शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बाहर गोली मारने की कोशिश हुई है। सुखबीर बादल सेवादार के तौर पर अपनी सजा भुगत रहे थे, तभी नारायण सिंह चौरा नाम के एक शख्स ने उनके ऊपर गोलियां बरसाने की कोशिश की। सुखबीर सिंह बादल व्हील चेयर पर बैठे थे, तभी उन पर नारायण चौरा ने गोली दागने की कोशिश की।
सुखबीर बादल को गोली तो नहीं लगी, उनके पास में मौजूद दूसरे सेवादारों ने हमलावर के हाथ से बंदूक छीन ली। बंदूक का खाली कारतूस भी परिसर से ही बरामद हुई है। अगर सेवादार बंदूक नहीं छीनते को सुखबीर बादल को गोली लग सकती थी। नारायण सिंह चौरा ने हमले से पहले सुखबीर सिंह बादल पर कड़ी निगरानी बरती थी।
सुखबीर बादल के पास एक सेवादार ने जैसे देखा कि नारायण चौरा गोली चला रहा है, उसके हाथ को ऊपर की तरफ धकेल दिया, जिससे गोली दीवार में जा लगी और निशाना चूक गया। सुखबीर बादल बाल-बाल बचे हैं। वह मंगलवार को सुखबीर बादल के इर्द-गिर्द मंडरा रहा था।
कौन है नारायण सिंह चौरा?
नारायण सिंह चौरा खालिस्तान समर्थक है। उसके खिलाफ कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। वह कई दिनों से अंडर ग्राउंड था और छिपकर खालिस्तान आंदोलन को समर्थन दे रहा था। नारायण सिंह चौरा खुद को पंथ का नेता बताता है। वह डेरा बाबा नानक इलाके में खासा सक्रिय रहता है। उसे बुड़ैल जेल ब्रेक का भी आरोपी माना जाता है। नारायण सिंह चौरा के पिता का नाम छनन सिंह और माता का नाम गुरनाम कौर है। वह 4 अप्रैल 1956 को चौरा गांव में पैदा हुआ था। यह गांव गुरदासपुर में है। वह डेरा बाबा नानक इलाके में रहता था।
नारायण चौरा, बब्बर खालसा इंटरनेशलन का आतंकवादी भी रहा है। वह साल 1984 में पाकिस्तान गया था और वहां से पंजाब के लिए हथियारों की तस्करी कर चुका है। उसे पाकिस्तान में ट्रेनिंग भी ली है। नारायण सिंह चौरा ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकी जगतार सिंह हावड़ा और परमजीत सिंह भ्योरा की भी मदद की है।
परमजीत सिंह भ्योरा पर ही पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या का आरोप है। नारायण चौरा के खास दोस्त जगतार सिंह तारा और देवी सिंह रहे हैं, जिन्हें भगाने के लिए उसने बुड़ैल जेल के बाहर साजिश रची थी। उसने जेल की बिजली ही काट दी थी, जिससे कैदी बाहर फरार हो सकें। वह जेल में भी बंद रहा है।