भारत-नेपाल के बीच नया विवाद! गोरखा सैनिकों पर चीन की नापाक नजर!
देश
• NEW DELHI 25 Nov 2024, (अपडेटेड 25 Nov 2024, 12:38 PM IST)
नेपाल ने अग्निवीर योजना पर आपत्ति जताई है और इसे साल 1947 के भारत-नेपाल-ब्रिटेन त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन बताया है।

गोरखा सैनिक। Source- @Gurkha_Brigade
भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी पड़ोसी देश नेपाल के दौरे पर गए थे, वह अपना पांच दिवसीय आधिकारिक दौरा करके रविवार को भारत लौट आए। जनरल द्विवेदी का यह नेपाल दौरा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना था।
भारतीय सेना अध्यक्ष का यह नेपाल दौरा ऐसे समय हो रहा है जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। हाल के सालों में देखा गया है कि नेपाल अपने पड़ोसी देश चीन से नजदीकियां बढ़ा रहा है और इसी बहाने चीन स्ट्रेटिजिक तरीके से भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। मालूम हो कि भारत-नेपाल के संबंधों में आई खटास के बीच चीन पिछले कई सालों से नेपाल को हथियार सप्लाई करने के साथ में कई परियोजनाओं पर करोड़ों डॉलर निवेश कर रहा है।
गोरखा सैनिकों की भर्ती विवाद ने जोर पकड़ा
इसके बावजूद अभी भी भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा सैनिकों की नई भर्ती का रास्ता साफ नहीं हो पाया है। अब भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा सैनिकों की नई भर्ती के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है और इससे दोनों देशों के बीच तनाव देखने को मिल सकता है। नेपाल के गोरखा सैनिकों की भर्ती भारतीय सेना में पिछले चार साल से रुकी हुई है।
अग्निवीर योजना से रूकी गोरखाओं की भर्ती?
गोरखा सैनिकों की भर्ती कोरोना महामारी यानी साल 2020-21 में शुरू हुई अग्निवीर योजना की वजह से रुकी हुई है। भारतीय सेना में अग्निवीर योजना के तहत सैनिकों को चार साल लिए सेना में भर्ती किया जाता है। इन भर्तियों में से केवल 25 फीसदी को ही भारतीय सेना में स्थायी तौर पर सेवा में शामिल किया जाता है।
त्रिपक्षीय समझौता क्या है?
दरअसल, नेपाल और भारत के बीच एक नई समस्या की जड़ यहीं से शुरू हो रही है। नेपाल ने अग्निवीर योजना पर आपत्ति जताई है और इसे साल 1947 के भारत-नेपाल-ब्रिटेन त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन बताया है। इस तरह से यह लगातार चौथा साल है जब नेपाल से भारतीय सेना में शामिल होने के लिए एक भी गोरखा सैनिक नहीं आए हैं।
अग्निवीर योजना में बदलाव चाहता है नेपाल
यह कदम भी नेपाल सरकार ने कूटनीतिक तनाव के चलते उठाया है और अपने यहां के गोरखाओं को भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए भेजना बंद कर दिया है। नेपाल सरकार अग्निपथ भर्ती योजना से नाराज है। नेपाली सरकार अग्निवीर योजना में बदलाव चाहती है। त्रिपक्षीय समझौते में नेपाल के गोरखा सैनिकों की भारत और ब्रिटेन में सैन्य सेवा से जुड़ी हुई है। उस समय इस समझौते में यह तय किया गया था कि भारत की आजादी के बाद भी नेपाल के गोरखा सैनिक भारत और ब्रिटेन की सेना में बिना किसी रुकावट के भर्ती होते रहेंगे।
गोरखा सैनिकों का गणित
बता दें कि जून 2022 में अग्निपथ भर्ती योजना की शुरुआत होने के बाद से नेपाल की तरफ से कोई भी नई भर्ती नहीं की गई है। इसका असर साफतौर पर भारतीय सेना के गोरखा रेजिमेंट पर पड़ रहा है। फिलहाल, भारतीय सेना में लगभग 32,000 नेपाली गोरखा सैनिक काम कर रहे हैं। साल 2020 बे बाद से तकरीबन 15,000 गोरखा सैनिक सेवा से रिटायर हो चुके हैं, लेकिन इसकी जगह नई भर्तियां नहीं हुई हैं। बता दें कि इससे पहले नेपाल के सालाना 1,500 से 1,800 नई भर्तियां होती थीं। वहीं, ब्रिटेन की सेना में हर साल 300 गोरखा सैनिकों की भर्ती होती है।
कहां जा रहे हैं गोरखा सैनिक?
माना जा रहा है कि नेपाल के गोरखा सैनिक अब चीन और रूस की सेना का रुख कर सकते हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगर गोरखा भारत नहीं आए तो नेपाल सरकार उन्हें चीन की सेना में जाने की अनुमति दे सकती है। ये खबरें भी आमने आई हैं कि गोरखा सैनिक बड़े पैमाने पर रूस की ओर रुख कर रहे हैं। गोरखा रूस की तरफ से यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे हैं। इन सबके बीच भारत सरकार भी गंभीरता से इस मामले पर विचार कर रही है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का नेपाल दौरा सफल?
हालांकि, जनरल उपेंद्र द्विवेदी का यह नेपाल दौरा बेहद सफल बताया जा रहा है। यात्रा के दौरान उन्होंने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पीएम केपी शर्मा ओली, रक्षा मंत्री मनबीर राय और अपने नेपाली समकक्ष अशोक राज सिगडेल के साथ बैठक करके चर्चा की।
Bond of #Brotherhood Beyond Borders
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) November 24, 2024
🇮🇳🤝🇳🇵#GeneralUpendraDwivedi, #COAS during his ongoing visit to #Nepal, interacted with #Veterans & #VeerNaris of the #IndianArmy at #Pokhara, #Nepal. The #COAS enquired about their well being, took note of their concerns and reaffirmed them… pic.twitter.com/3gD0XSEcL9
नेपाली मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक पीएम केपी शर्मा ओली ने द्विपक्षीय सहयोग का मजबूत करने पर जोर दिया है। रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'यह यात्रा घोषित उद्देश्यों से अधिक सफल रही। इसने दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों और आपसी सम्मान को मजबूत किया।'
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