अरामबाई तेंगगोल: संस्कृति का रक्षक संगठन, कैसे समस्या बना, पूरी कहानी
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• IMPHAL EAST 09 Jun 2025, (अपडेटेड 09 Jun 2025, 10:42 AM IST)
मणिपुर के 5 जिलों में हिंसा भड़की है। पश्चिमी इंफाल, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग जिले में इंटनेट तक बंद करना पड़ा है। हिंसा की वजह अरामबाई तेंगगोल नेताओं की गिरफ्तारी है। यह संगठन चर्चा में क्यों है, विस्तार से समझते हैं।

अरामबाई तेंगगोल, मैतेई समुदाय का रक्षक संगठन है। (Photo Credit: PTI)
मणिपुर की राजधानी इंफाल में शनिवार शाम को अरामबाई तेंगगोल (AT) के 5 नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हिंसा भड़क गई। पश्चिमी इंफाल, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग जैसे जिलों में शांति बहाली के लिए कर्फ्यू लागू किया गया है, इंटरनेट सेवाएं बंद हैं, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात हैं। गिरफ्तार लोगों में मणिपुर पुलिस का पूर्व हेड कांस्टेबल ए कानन सिंह भी शामिल है, जिसकी गिरफ्तारी पर अरामबाई तेंगगोल के समर्थक भड़क गए हैं। कई जगहों पर सुरक्षाबलों के साथ भीड़ ने हिंसक झड़प की, कई गाड़ियों को जलाकर राख कर दिया।
इंफाल के क्वाकेथेल और उरीपोक इलाकों में सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं हुई हैं। कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए हैं। आधी रात के बाद स्थिति सामान्य हुई, रविवार सुबह से हालात काबू में हैं। 20 मई को सुरक्षाबलों ने मणिपुर में चल रहे एक आंदोलन को रोक दिया था। शनिवार को अरामबाई तेंगगोल के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी हुई, जिसके बाद मणिपुर कई दिनों की शांति के बाद एक बार फिर सुलग उठा।
अब इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, काकचिंग और थौबल जिलों में पांच दिनों के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं बंद रहेंगी। बिष्णुपुर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया, जबकि अन्य चार जिलों में चार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तारी के जवाब में पांच जिलों में 10 दिन का बंद लागू करने का ऐलान किया है। मीडिया और चिकित्सा सेवाएं जारी रहेंगी।
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अरामबाई तेंगगोल है क्या, नाम का मतलब क्या?
अरामबाई तेंगगोल मणिपुर में सक्रिय मैतेई लोगों का संगठन है। कुकी समुदायों की मानें तो यह उग्रवादी संगठन है। अरामबाई तेंगगोल के बारे में मैतेई लोग कहते हैं कि यह एक सांस्कृतिक संगठन है। साल 2020 में इस संगठन की नींव पड़ी। अरामबाई का मतलब तीर है, तेंगगोल का मतलब सैन्य टुकड़ी है। 3 मई 2023 को मैतेई और कुकी समुदाय के बीच भड़की हिंसा के बाद संगठन के कुछ लोगों ने हथियारबंद आंदोलन छेड़ दिया था। अरामबाई तेंगगोल कट्टरपंथी संगठन के तौर पर तेजी से उभर रहा है। मैतेई समुदायों के हितों के लिए इस समूह के सदस्य सशस्त्र आंदोलन से भी परहेज नहीं करते हैं।

