संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी हंगामेदार हो रहा है। इस बीच लोकसभा में कल 'गिलोटिन' लागू किया जाएगा। इससे किसी बिल को बिना चर्चा या बहस के जल्द पास कराने में मदद मिलती है।
बताया जा रहा है कि शुक्रवार को बजट और फाइनेंस बिल लोकसभा में पास होना है। इसमें कोई रुकावट न आए, इसलिए गिलोटिन को लागू किया गया है।
क्या होता है गिलोटिन?
गिलोटिन असल में संसदीय प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल बिना चर्चा के किसी बिल को तेजी से पास कराने के लिए किया जाता है। इसे आमतौर पर तब लागू किया जाता है, जब सरकार किसी बिल को पास कराना चाहती है लेकिन विपक्ष बार-बार इसमें अड़ंगा डाल रहा होता है। गिलोटिन की प्रक्रिया में एक बार में ही बिल के सभी संशोधन और क्लॉज पर वोटिंग कराई जाती है, जिससे बहस और चर्चा में लगने वाला समय कम हो जाता है।
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गिलोटिन का एक मतलब यह भी
गिलोटिन असल में पुराने जमाने में किसी अपराधी को मौत की सजा देने में इस्तेमाल की जाने वाली मशीन को भी कहा जाता है। 18वीं सदी में इसका इस्तेमाल फ्रांस में किया जाता था। यह एक लंबा ढांचा होता है। इसमें एक तेज धार वाला ब्लेड लगी होती है, जो रस्सी से बंधा होती है। जब रस्सी छोड़ी जाती है तो ब्लेड तेजी से नीचे गिरती है, जिससे अपराधी का सिर धड़ से अलग हो जाता है।
इस मशीन को फ्रांसीसी डॉक्टर जोसेफ-इग्नेस गिलोटिन के सुझाव पर किया गया था। उनका मानना था कि मौत की सजा के लिए यह तरीका ज्यादा मानवीय और दर्द रहित तरीका है। इसका इस्तेमाल 1789 से 1799 के बीच फ्रांसीसी क्रांति के दौर में सबसे ज्यादा हुआ था।
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बीजेपी ने जारी किया व्हिप
इस बीच बीजेपी ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को तीन लाइन व्हिप जारी किया है। सभी सांसदों को शुक्रवार को लोकसभा में मौजूद रहने को गया है, ताकि बजट को पास कराया जा सके। यह इसलिए लागू किया जाता है, ताकि विपक्ष के व्यवधान के बावजूद अलग-अलग मंत्रालयों की ग्रांट को बिना चर्चा के पास कराया जा सके।
लोकसभा में बजट का पास होना जरूरी होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को 2025-26 का बजट पेश किया था।
बीजेपी ने व्हिप क्यों किया जारी?
जब भी कोई जरूरी बिल पास करवाना होता है तो राजनीतिक पार्टियां तीन लाइन का व्हिप जारी करती हैं। व्हिप जारी होने पर उस पार्टी के सांसद बंध जाते हैं। सरकार बजट को बिना किसी रोकटोक के जल्द से जल्द पास कराना चाहती है, इसलिए बीजेपी ने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया है। व्हिप जारी होने पर सभी सांसद उस बिल के पक्ष में वोट करने के लिए बंध जाते हैं। साथ ही उन्हें वोटिंग के दौरान सदन में भी मौजूद रहना पड़ता है। अगर कोई भी सांसद व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता खतरे में पड़ जाती है। दल-बदल कानून के तहत उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है।