'संविधान पन्नों पर लिखा हुआ एक दस्तावेज मात्र नहीं है, बल्कि एक जीवंत दस्तावेज है जो कि देश के साथ-साथ विकसित होता है।' यह कथन है जस्टिस पीएन भगवती का, जिन्होंने एक बार संविधान की व्याख्या करते हुए ये वाक्य कहे थे।
आज 26 नवंबर है और इस दिन संविधान दिवस मनाया जाता है. कारण है कि इस दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को 'आत्मार्पित' या स्वीकार किया था। बाद में इसे 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया था।
आंबेडकर ने की थी अध्यक्षता
संविधान की ड्राफ्ट कमेटी की अध्यक्षता डॉ बीआर आंबेडकर ने की थी। संविधान को बनाने में कुल 2 साल, 11 महीने और 17 दिन लगे थे। संविधान सभा 1946 में बनाई गई थी। इसमें डॉ आंबेडकर, जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल सहित 389 सदस्य थे।
क्या है महत्त्व
इस दिन संविधान में अंतर्निहित न्याय, समानता और भाईचारे व देश की एकता व अखंडता की मूल भावना को सेलिब्रेट किया जाता है. संविधान दिवस लोकतांत्रिक आदर्शों को भी मजबूत करता है, सक्रिय नागरिक भागीदारी और जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करता है। यह सभी नागरिकों के लिए एक प्रगतिशील, समावेशी और समतापूर्ण समाज के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है।
क्या है इतिहास
स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने संविधान के निर्माण के लिए एक ड्राफ्ट कमेटी बनाई जिसके अध्यक्ष डॉ बीआर आंबेडकर थे. वहीं, संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे जो कि बाद में भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
इस ड्राफ्ट को 1948 में पूरा किया गया जिसमें बाद में कुछ संशोधन करके 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया गया। भारत का संविधान दुनिया में लिखित रूप से सबसे बड़ा संविधान है, जिसमें अंग्रेजी वर्जन में 1,17,360 शब्द हैं।
संविधान की प्रस्तावना के मुताबिक भारत एक संप्रभु, समाजवादी, सेक्युलर और लोकतांत्रिक गणराज्य है।
संविधान में कई देशों का है प्रभाव
भारत के संविधान में ब्रिटेन, अमेरिका, आयरलैंड, कनाडा इत्यादि जैसे देशों का प्रभाव है। भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से, नीति निदेशक तत्त्व आयरलैंड से, स्वतंत्रता, समानता फ्रासं के संविधान से, प्रस्तावना अमेरिका के संविधान से लिया गया है।
संविधान से कुछ खास बातें
- संविधान सभा का सिंबल या सील हाथी को चुना गया था।
- डॉ बीएन राव को संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया था।
- संविधान को मूल रूप से हाथ से हिंदी और अंग्रेज़ी में लिखा गया था।
- 26 नवंबर 1949 को पारित करने से पहले इसकी तीन रीडिंग की गई थी।