इस्तेमाल सबसे ज्यादा, खर्च सबसे कम, AI पर भारत दुनिया से पीछे क्यों?
देश
• NEW DELHI 02 Feb 2025, (अपडेटेड 02 Feb 2025, 10:56 AM IST)
अमेरिका और चीन दो ऐसे देश हैं जहा AI को लेकर मजबूती से काम हो रहा है। डीपसीक के आने के बाद सवाल है कि भारत AI सेक्टर में इतना पीछे क्यों है?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, Photo Credit: AI
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। चीन ने जैसे ही अपना डीपसीक AI मॉडल लॉन्च किया वैसे ही देशभर में हलचल मच गई। स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार इस समय दुनियाभर में करीब 10 हजार एआई स्टार्टअप हैं। इनमें से 70 फीसदी स्टार्टअप चीन और अमेरिका में मौजूद है। एक रिसर्च बताती है कि अगले 6 साल यानी 2030 तक AI का बाजार 826 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
चीन का डीपसीक AI, अमेरिका में हलचल क्यों मची?
चीन का डीपसीक AI जैसे ही बाजार में उतरा वैसे ही अमेरिका पर इसका भारी प्रभाव पड़ा। दरअसल, डीपसीक का यह मॉडल कम लागत में डेवलप किया गया है, जिससे अमेरिकी AI इंडस्ट्री में हलचल मच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना अमेरिकी AI सेक्टर के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है।
डीपसीक के AI मॉडल की सफलता के बाद, अमेरिकी शेयर बाजार में भी उथल-पुथल देखी गई। एनवीडिया जैसी प्रमुख चिप निर्माता कंपनी के शेयरों में 24% तक की गिरावट आई, जिससे कंपनी के बाजार मूल्य में लगभग 500 अरब डॉलर की कमी हुई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटना को सिलिकॉन वैली के लिए चेतावनी बताया है और कहा है कि हमें प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि डीपसीक का सस्ता मॉडल एक सकारात्मक विकास है, क्योंकि इसे कम लागत में तैयार किया गया है।
डीपसीक के इस कदम को 1957 में सोवियत संघ द्वारा स्पुतनिक सैटेलाइट लॉन्च के साथ तुलना की जा रही है, जिसे 'स्पुतनिक मोमेंट' कहा जाता है। यह घटना अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जहां उसे AI क्षेत्र में अपनी प्रमुखता बनाए रखने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।
कुल मिलाकर, डीपसीक के AI मॉडल के आगमन ने अमेरिका में तकनीकी और आर्थिक दोनों मोर्चों पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि AI सेक्टर में अमेरिका, चीन और भारत क्या-क्या कर रहा है?
अमेरिका:
अमेरिका AI रिसर्च और डेवलपमेंट में हमेशा आगे रहा है। प्रमुख टेक कंपनियां जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और ओपनएआई AI के अलग-अलग ऐप्लिकेशन पर काम कर रही हैं। हाल ही में, ओपनएआई ने GPT-4 मॉडल लॉन्च किया है, जो प्राकृतिक भाषा प्रोसेसिंग में महत्वपूर्ण सुधार ला रहा है। इसके अलावा, अमेरिकी सरकार ने AI के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग के लिए कई पॉलिसी भी तैयार की है। 2023 में, अमेरिका ने AI और संबंधित क्षेत्रों में लगभग 20 अरब डॉलर खर्च किए। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और एप्पल जैसी प्रमुख कंपनियां भी AI में भारी निवेश कर रही हैं।
चीन:
चीन ने AI के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। बायडू, अलीबाबा, और टेनसेंट जैसी कंपनियां AI रिसर्च में निवेश कर रही हैं। हाल ही में, चीनी कंपनी डीपसीक ने एक नया AI मॉडल विकसित किया है, जिसने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। 2023 में, चीन ने AI अनुसंधान और विकास में लगभग 10 अरब डॉलर का निवेश किया। बता दें कि चीन का 2030 तक AI में ग्लोबल लीडरशिप हासिल करने का लक्ष्य है।
भारत:
भारत में AI के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। सरकार ने 'नेशनल AI पोर्टल' लॉन्च किया है और 'नेशनल AI स्ट्रेटेजी' डेवलप की है। आईआईटी और आईआईएससी जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थान AI रिसर्च में एक्टिव हैं। 2023 में, भारत ने AI पर लगभग 1-2 अरब डॉलर खर्च किए। हाल ही में, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि भारत अगले 10 महीनों में अपना खुद का जनरेटिव AI मॉडल विकसित करेगा, जो भारतीय संदर्भ और संस्कृति पर आधारित होगा।
यह भी पढ़ें: कौन थे गुरजाड अप्पाराव जिनका सीतारमण ने अपने बजट में किया जिक्र?
इन तीनों देशों में AI के क्षेत्र में हो रहे काम से स्पष्ट है कि AI भविष्य की तकनीक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और हर एक देश अपनी रणनीतियों के माध्यम से AI सेक्टर में आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, भारत AI के क्षेत्र में अमेरिका और चीन की तुलना में पीछे है। क्या है इसकी ठोस वजहें?
निवेश की कमी
वर्ष 2023 में AI पर भारत का निवेश सिर्फ1-2 अरब डॉलर था।
बड़े पैमाने पर GPU, डेटा सेंटर और AI रिसर्च पर निवेश की जरूरत है।
बुनियादी ढांचे की कमी
भारत में AI कंप्यूटिंग संसाधनों की कमी है, हालांकि सरकार 10,000 GPU और AI सुपरकंप्यूटर पर काम कर रही है।
रिसर्च और टैलेंट का माइग्रेशन
भारत के AI एक्सपर्ट और इंजीनियर बड़ी संख्या में अमेरिका और यूरोप चले जाते हैं।
गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एनवीडिया जैसी कंपनियों में कई भारतीय साइंटिस्ट लीड रोल में हैं लेकिन वे भारत में नहीं, बल्कि विदेशों में काम कर रहे हैं।
डेटा और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
भारत में अभी तक रिलायंस, टाटा, और अदाणी जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं।
सरकारी नीतियां और स्केलेबिलिटी
अमेरिका में AI पर रिसर्च और इनोवेशन को सरकार और प्राइवेट सेक्टर मिलकर बढ़ावा देते हैं।
चीन ने AI को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकता बना लिया है और सरकारी स्तर पर कंपनियों को समर्थन मिल रहा है।
भारत में AI पॉलिसी और रेगुलेशन को लेकर अब जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन अभी तक कोई बड़ा सरकारी फंडिंग प्रोग्राम नहीं आया है।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap