मोनिका कपूर एक भारतीय नागरिक हैं जिन पर भारत में करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप है। मोनिका और उनके दो भाइयों पर यह आरोप है कि इन्होंने ज्वेलरी से जुड़ी ड्यूटी-फ्री लाइसेंस सिस्टम का गलत इस्तेमाल कर भारत सरकार को लगभग $679,000 (करीब 5.6 करोड़ रुपये) का नुकसान पहुंचाया।
साल 1999 में मोनिका भारत छोड़कर अमेरिका चली गईं थीं। तब से वह लगातार भारत से भागी हुई थीं और पिछले 26 सालों से फरार थीं। अब उन्हें भारत वापस लाया जा रहा है। यह कार्रवाई CBI (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) द्वारा की जा रही है और वह आज, 9 जुलाई 2025 की रात, भारत लाई जाएंगी।
प्रत्यर्पण प्रक्रिया में क्या-क्या मुश्किलें आई?
मोनिका कपूर का प्रत्यर्पण आसान नहीं था। संयुक्त राज्य अमेरिका में कानूनी रुकावटों की वजह से यह प्रक्रिया लंबी खिंच गई। 19 मई 2025 को, अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सोनिया सोटोमयोर ने एक अस्थायी रोक (stay) लगाई थी। यह रोक मार्च 26 की उस अपीली अदालत के फैसले पर लगी थी, जिसमें प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई थी।
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सुप्रीम कोर्ट की यह रोक इसलिए लगाई गई ताकि मोनिका की याचिका पर ठीक से विचार किया जा सके। मोनिका ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की, उसमें उन्होंने कहा कि: उन्हें भारत लौटने पर राजनीतिक प्रताड़ना, गिरफ्तारी, यौन हिंसा की धमकी और अमानवीय व्यवहार का डर है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत में अधिकारियों ने जबरन वसूली की कोशिश की थी और मना करने पर उन्हें और उनके परिवार को निशाना बनाया गया था। इसलिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की प्रताड़ना विरोधी संधि (UN Convention Against Torture) के तहत अमेरिका में शरण मांगी थी।
अदालतों के फैसले क्या रहे?
मोनिका कपूर 2010 से अमेरिका में इमिग्रेशन रिमूवल प्रोसीडिंग्स में थीं। एक अमेरिकी मजिस्ट्रेट जज ने माना कि वह भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के अंतर्गत प्रत्यर्पित की जा सकती हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्री ने भी इस प्रत्यर्पण को मंजूरी दी और कहा कि मोनिका के आरोप प्रत्यर्पण को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके खिलाफ मोनिका ने हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की थी, जो कि यह तर्क देती है कि उन्हें गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखा गया है या उनका प्रत्यर्पण गलत है।
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हालांकि अमेरिका की जिला अदालत और बाद में 2nd सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इन अदालतों ने कहा कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के 2001 के एक फैसले के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र की संधियों के आधार पर प्रत्यर्पण को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
मोनिका कपूर का दावा और हकीकत
मोनिका कपूर का कहना है कि उन्होंने भारत से राजनीतिक कारणों से पलायन किया और उन्होंने अपने साथ हुए अन्याय से बचने के लिए अमेरिका में शरण की अर्जी दी थी। उन्होंने बताया कि भारत में उनके साथ गाली-गलौज, धमकी, अवैध हिरासत और यौन हिंसा की कोशिशें की गई थीं। हालांकि, अमेरिकी अदालतों ने पाया कि उनके दावे पुख्ता नहीं पाए और उनके खिलाफ जो आरोप हैं, वह गंभीर आर्थिक अपराध से जुड़े हैं, जिनके लिए भारत को उन्हें प्रत्यर्पित करना जरूरी है।