दिल्ली-एनसीआर सहित देश में सारे बड़े शहर प्रदूषण की चपेट में हैं, ठंड के आने के साथ ही हर साल प्रदूषण पर चर्चाएं शुरू हो जात हैं। लेकिन इस साल दिल्ली में प्रदूषण का स्तर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। माहौल इतना खराब है कि पूरे दिल्ली-एनसीआर में धुंध सा छाया हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने कुछ दिन पहले ग्रेप-3 लागू किया था, लेकिन उसके बाद भी जब प्रदूषण नहीं थमा तो फिर सोमवार से ग्रेप-4 को लागू करने की घोषणा कर दी गई।
लेकिन आखिर GRAP है क्या जिसकी कुछ दिनों से इतनी चर्चा है। आइए समझते हैं।
क्या है ग्रेप (GRAP)
ग्रेप का फुल फॉर्म है 'ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान'। यह एक तरह का ऐक्शन प्लान है जो दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते हुए प्रदूषण को कम करने के लिए लागू किया जाता है। साल 2016 में पहली बार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस योजना को लेकर आया था। फिर 2016 में इसे सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृति मिलने के बाद पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इसे अधिसूचित किया गया।
इसके बाद इस योजना को पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) द्वारा राज्य सरकार के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों के साथ की गई कई बैठकों के बाद तैयार किया गया था।
कब होता है लागू
वायु प्रदूषण को देखते हुए ग्रेप के अलग-अलग स्तरों को प्रयोग किया जाता है। जब वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी यानी एक्यूआई 201 से 300 के बीच होता है तो स्टेज-1 का, जब 'बहुत खराब' श्रेणी यानी एक्यूआई 301-400 के बीच होता है तो स्टेज-2, जब 'गंभीर' कैटेगरी यानी एक्यूआई 402-450 के बीच होता है तो स्टेज-3 का ग्रेप लागू करते हैं और जब वायु प्रदूषण का स्तर 'गंभीर +' की कैटेगरी में यानी कि एक्यूआई 450 से अधिक की श्रेणी वाला होता है तो स्टेज-4 का ग्रेप लागू किया जाता है।
कौन करता है लागू
ग्रेप को लागू करने का फैसला सीएक्यूएम की बैठक में लिया जाता है। इसमें सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, औद्योगिक क्षेत्र प्राधिकरण, नगर निगम, भारतीय मौसम विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी, और स्वास्थ्य सलाहकार शामिल होते हैं।
क्या लगती हैं पाबंदियां
वैसे तो आमतौर पर ग्रेप के अलग-अलग स्टेज के हिसाब से अलग-अलग पाबंदियां लगाई जाती हैं। लेकिन सामान्य तौर पर ग्रेप के लगने पर समयावधि पूरे कर चुके यानी बहुत पुराने हो चुके डीजल और पेट्रोल वाहनों पर रोक लग जाती है। कचरा जलाने यानी कि बायोमास बर्निंग पर रोक लग जाती है। होटल, रेस्तरां अथवा किसी भी स्थान पर कोयला और लकड़ी जलाने व पटाखे के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर रोक लगा दी जाती है।
ग्रेप-4 के तहत लगेंगी कौन सी पाबंदियां

- ज़रूरी सामानों को ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-VI डीजल/इलेक्ट्रिक) से चलने वाले ट्रकों को छोड़कर किसी भी ट्रक को दिल्ली में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
- दिल्ली में रजिस्टर्ड (बीएस-IV या उससे नीचे) डीज़ल से चलने वाले मध्यम या भारी माल वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि, आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाहनों पर छूट रहेगी।
- राज्य सरकार स्कूल, कॉलेज को बंद, गैर-ज़रूरी व्यावसायिक गतिविधियों को सीमित करने और वाहनों के लिए सम-विषम नियम लागू करने का भी फैसला कर सकती है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों, सीएनजी वाहनों और बीएस-VI डीजल वाले वाहनों को छोड़कर दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड हल्के कॉमर्शियल वाहनों पर भी प्रतिबंध होगा।
- वाहनों के लिए ऑड-ईवन को लागू करने का आदेश दिया जा सकता है।
- दिल्ली एनसीआर के कर्मचारियों के 50 फीसदी को घर से काम करने यानी वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा जा सकता है।
- हाईवे, सड़क, फ्लाईओवर और अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं सहित सभी निर्माण गतिविधियों पर अस्थायी रोक रहेगी।