तेलंगाना हाई कोर्ट ने भारत राष्ट्र समिति के पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश पर जर्मन नागरिकता के संबंध में तथ्यों को छिपाने का आरोप लगाया है। उन पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर ने के लिए 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी नागरिकता रद्द की थी, अब कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा है।
हाई कोर्ट ने रमेश चेन्नामनेनी को भारतीय नागरिक बनकर चुनाव लड़ने का दोषी पाया है। उन पर दस्तावेजों में जालसाजी के भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हाई कोर्ट ने रमेश को 30 लाख रुपये के जुर्माने में से 25 लाख रुपये वेमुलावाड़ा से कांग्रेस विधायक आदि श्रीनिवास को देने का निर्देश दिया है। श्रीनिवास वही हैं जिन्होंने पहली बार रमेश चन्नामनेनी की भारतीय नागरिकता को चुनौती दी थी।
संविधान भारतीय नागरिकों को दोहरी नागरिकता नहीं देती है। अगर कोई शख्स, किसी दूसरे देश का नागरिक बन रहा है तो उसे यहां की नागरिकता छोड़नी होगी। भारतीय बनने के लिए आवेदन देने से पहले किसी शख्स को कम से कम 12 महीने पहले यहां मौजूद रहना चाहिए। जो लोग भारत के नागरिक नहीं हैं उन्हें चुनाव लड़ने और वोट करने का अधिकार नहीं है।
कौन हैं चेन्नामनेनी रमेश?
रमेश चेन्नामनेनी देश के दिग्गज राजनीतिक परिवारों से आते हैं। वे महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल चौधरी विद्यासागर राव के भतीजे हैं। रमेश के पिता सी राजेश्वर राव एक सीनियर कम्युनिस्ट नेता थे। उन्होंने 5 बार विधायकी का चुनाव जीता था. जीवन के अंतिम दिनों में वे तेलुगु देशम पार्टी में शामिल हो गए थे। रमेशन चेन्नामनेनी की नागरिकता पर अरसे से सवाल उठते रहे हैं। यह मुकदमा कोर्ट में चलता आ रहा है। वह 4 बार विधायक रह चुके हैं।
कैसे नागरिकता विवाद में फंसे रमेश?
चेन्नामनेनी रमेश साल 1990 के दशक में जर्मनी गए थे। उन्होंने 1993 में अपना भारतीय पासपोर्ट लौटा दिया था और जर्मनी की नागरिकता हासिल कर ली थी। साल 2008 में वह भारत लौट आए और नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया। उन्हें कांग्रेस सरकार ने नागरिकता दे दी थी।
रमेश ने अविभाजित आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के उम्मीदवार के तौर पर वेमुलावाड़ा सीट जीती ली। साल 2010 में, वह भारत राष्ट्र समिति (BRS) में गए और चुनाव जीत गए। साल 2014 में तेलंगाना में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और उन्होंने जीत हासिल की। साल 2018 में फिर उन्हें कामयाबी मिली।
साल 2020 में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी थी। साल 2009 में उन्होंने नागरिकता के मानदंडों को कथित तौर पर पूरा नहीं किया था। उनके पास जर्मनी का पासपोर्ट था। अब उनकी नागरिकता छीन ली गई है।