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मणिपुर के राज्यपाल क्यों बनाए गए अजय कुमार भल्ला? समझिए वजह

अजय भल्ला, पूर्व गृह सचिव रह चुके हैं। उन्हें मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। रिटायर्ड जनरल वीके सिंह पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। उन्हें मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया है।

Ajay Kumar Bhalla

मणिपुर के नए राज्यपाल अजय कुमार भल्ला। (तस्वीर- गृह मंत्रालय)

पूर्वोत्तर के दो संवेदनशील राज्यों के राज्यपाल बदले गए हैं। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का नया राज्यपाल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नियुक्त किया है, वहीं पूर्व सेना प्रमुख जनरल विजय कुमार सिंह को मिजोरम का नया राज्यपाल बनाया गया है।

दोनों दिग्गजों के पास उग्रवाद और आतंकवाद दोनों से निपटने का अनुभव रहा है। दोनों के पास नॉर्थ-ईस्ट के विभाजनकारी तत्वों से निपटने की रणनीति है। सूत्र बताते हैं कि दोनों संवेदनशील राज्यों में इसी वजह से अजय कुमार भल्ला और वीके सिंह को भेजा गया है।

अजय कुमार भल्ला की उपलब्धियां क्या हैं?

पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला असम मेघालय कैडर के 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी रहे हैं। उनसे पहले लक्ष्मण प्रास आचार्य यहां के राज्यपाल थे। इन्हें हिंसा प्रभावित राज्य का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। अब यहां अजय कुमार भल्ला कमान संभालेंगे।  अजय कुमार भल्ला का कार्यकाल अगस्त में ही समाप्त हुआ था। अगस्त 2019 में ही वह केंद्रीय गृह सचिव के पद पर नियुक्त हुए थे।

अजय कुमार भल्ला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पसंदीदा अधिकारी रहे हैं। उनका कार्यकाल सबसे ज्यादा दिनों तक रहा है। अजय कुमार भल्ला को केंद्र सरकार ने 4 बार सेवा विस्तार दिया था। वह  मेघालय काडर के 1984 के बैच के अधिकारी रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से वह बॉटनी में एमएससी हैं, वहीं क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया से उन्होंने एमबीए किया है। 


मणिपुर क्यों भेजे गए अजय कुमार भल्ला?

3 मई 2023 को मणिपुर में हिंसा भड़की थी। अब तक 200 से ज्यादा लोग इस हिंसा में मारे गए हैं। हजारों लोग जख्मी हैं, 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। 11 हजार से ज्यादा FIR हो चुकी है। मणिपुर में एन बीरेन सिंह की सरकार है। वहां 40 हजार जवान तैनात हैं। अब अजय कुमार भल्ला की नजर मणिपुर की शांति व्यवस्था पर होगी। गृह सचिव के तौर पर वह इन परिस्थितियों से निपटने की रणनीति बना सकते हैं।

VK सिंह की उपलब्धियां क्या हैं?
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह को मिजोरम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साल 1970 में वह राजपूत रेजीमेंट की दूसरी बटालियन में कमीशन हुए थे। वह 42 साल तक सेना में रहे, उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है। वह 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी हिस्सा लिया है। वह शांति सेना के तौर पर श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ भी जंग लड़ी। उन्होंने कमंडो ट्रेनिंग भी ली है।

मिजोरम क्यों भेजे गए?

जनरल वीके सिंह मोदी सरकार में दो बार 2014 और 2019 के कार्यकाल में राज्य मंत्री रहे। वह 2019 से 2024 तक नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे। मिजोरम में म्यांमार के भागे हुए लोगों का अवैध घुसपैठ एक मुद्दा है, जिसे रोकने की चुनौती सरकार की है। मिजो राष्ट्रवाद का भी मुद्दा है। यह राज्य भारत के लिए रणनीतिक तौर पर अहम है। राज्यपाल के गार्जियन के तौर पर होते हैं। ऐसे में उनके अनुभवों के आधार पर ही उन्हें मिजोरम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

जनरल वीके सिंह यूपी की गाजियाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। 2014 और 2019 में वह यहीं से सांसद रहे। इस बार उन्होंने चुनावी राजनीति में न उतरने का फैसला किया। अब वह संवैधानिक पद पर काबिज होने जा रहे हैं।

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