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एडवांस्ड एंटी ड्रोन सिस्टम की तलाश में सेना, जरूरत क्यों पड़ी?

चाहे जम्मू और कश्मीर का बॉर्डर हो या पंजाब का हर दिन पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियां देखी जा रही हैं। सेनाएं अब एडवांस्ट एंटी ड्रोन सिस्टम क्यों चाहती हैं, आइए विस्तार से समझते हैं।

Anti Drone System

AI Generated Image. (Photo Credit: ChatGPT)

भारत के लिए सीमा पार से होनी वाली ड्रोन गतिविधियां लगातार मुश्किलें बढ़ा रही हैं। कभी जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर ड्रोन देखे जाते हैं, कभी पंजाब और राजस्थान बॉर्डर पर। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के अधिकारी आए दिन ड्रोन गतिविधियों पर बात करते हैं। सीमा पार से होने वाली ये ड्रोन गतिविधियां भारतीय सेनाओं के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं।

भारत के लिए अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) की जरूरत है, जिससे सीमाओं की हिफाजत हो सके। वायुसेना और सेना की जरूरत है कि अब उन्हें ऐसा सिस्टम मिले, जिससे मैनुअल विजिलेंस की जरूरतें कम हों। 

अब एंटी ड्रोन सिस्टम को अत्याधुनिक करने के लिए सेना ने बड़ा कदम उठाया है। सेना ने स्वदेसी ड्रोन के लिए टेंडर जारी किया है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन से लगी सीमाओं की निगरानी के लिए अब अत्याधुनिक एंटी ड्रोन सिस्टम की जरूरत पड़ रही है।  

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किस तरह का एंटी ड्रोन सिस्टम चाहता है भारत?

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक वायुसेना 10 नए कामिकेज़ ड्रोन-आधारित एंटी-स्वार्म ड्रोन सिस्टम की मांग कर रहा है। वायुने को 10 मोबाइल माइक्रो म्यूनिशन बेस्ड एंटी-स्वार्म ड्रोन सिस्टम चाहिए। वायुसेना ने 100 से 200 व्हीकल-माउंटेड काउंटर चाहता है। वायुसेना एक साल पहले किए गए करार के तहत अगले महीने से 200 रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर गन ऑर्डर किया था, जिसके जल्द ही मिलने के आसार हैं।

सेना को जैमिंग, स्पूफिंग और ब्लाइंडिंग सिस्टम से संपन्न एंटी ड्रोन सिस्टम चाहिए, जो ड्रोन के सैटेलाइट या वीडियो कमांड-एंड-कंट्रोल लिंक को रोक सके। सेना की मांग है कि लेजर बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) मिले, जिससे ड्रोन को तत्काल न्यूट्रल किया जा सके।

क्या भारत खुद विकसित कर पाएगा?
भारत की सबसे बड़ी चुनौती है कि तकनीकों को स्वदेशी तौर पर विकसित करने में वक्त लग सकता है। DRDO के 2-किलोवाट से 10-किलोवाट लेजर वाले एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित करने के बाद सेना 400 करोड़ रुपये के 23 ऐसे प्रोजेक्ट चाहती है। DRDO लेजर बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वेपन विकसित कर रहा है। कुछ घरेलू कंपनियां ऐसे सिस्टम को बनाने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ कॉन्ट्रेक्ट कर रही हैं।

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वायुसेना चाहती है कि इंटिग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (IDD&IS) को एडवांस करने की जरूरत है। अभी 2 से 5 किलोमीटर की सीमा पर ड्रोन की सॉफ्ट किलिंग की जा सकती है। लेजर के जरिए 800 मीटर के आसपास ही निष्क्रिय किया जा सकता है।

देश में रडार क्रॉस-सेक्शन ड्रोन की घुसपैठ बढ़ रही है। एडवांस्ड रडार और जमीन से हवा में मार करने वाली प्रणालियों के साथ एयर डिफेंस सिस्टम के बेहतर तालमेल की जरूरत है। अभी अनचाहे ड्रोन भारत के लिए चुनौती बने हुए हैं, जिनके खिलाफ मल्टी सेंसर, मल्टी किल सिस्टम की जरूरत है।   

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