले साल 2018 में सरकार ने अरविंदो चौक से आईटीओ में प्रवेश करने वाली गाड़ियों पर कंजेशन टैक्स लगाने पर विचार किया था, लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा जा सका। उसके पहले 2009 में तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित ने भी इस तरह का टैक्स लगाने की कोशिश की थी लेकिन वह भी ऐसा नहीं कर सकीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि निवर्तमान मोटर वीकल ऐक्ट में कंजेशन प्राइसिंग के बारे में जिक्र नहीं किया गया है, इसलिए कंजेशन टैक्स लागू करने के लिए नए संवैधानिक प्रावधानों की जरूरत होगी।