logo

ट्रेंडिंग:

पक्ष-विपक्ष से दोस्ती, RSS कनेक्शन, क्या है C P राधाकृष्णन की कहानी?

एक समय पर DMK को एनडीए का हिस्सा बनाने में मदद करने वाले सी पी राधाकृष्णन अब उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। क्या है उनकी कहानी?

c p radhakrishnan

सी पी राधाकृष्णन, Photo Credit: PTI

70 के दशक में पश्चिमी तमिलनाडु में जमीनी संगठन तलाश रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को तिरुप्पुर में 16 साल का एक युवा कार्यकर्ता मिलता है। संगठनात्मक स्तर पर यह युवा ऐसा काम करता है कि जल्द ही वह जनसंघ में अपनी पैठ बनाने लगता है। जिला या संभाग स्तर से ऊपर सीधे राज्य के लेवल पर फैसले लेने लगता है और चंद सालों के करियर में ही उसे जनसंघ की तमिलनाडु राज्य कार्यकारिणी में शामिल कर लिया जाता है। इस युवा नेता के संबंध राज्य के दूसरी पार्टियों से काफी अच्छे होते हैं। जिसका आगे चल कर जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को खूब फायदा मिलता है। 1992 में इसी युवा नेता को बीजेपी का सचिव नियुक्त किया जाता है। आगे चलकर बीजेपी की टिकट पर दो बार कोयंबटूर से सांसद बनाता है और तमिलनाडु की उभरती पार्टी द्रविड मुनेत्र कझगम (DMK) को NDA में शामिल कर केंद्र में सरकार बनाने में मदद करता है। 

 

अपने 40 साल के करियर में इस नेता को कई महत्वपूर्ण पद मिले हैं। बीजेपी स्टेट प्रेसिडेंट से कई राज्यों के राज्यपाल तक। अब मिशन साउथ की मुहिम के तहत बीजेपी इसी शख्स को देश का अगला उपराष्ट्रपति बनाने की तैयारी में है, जिसमें वह लगभग कामयाब होती दिख रही है क्योंकि संख्या बल उसके पास है।

 

यह भी पढ़ें- कौन हैं NDA के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन?

 

यह कहानी बीजेपी के पुराने सिपाही सीपी राधाकृष्णनन की है, जिन्होंने कभी खाकी पैंट पहनकर शाखा लगाई तो कभी तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के साथ सामन्जस्य स्थापित किया। कभी छुआछूत और आतंकवाद के मुद्दे पर रथ यात्रा निकाली तो कभी रामसेतु के मुद्दे पर जोरदार आंदोलन किया। 4 राज्यों के राज्यपाल बने और अब देश के अगले उप राष्ट्रपति बन सकते हैं।

कौन जीत सकता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

 

21 जुलाई 2025, मॉनसून सत्र के पहले ही दिन देश के तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अचानक इस्तीफा दे देते हैं। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए। इस्तीफा मंजूर होता है और अगले उपराष्ट्रपति के चेहरे का मंथन भी शुरू होता है। नियम के मुताबिक पक्ष-विपक्ष अपने-अपने प्रत्याशी खड़े करते हैं लेकिन संख्या बल के हिसाब से पहले ही अंदाजा लग जाता है कि किसका कैंडिडेट यह चुनाव जीतने वाला है। अभी के नंबर गेम से अंदाजा लगाएं तो कुल 782 सीट हैं। जिसमें से NDA के पास 425 हैं। INDIA अलायंस के वजूद पर अभी सशंय है लेकिन पहले के अलायंस के मुताबिक, उनके पास कुल 312 ही सीट है जबकि 45 अन्य हैं। यानी संख्या बल NDA के पास है। ऐसे में NDA के नामित कैंडिडेट का उप-राष्ट्रपति बनना लगभग तय है।

 

17 अगस्त 2025 को दिल्ली के बीजेपी दफ्तर में कार्यकारिणी की बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा जैसे तमाम लीडर्स इस बैठक में मौजूद रहे। और बैठक में सर्वसम्मति से सीपी राधाकृष्णनन को उप-राष्ट्रपति चुनाव में NDA का कैंडिडेट बनाना तय किया गया। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और फैसले का स्वागत भी किया। 

 

यह भी पढ़ें- राहुल गांधी की राजनीतिक यात्राओं से कांग्रेस को क्या हासिल हुआ है?

 

इंडियन एक्स्प्रेस में छपी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि 9 सितंबर को होने वाले उप-राष्ट्रपति चुनाव में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राधाकृष्णनन के प्रचार प्रबंधक होंगे और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू उनके चुनाव एजेंट होंगे। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अगस्त है। इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन कर राधाकृष्णनन के लिए समर्थन मांगा है ताकि र्निविरोध चुनाव जीता जा सके।

 

बैठक के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घोषणा करते हुए कहा, 'हम चाहते हैं कि अगला उपराष्ट्रपति सर्वसम्मिति से चुना जाए। इस संबंध में विपक्ष के नेताओं से भी संपर्क किया गया है।'

सीपी राधाकृष्णन की कहानी

 

4 मई 1957 को पश्चिमी तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे चंद्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन की राजनीति की शुरुआत काफी जल्दी हो गई थी। 16 साल की उम्र में राधाकृष्णन RSS में शामिल हो गए थे और जनसंघ के बाद बीजेपी में लगातार आगे बढ़ते रहे। उन्होंने तूतीकोरिन के चिदंबरम कॉलेज से BBA किया था। कॉलेज टाइम में टेबल टेनिस और लॉन्ग रनिंग के अच्छे एथलीट हुआ करते थे लेकिन राजनीति ने जीवन में सबकुछ बदल दिया।