प्रमुख नेता कौन है?
मणिपुर राज परिवार के सदस्य लीशेम्बा सनजाओबा, अरामबाई तेंगगोल के मुखिया कहे जाते हैं। वह मणिपुर के राजा के तौर पर भी चर्चित हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद हैं। जब मणिपुर में हथियाबंद संगठनों ने आत्मसमर्पण शुरू किया था, तो बड़ी संख्या में इन्हीं के नेतृत्व में अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला के सामने हथियार समर्पण किए थे।
लीशेम्बा सनजाओबा के अलावा कोरौंगनबा खुमान का भी नाम सुर्खियों में रहता है। उनके खिलाफ NIA भी कई मामलों में जांच कर रही है। कानन सिंह भी इस संगठन का चर्चित नेता है। कानन सिंह की गिरफ्तारी पर ही हंगामा बरपा है। वह पहले मणिपुर की कमांडो यूनिट में हेड कांस्टेबल था लेकिन फरवरी 2024 में लापरवाही के चलते उसे सस्पेंड किया गया। आरोप है कि उसने पुलिस अधिकारी मोइरंगथेम के घर पर हमला किया था। उनके एक सीनियर पुलिस अधिकारी का अपहरण किया था।
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क्यों इस संगठन की जरूरत पड़ी?
मैतेई समुदाय की संस्कृति, धार्मिक पहचान और सनमाही धर्म के संरक्षण के लिए यह संगठन बना। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जब हिंसा भड़की को इसके सदस्यों ने हथियार उठा लिए। मई 2023 के बाद कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़पें भी शुरू हो गईं। संगठन का तर्क है कि मैतेई समुदाय के हितों की रक्षा के लिए इस संगठन ने हथियार उठाए और उग्रवादी बने। अब आरोप हैं कि यह संगठन कुकी-नागा समुदायों के खिलाफ हिंसक कार्रवाइयों में शामिल रहा है। मैतेई अब अपनी अस्मिता को लेकर हिंसक प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

आरोप क्या-क्या हैं?
- कुकी और नागा समुदाय के लोगों को पर हमला
- कुकी बाहुल गांवों पर लक्षित हमले करना, हथियारों का प्रदर्शन
- हिंसक गतिविधियों में संलिप्त होना
- मणिपुर के 5 जिलों में हिंसक विरोध प्रदर्शन करना

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क्या चाहता है कि यह संगठन?
- मैतेई समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति दर्जा।
- सनमाही धर्म संरक्षण।
- मणिपुर में मैतेई समुदाय के हितों की रक्षा।
- कुकी समुदाय के साथ शांति और संवाद स्थापित करना।
- स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का मजबूत करना।
सनमाही धर्म क्या है?
सनमाही धर्म मणिपुर का पारंपरिक धर्म है। मैतेई समुदाय के लोग इस धर्म में आस्था रखते हैं। यह प्रकृति, पूर्वज और दैवीय शक्तियों की पूजा पर आधारित धर्म है। सनमाही के सर्वोच्च देवता, सूर्य और सृष्टि के प्रतीक हैं। इस धर्म में लाई हरोबा जैसे अनुष्ठान होते हैं, नृत्य और संगीत से देवताओं को खुश किया जाता है। यह मैतेई संस्कृति का आधार धर्म है। ज्यादातार सनमाही हिंदू धर्म में में आस्था रखते हैं। यह धर्म मणिपुर की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है।

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किन इलाकों में प्रभाव है?
अरामबाई तेंगगोल का प्रभाव मुख्य रूप से मणिपुर के घाटी क्षेत्रों में है। इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, थौबल, बिष्णुपुर, और ककचिंग में अरामबाई तेंगगोल के सदस्य सक्रिय हैं। इन्हीं इलाकों में हाल के महीनों में टकराव भी बढ़ा है। अरामबाई तेंगगोल का प्रभाव म्यांमार सीमा से लगे मणिपुर के कुछ हिस्सों में भी देखा गया है।
कितनी ताकत है?
अरामबाई तेंगगोल को राजनीतिक संरक्षण मिला है। अब इस संगठन में 60 हजार से ज्यादा लोग शामिल हैं।

विवादों में क्यों है यह संगठन?
अरामबाई तेंगगोल पर कुकी और नागा समुदायों के खिलाफ हिंसा के आरोप हैं। कई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि समूह के सदस्यों ने कुकी समुदायों के पास से हथियार लूटे, आगजनी की, उत्पीड़न की, लोगों से मारपीट की। अरामबाई संगठन के एक नेता कानन सिंह की कथित गिरफ्तारी को लेकर ही हंगामा बरपा है। उनके अलावा 2 अन्य नेताओं को भी हिरासत में लिया गया है, जिनका नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। संगठन के सदस्यों ने पश्चिमी इंफाल, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग जैसे जिलों में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया है, जिसके बाद से इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

मणिपुर हिंसा में अब तक क्या हुआ है?
मणिपुर में राष्ट्रीय शासन लागू है। 3 मई 2023 के बाद भड़की हिंसा में अब तक 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। चौतरफा आलोचना के बाद 13 फरवरी सीएम एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से हिंसाग्रस्त राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसक झड़प थमी नहीं है।
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