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दुनिया के बड़े जल विवाद, घटते पानी ने क्यों देशों के बीच बढ़ाई टेंशन?

जल संकट से जूझ रही दुनिया के सामने संसाधनों के कुशल प्रबंधन और जल वायु परिवर्तन से निपटने की बड़ी चुनौती है। अगले 5 साल में लगभग 70 करोड़ लोगों को पानी के कारण अपने घरों को छोड़ना पड़ेगा।

AI Generated Image of Water Crisi

जल संकट की प्रतीकात्मक फोटो। (AI Generated Image)

पूरी दुनिया जल संकट से जूझ रही है। आने वाले वर्षों में यह और गहराने वाला है। एक ओर जहां दुनिया भर में आबादी तेजी से बढ़ रही है तो दूसरी ओर मीठे पानी के स्रोत घटते जा रहे हैं। एक अध्ययन के मुताबिक आने वाले 50 से 100 वर्षों में 'वाटर वार' होने की संभावना 75 से 95 फीसदी तक है, लेकिन यह कितना भयानक होगा, ये वक्त बताएगा। जल संकट के कारण अफगानिस्तान में लगभग 2.60 लाख लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। यह संख्या तालिबान के खिलाफ युद्ध के दौरान होने वाले पलायन से अधिक है। 

 

यूनीसेफ के मुताबिक हर साल लगभग 4 अरब लोगों को एक महीने तक गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है। 2030 तक लगभग 70 करोड़ लोगों को जल संकट के कारण अपने घरों को छोड़ना पड़ेगा। 2040 तक दुनिया में 4 में से एक बच्चे को जल संकट का सामना करना पड़ेगा। आज भी लगभग दो अरब लोगों तक पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है। मौजूदा समय में अफ्रीका के लगभग 25 देश पानी की कमी से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे पानी का संकट गहराएगा वैसे-वैसे इसको लेकर संघर्ष बढ़ने की संभावना अधिक है। 

 

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दुनिया में क्यों गहरा रहा जल संकट?

70 वर्षों में दुनिया की आबादी तीन गुणा बढ़ चुकी है। इस वजह से पानी की मांग बढ़ना भी लाजिमी है। उद्योगों, कृषि और घरेलू कामों में पानी का दोहन बेतहाशा होने से भूजल स्तर भी तेजी से गिरा है। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं। कम बारिश होने से नदियों के पानी में कमी आई है। 

 

दुनिया के कई देशों के पास पानी तो खूब है मगर प्रबंधन नहीं सही है। दुनियाभर में जमीन से जितना भी पानी निकाला जाता है, उसमें से लगभग 70 फीसदी का इस्तेमाल खेती में किया जाता है। खेती में पानी की अधिक खपत ने भी दुनिया के सामने जल संकट खड़ा किया है। धरती का तापमान बढ़ना भी इस संकट के पीछे एक वजह है। 

जल संकट से जूझते देश

Earth.Org के मुताबिक मिस्र पानी के संकट से जूझ रहा है। यहां के लोग नील नदी के पानी पर निर्भर है, लेकिन इथियोपिया में  ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां बांध बनने से जल संकट गहराने का खतरा बढ़ गया है। यही स्थिति इराक में देखने को मिल रही है। यहां बांध बनने के कारण टाइग्रिस और यूफ्रेट्स नदियों में पानी कम हो गया है। उधर, दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका का कैलिफोर्निया भी संकट से जूझ रहा है।

 

भारत के भी कई राज्यों में जल संकट जैसी स्थिति देखने को मिलती है। जल संकट से जूझने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, तुर्की, ईरान, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी जल संकटग्रस्त हैं। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के मुताबिक दुनिया के 17 देश सबसे अधिक जलसंकट से ग्रस्त हैं। इन देशों में कतर, इजराइल, लेबनान, बहरीन, कुवैत, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। 

 

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दुनिया के कुछ बड़े जल विवाद

  • इथियोपिया नील नदी पर ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम बना रहा है। सूडान और मिस्र इसके खिलाफ हैं। उनका मानना है कि डैम बनने के बाद नदी के पानी पर नियंत्रण इथियोपियो को मिल जाएगा। इससे नदी का जल स्तर कम होगा और मिस्र और सूडान को जल संकट से जूझना पड़ सकता है। 
  • पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है। मगर इससे पाकिस्तान की टेंशन बढ़ चुकी है। अगर भारत ने पानी पूरी तरह से रोक दिया तो वहां की कृषि अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तबाह हो सकती है। आतंकवाद के खिलाफ भारत ने यह सख्त कदम उठाया है। पीएम मोदी का स्पष्ट कहना है कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा। मगर दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर तनाव बहुत है।
  • अफगानिस्तान भारत के सहयोग से काबुल की सहयोगी मैदान नदी में शहतूत डैम बनाना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान इसका विरोध करता है। उसका मानना है कि अफगानिस्तान में डैम बनने से उसके यहां आने वाले पानी की मात्रा में कमी आएगी।
  • चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। भारत इस योजना के खिलाफ है। देश में कई नेताओं का मानना है कि डैम के माध्यम से बाढ़ और सूखा चीन के हाथ में होगा। वह नदी का पानी मोड़ सकता है। डैम बनने के कारण भारत और बांग्लादेश पर इसका असर पड़ेगा। 
  • जॉर्डन, इजरायल, फलस्तीन और लेबनान के बीच जॉर्डन नदी के पानी पर विवाद है। 1967 में इजरायल ने कई नदियों के पानी पर अपना नियंत्रण कर लिया। कुछ नदियों के रास्ते को मोड़ा भी। इजरायल के मनमर्जी का उसके पड़ोसी देश विरोध कर रहे हैं। 
  • ताजिकिस्तान अमुदरया नदी की सहायक नदी पर रोगुन डैम बनाने की कोशिश में है। अफगानिस्तान से निकलने वाली यह नदी ताजिकिस्तान से होकर उज्बेकिस्तान तक जाती है। मगर उज्बेकिस्तान उसकी इस योजना का विरोध कर रहा है। 
  • तुर्की, सीरिया और इराक के बीच भी पानी विवाद है। दरअसल, तिगरिस नदी पर तुर्किये इलिसू डैम बनाना चाहता है। मगर सीरिया और इराक इसके खिलाफ हैं। उनका मानना है कि इससे उनके यहां जल संकट खड़ा हो जाएगा। 

 

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