 

1974 में 17 साल की ही उम्र में उन्हें जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी में शामिल कर लिया गया था। बीजेपी के उदय के बाद राधाकृष्णन तमिलनाडु में बीजेपी के लिए जमीन तलाशने के काम में लग गए। 1992 में ही उन्हें बीजेपी सचिव बना दिया गया था। 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कोयंबटूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और उस समय के राज्य के सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। पश्चिमी तमिलनाडु हमेशा से बीजेपी के लिए एक चुनौतीपूर्ण इलाका रहा था। जहां राधाकृष्णन की जीत और मौजूदगी ने बीजेपी को जमीन तैयार करने में बहुत मदद की।

 

यह भी पढ़ें- योगी सरकार की 'स्कूल पेयरिंग' पॉलिसी पर क्यों उठ रहे हैं सवाल? समझिए

 

राधाकृष्णन के साथ राजनीति कर चुके लोग बताते हैं कि भले ही वह संघ परिवार के वैचारिक ढांचे में पूरी तरह से डूबे हुए एक राजनेता है लेकिन उनकी साफ-सुथरी छवि और उनका कुशल व्यवहार उन्हें सभी पार्टी के लिए एक्सेसबल बनाती है।

 

फरवरी 2023 में जब राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था, तब तमिलनाडु में बीजेपी के मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी DMK के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, राधाकृष्णनन की तुलना अटल बिहारी वाजपेयी से की थी और कहा था कि वह एक गलत पार्टी में सही इंसान है। यानी मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टियों में भी राधाकृष्णनन की कदर है।

 

1999 में जब केन्द्र में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए राज्य स्तरीय पार्टियों के समर्थन की जरूरत थी। तब राधाकृष्णनन का सामन्जस्य बीजेपी के लिए संजीवनी साबित हुआ। राधाकृष्णन ने अपनी कुशल राजनीतिक समझ के दम पर DMK को NDA में शामिल करवाया और केन्द्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आगे चलकर साल 2004 से 2007 तक राधाकृष्णन को तमिलनाडु के लिए बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। साथ ही बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी शामिल रहे।

जमीन पर मेहनत करने वाले नेता

 

रामसेतु आंदोलन हो या फिर तमिलनाडु के नदी जल संकट जैसे ज्वलंत मुद्दे पर 93 दिनों की रथ यात्रा हो। राधाकृष्णन ने हर मोर्चे पर तमिलनाड में बीजेपी संगठन को मजबूत करने काम किया। इंडियन एक्सप्रेस में छपी अरुण जनार्दन की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल बनाकर पार्टी ने उनके लंबे वक्त तक संगठन और RSS के लिए किए गए काम को सम्मानित किया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी ने जुलाई 2024 में राधाकृष्णन को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया। जिसके बाद राज्य में बीजेपी ने पूरे बहुमत से अपनी सरकार बनाई और अब राधाकृष्णन को बीजेपी, उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचाना चाहती है।

 

अगले साल की शुरुआत में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाना बीजेपी के मिशन साउथ का एक बड़ा हिस्सा है। तमिलनाडु की दूसरी पार्टी तक उनकी पहुंच से बीजेपी को उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में AIADMK के साथ भी रिश्ते अच्छे हो सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे 1999 में DMK के साथ हुए थे।

 

राधाकृष्णन की उम्मीदवारी का न सिर्फ तमिलनाडु के नेताओं ने स्वागत किया है बल्कि NDA के घटक दल TDP के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायूड भी इस फैसले से खुश हैं। उन्होंने कहा है कि TDP इसका गर्मजोशी से स्वागत करती है।

 

विपक्ष ने अब तक राधाकृष्णन की उम्मीदवारी का न तो समर्थन किया है और न ही विरोध। हो सकता है विपक्ष जल्द ही अपना कैंडिडेट खड़ा करे। विपक्षी पार्टी RJD से सांसद मनोज कुमार झा ने ट्वीट कर लिखा है,'डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन से सीपी राधाकृष्णन तक पहुंचना, हमारे संसदीय लोकतंत्र की यात्रा को दर्शाता है। समय ही बताएगा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने गए व्यक्ति डॉ. राधाकृष्णन की तहत बनना चाहते हैं या उन लोगों की इच्छा के अनुसार चलना चाहते हैं जिन्होंने उन्हें चुना है।'

कैसी रही है छवि?

 

40 साल से लंबे राजनीतिक करियर में राधाकृष्णन कई महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं। कुछ छोटे मोटे आरोप, जैसे साल 2000 में पुलिस फोटोग्राफर के असाल्ट जैसे मामले से इतर राधाकृष्णन की छवि अब तक साफ सुधरी दिखाई देती है। तमिलनाडु के विपक्षी पार्टियों से भी उनके अच्छे संबंध है। बीजेपी जरूर राधाकृष्णन को मिशन साउथ का बड़े सिपाही के तौर पर देखती है। विपक्ष ने अब तक उनके खिलाफ किसी कैंडिडेट की घोषणा नहीं की है। 21 अगस्त को नामांकन की आखिरी तारीख है। 9 सितंबर को चुनाव होने हैं। संख्या बल में NDA आगे है। यानी राधाकृष्णन का उप राष्ट्रपति बनना लगभग तय है।

Related Topic:#C P Radhakrishnan

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap