दिल्ली में चरस और गांजा की तुलना में कोकीन की मांग ज्यादा है. एक डेटा के मुताबिक नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस ऐक्ट के तहत 2024 में कुल 1293.298 किलो कोकीन बरामद की गई जबकि साल 2021 में 0.413 किलो कोकीन बरामद की गई थी।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक यह शुद्ध कोकीन नहीं है बल्कि यह अन्य केमिकल के साथ मिला हुआ होता है और यह काफी महंगे दामों पर बेचा जाता है।
गांजा-चरस की मांग में आई कमी
वहीं दूसरी तरफ गांजा और चरस की मांग में काफी कमी देखी गई है। डेटा के मुताबिक 2021 में 9154.322 किलो गांजा एनडीपीएस ऐक्ट के तहत बरामद किया गया था जो कि साल 2024 में घटकर 4363 किलो हो गया। इसके अलावा एनडीपीएस ऐक्ट के तहत 80.62 किलो चरस बरामद किया गया था जो कि 2021 में 51.111 किलो ही था।
क्या है कारण
पुलिस का कहना है कि मेथ मिले हुए कोकीन की ज्यादा मांग के पीछे कई कारण हैं। 'केमिकल ड्रग्स की मांग इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि युवाओं में इसे स्टेटस सिंबल माना जाता है। चरस और गांजा की तुलना में मेथ मिक्स कोकीन ज्यादा पॉपुलर हो रहा है क्योंकि यह थोड़ा सस्ता पड़ता है।'
पुलिस ने बताया कि इन केमिकल ड्रग्स की आपूर्ति अंतर्राष्ट्रीय मार्गों और घरेलू प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए की जाती है, जिन्हें कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय कार्टेल सदस्यों के सहयोग से स्थापित किया जाता है।
अफगानिस्तान-ईरान से होता है सप्लाई
अधिकारियों ने बताया कि हेरोइन की आपूर्ति ज़्यादातर ईरान के ज़रिए की जाती है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 'हेरोइन आमतौर पर अफ़गानिस्तान से आती है। हालांकि, अफ़गान नागरिकों के लिए (भारत का) वीज़ा पाना मुश्किल है। इसलिए इसे पहले ईरान ले जाया जाता है और वहां से समुद्री और हवाई रास्तों से ट्रांसपोर्ट किया जाता है।'
पुलिस ने बताया कि मेथ और कोकीन या तो दक्षिण अमेरिकी देशों से मंगाए जाते हैं, जहां विभिन्न गिरोह सक्रिय हैं, या फिर दिल्ली-एनसीआर और उसके बाहर छोटी प्रोसेसिंग यूनिट इकाइयों से मंगाए जाते हैं।
गुजरात से बरामद हुई 1289 किलोग्राम कोकीन
इस साल अक्टूबर में, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (TYR) ने दिल्ली और गुजरात से 1,289 किलोग्राम कोकीन बरामद की थी, जिसे कथित तौर पर दुबई स्थित व्यवसायी वीरेंद्र बसोइया के नेतृत्व वाले कार्टेल द्वारा तस्करी करके लाया गया था। पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि ड्रग्स दक्षिण अमेरिका, मुख्य रूप से कोलंबिया से दुबई के रास्ते कार्गो जहाजों पर आए थे और उन्हें दिल्ली, मुंबई और गोवा में डिस्ट्रीब्यूट किया जाना था।
पुलिस ने कहा, 'पहले कोकीन और मेथ दक्षिण अमेरिकी देशों जैसे पनामा, पेरू और मैक्सिको से समुद्री मार्ग से आते थे। लेकिन डीईए (ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन) ने पिछले कुछ सालों में कई तरह के ऑपरेशन शुरू किए हैं। इसके चलते कई तस्करों ने इन्हें छोटी-छोटी फैक्टरी जैसी इकाइयों में प्रोसेस करना शुरू कर दिया है। इनमें से कुछ के दक्षिण अमेरिकी कार्टेल से संबंध हैं।'