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कतर में डिटेन हुआ गुजरात का शख्स, इन 5 अधिकारों से मिल सकती है राहत

अगर किसी भारतीय नागरिक को किसी अन्य देश में रोका, हिरासत में लिया या डिटेन किया जाता है, तो उसके पास कुछ महत्वपूर्ण अधिकार होते हैं। जानें क्या होते है वह अधिकार।

rights if you detained in other countries

सांकेतिंक तस्वीर, Photo Credit: AI Generated pic

गुजरात के एक इंजीनियर अमित गुप्ता को कतर के अधिकारियों ने हिरासत में लिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कतर में भारतीय दूतावास को स्थिति की जानकारी है और वह अमित के परिवार, उनके वकील और अधिकारियों के संपर्क में है।

 

हालांकि, अब तक यह नहीं पता चल पाया है कि अमित पर कौन से आरोप लगाए गए है। दरअसल, अमित गुप्ता इंडियन टेक फर्म में काम करते हैं और वह मूल रूप से वडोदरा के रहने वाले हैं। अमित टेक महिंद्रा में काम करने के लिए दस साल पहले कतर चले गए थे।  

 

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अमित के पिता ने लगाई गुहार

अमित के माता-पिता ने बताया कि 1 जनवरी को जब वह खाना खाने के लिए बाहर गया तब उन्हें अज्ञात व्यक्तियों ने उठा लिया था। अब उनका परिवार प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रही है। अमित के  पिता जगदीश गुप्ता ने कहा, 'हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि हमारे बेटे को क्यों हिरासत में लिया गया है या उस पर क्या आरोप हैं। हम ईश्वर और भारत सरकार से उनकी सुरक्षित वापसी की प्रार्थना करते हैं।'

 

अगर भारतीय नागरिक विदेश में डिटेन हुआ तो क्या?

बता दें कि गुप्ता को अपने माता-पिता से हफ्ते में एक बार बात करने की अनुमति है। बता दें कि अगर कोई भारतीय नागरिक विदेश में डिटेन (गिरफ्तार या हिरासत) में लिया जाता है, तो उसे कुछ कानूनी और मानवाधिकार मिलते हैं। यह अधिकार अंतरराष्ट्रीय कानूनों, द्विपक्षीय संधियों और स्थानीय कानूनों पर निर्भर करते हैं। ऐसे में आइये समझते है कि भारतीय नागरिक के क्या अधिकार है जब वह विदेश में डिटेन हो जाता है...

 

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कांसुलर एक्सेस का अधिकार

विएना कंवेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस (1963) के तहत, भारत के दूतावास या वाणिज्य दूतावास को सूचना दी जाती है। इस दौरान भारतीय नागरिक को अपने देश के दूतावास से संपर्क करने और कानूनी सहायता मांगने का अधिकार है। इसके अलावा भारतीय दूतावास कानूनी प्रक्रिया, वकील की व्यवस्था, और परिवार को सूचित करने में मदद करता है।

कानूनी सहायता

गिरफ्तार व्यक्ति को उस देश के कानून के अनुसार कानूनी सहायता लेने का अधिकार होता है। भारत सरकार जरूरत पड़ने पर वकील की व्यवस्था कर सकती है, खासकर अगर मामला गलत तरीके से दर्ज हुआ हो। बता दें कि कुछ देशों में, 'Indian Community Welfare Fund (ICWF)' से कानूनी खर्चों में मदद की जाती है।

 

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परिवार को सूचित करने का अधिकार

व्यक्ति को अपने परिवार या करीबी लोगों को जानकारी देने का अधिकार है। दूतावास व्यक्ति के परिवार को सूचना देता है और कानूनी प्रक्रिया में सहायता करता है। इसके अलावा व्यक्ति को उस देश के कानून के अनुसार निष्पक्ष सुनवाई और उचित कानूनी प्रक्रिया का अधिकार होता है। अमानवीय व्यवहार, यातना, या जबरदस्ती अपराध कबूलने के खिलाफ भी सुरक्षा दी जाती है। 

जमानत का अधिकार

अगर स्थानीय कानून अनुमति देते हैं, तो व्यक्ति जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। कुछ मामलों में, भारतीय दूतावास मदद कर सकता है। इसके अलावा अगर व्यक्ति गलत तरीके से फंसा हो, तो भारत सरकार राजनयिक स्तर पर हस्तक्षेप कर सकती है। वहीं, अगर मामला गंभीर है, तो प्रत्यर्पण संधि के तहत कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

 

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दूतावास से सहायता का अधिकार

दूतावास मेडिकल, कानूनी और पूरी बातचीत की सुविधा देता है। ऐसे में अगर व्यक्ति के पास पासपोर्ट या जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, तो उन्हें नया ट्रैवल डॉक्युमेंट दिया जा सकता है।

क्या करना चाहिए अगर कोई भारतीय विदेश में डिटेन हो जाए?

बिना वजह पुलिस या प्रशासन से उलझने से बचें।

वहां से कानूनी सहायता ली जा सकती है।

परिवार को सूचित करें ताकि वे भारत में विदेश मंत्रालय (MEA) से संपर्क कर सकें।

किसी भी दस्तावेज पर बिना पढ़े हस्ताक्षर न करें क्योंकि कई देशों में यह बड़ा कानूनी जोखिम बन सकता है।

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