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'POK वापस लेना है तो लाइए न, रोकता कौन है', उमर अब्दुल्ला ने कसा तंज

विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के बाद जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए कहा है कि आखिर PoK को वापस लेने से रोक कौन रहा है?

omar abdullah

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बोलते सीएम उमर अब्दुल्ला, Photo Credit: Jammu Kashmir CMO

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के बहाने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर जमकर तंज कसा है। जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को जरूर वापस लिया जाएगा। अब इसी बयान का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने आज विधानसभा में कहा कि अगर PoK को वापस लेना है, तो लाइए न, रोकता कौन है। उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि जब करगिल का युद्ध हुआ, तब मौका था लेकिन तब तो PoK को वापस नहीं ले पाए। देश में कई जगहों के नाम बदले जाने को लेकर भी उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया। उन्होंने बीजेपी से पूछा कि वह बताए कि कब जम्मू-कश्मीर में किसी और सरकार ने किसी जगह का या सड़क का नाम बदला हो। उन्होंने महाराजा हरि सिंह के बहाने जम्मू-कश्मीर रियासत का भी खूब जिक्र किया।


विधानसभा में उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'मेरी हुकूमत में, कांग्रेस की हुकूमत में, मेरे वालिद साहब की हुकूमत में, जब पीडीपी और कांग्रेस की हुकूमत थी तब, बताइए आप कि हमने कहीं पर नाम बदले? प्रताप सिंह पार्क आज भी प्रताप सिंह पार्क है। SMGS अस्पताल आज भी उसी नाम से है। हमने कहीं सड़कों का नाम नहीं बदला। महाराजा साहब की अगर हम विरासत देखें तो दो सबसे बड़ी चीजें क्या थीं? एक- जम्मू-कश्मीर रियासत, उस रियासत का आपने क्या हाल किया। मैं विरासत की बात कर रहा हूं। महाराजा बहादुर ने विरासत में जम्मू-कश्मीर का एक नक्शा आपको दिया था।'

 

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PoK लाने के सवाल पर जमकर बरसे उमर अब्दुल्ला

 

उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा, 'चलिए एक हिस्सा पाकिस्तान के पास है। उस पर भी आज विदेश मंत्री साहब ने कहा कि हम वापस लेकर आएंगे। किसने रोका? मुझे बताइए न किसने रोका? हमने कभी कहा कि मत लाओ? हम कहते हैं कि अगर लाना है तो लाइए। यहां तकरीरों में कांग्रेस को आड़े हाथ लिया गया कि आपने हाजी पीर छोड़ा, ये छोड़ा, वह छोड़ा। खुद बताइए न आप कि जब करगिल का युद्ध हुआ तो क्या वापस लाए? वह मौका था न, वापस लाते। मौका मिल गया था, बहाना था आपके पास, पाकिस्तान ने हमला किया था। अगर लाने का इतना शौक था तो उस वक्त लाते। चलिए कोई बात नहीं उस वक्त नहीं ला पाए लेकिन अब लाना है तो लाइए न, हममें से कौन रोक रहा है?'

 

 

उन्होंने आगे कहा, 'जब हम जम्मू-कश्मीर का नक्शा देखते हैं तो उसमें एक हिस्सा पाकिस्तान के पास है लेकिन एक हिस्सा चीन के पास भी है। उसका जिक्र क्यों नहीं होता? ये थोड़ा सा हम पर एहसान करिए कि जब उस तरफ का लाएं तो जो हिस्सा चीन के पास है, वह भी लाइए। चलिए उसे भी छोड़िए। जो महाराजा साहब ने जम्मू-कश्मीर का नक्शा बनाया था, उसके भी आपने दो हिस्से किए, लद्दाख को आपने अलग किया। अब आप कहते हो कि लद्दाख के लोग यह चाहते थे। कभी पूछा आपने उनसे? कभी मालूम करने की कोशिश की? पहले दिन से करगिल के लोग इस फैसले के साथ नहीं थे। दिन लोगों ने 5 अगस्त 2019 को मिठाइयां बांटी थीं, वे भी कहते थे कि शायद हमारी हालत जम्मू-कश्मीर के साथ ही इससे बेहतर थी।'

 

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जयशंकर ने क्या कहा था?

 

इससे पहले एस जयशंकर ने लंदन में कहा था, 'कश्मीर में शांति बहाल करने के काम को तीन चरण में अंजाम दिया गया। सबसे पहले अनुच्छेद 370 को हटाया गया। यह पहला कदम था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में विकास और आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक न्याय को बहाल करना था। वहीं, तीसरा मकसद अच्छे वोटिंग पर्सेंट के साथ मतदान कराना था। मुझे लगता है कि हम जिस दिन का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर के उस हिस्से की वापसी है जिसे अवैध तरीके से पाकिस्तान ने चुराया है। जिस दिन यह हो जाएगा तो मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि कश्मीर की समस्या का समाधान भी हो जाएगा।'

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