भारत क्यों नहीं बना पा रहा खुद का व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम?
देश
• NEW DELHI 16 Aug 2025, (अपडेटेड 16 Aug 2025, 4:17 PM IST)
भारत अभी तक वैश्विक स्तर का अपना खुद का कोई सोशल मीडिया एप नहीं बना पाया है। ऐसा नहीं है कि कोशिश नहीं हुई है। प्रयास के बावजूद अभी तक अपेक्षित सफलता नहीं मिली है।

भारत के सामने देसी सोशल मीडिया बनाने की चुनौती। (AI Generated Image)
भारत के पास अभी तक अपना कोई ग्लोबल सोशल मीडिया एप नहीं है। मोदी सरकार कई बार देश से खुद के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने की अपील कर चुकी है। कुछ कोशिश हुई, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से एक बार फिर देश से खुद के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तैयार करने की अपील की। आज यही जानने की कोशिश करेंगे कि सरकार के बार-बार अपील के बाद भी भारत खुद का सोशल मीडिया क्यों नहीं बना पा रहा है। इसमें दिक्कत क्या है, खुद के सोशल मीडिया एप का होना क्यों जरूरी है और अमेरिकी कंपनियों पर भारत की कितनी निर्भरता है?
79वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेटिंग सिस्टम से साइबर सुरक्षा तक, डीप टेक से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक, सब कुछ हमारा अपना होना चाहिए। हमारा यूपीआई प्लेटफॉर्म आज दुनिया को हैरान कर रहा है। हमारे पास क्षमता है। भारत अकेले ही 50 फीसदी रियल टाइम लेनदेन यूपीआई से कर रहा है। पीएम ने आगे कहा, 'मैं अपने देश के युवाओं को चुनौती देता हूं, हमारे अपने प्लेटफॉर्म क्यों नहीं हैं? हमें दूसरों पर निर्भर क्यों रहना चाहिए? भारत का धन बाहर क्यों जाना चाहिए।'
यह भी पढ़ें: दिल्ली ही नहीं हरियाणा-पंजाब वालों का भी टाइम बचाएगा UER-2, समझिए कैसे
भारत में विकल्प की कमी
भारत के अधिकांश लोग अभी तक अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं। उनके पास फेसबुक, व्हाट्सएप, मैसेनजर, इंस्टाग्राम, एक्स और यू्ट्यूब का कोई विकल्प नहीं है। दूसरी तरफ पड़ोसी देश चीन के पास अमेरिका एप के विकल्प हैं। उसका खुद का फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब हैं। यही वजह है कि अमेरिकी एप चीन में बैन है। अगर भारत में कोई फेसबुक यूजर्स कोई दूसरे एप पर शिफ्ट होना चाहे तो उसके पास कोई विकल्प नहीं है। मतलब जनता को मजबूरी में अमेरिकी एप इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
चीन ने बनाया अपना खुद का सोशल मीडिया इकोसिस्टम
व्हाट्सएप की तरह चीन के पास अपना मैसेजिंग एप है। इसका नाम WeChat है। इसके लगभग 1.2 अरब से अधिक यूजर्स हैं। भारत के लोग जहां हर बात गूगल पर सर्च करते हैं तो वहीं चीन का अपना बायडू नाम से सर्च इंजन है। वहां 'गूगल करो' बहुत कम लोग बोलते हैं। सिना वेइबो को चीन का ट्विटर माना जाता है। YouTube की तर्ज पर चीन ने अपना एप बनाया है। इसका नाम Youku Tudou है। इस एप को रोजाना लगभग 20 करोड़ बार से ज्यादा देखा जाता है। चीन का रेनरेन एप फेसबुक का क्लोन है। मतलब यह एप ठीक वैसे ही काम करता है जैसे अमेरिका का फेसबुक।
अमेरिकी एप पर कितना निर्भर भारत?
भारत में 2025 में 15 सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया एप में से 13 अमेरिका है। इस सूची में सिर्फ MOJ इकलौता भारतीय एप है। लगभग 15.7 फीसदी भारतीय इंटरनेट यूजर्स MOJ एप का इस्तेमाल करते हैं। इसके उलट 80.8 फीसदी इंटरनेट यूजर्स व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं। 77.9 फीसदी इंस्टाग्राम और 67.8 फीसदी यूजर्स फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं।
58.1 फीसदी यूजर्स के साथ टेलीग्राम चौथे स्थान पर है। मगर वह अमेरिकी कंपनी नहीं है। एक अन्य अमेरिकी कंपनी स्नैपचैट के पास भारत में 46.9% फीसदी यूजर्स बेस है। भारत में लोग सबसे अधिक समय यूट्यूब पर बिताते हैं। एक महीने एक यूजर यूट्यूब पर 29 घंटे 37 मिनट समय खर्च करता है।
भारत में लोकप्रिय अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
- सिग्नल
- फेसबुक
- इंस्टाग्राम
- व्हाट्सएप
- यूट्यूब
- स्नैपचैट
- एक्स
- रेडिट
- पिनट्रेस्ट
- लिंक्डिन
koo भी हो गया बंद
व्हाट्सएप की तर्ज पर भारत ने Hike नाम का अपना एप विकसित किया था। शुरुआत में यह एप काफी लोकप्रिय हुआ और बाद में सोशल मीडिया से गायब हो गया। इसी तरह ट्विटर के साथ भारत सरकार की तनातनी के बाद Koo नाम का प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है। पिछले साल फंडिंग नहीं मिलने पर Koo को बंद कर दिया गया। 2015 में भारत का अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ShareChat शुरू हुआ। आज इसके करोड़ों यूजर्स हैं। आज भारत को ऐसे कई एप की जरूरत है। भारत में मोज, रोपोसो, चिंगारी, कू, ट्रेल, मित्रों, पब्लिक और लोकल जैसे कई और एप बने, लेकिन यह सभी उतने लोकप्रिय नहीं हो सके जितना अमेरिकी एप बने।
यह भी पढ़ें: ट्रम्प ने जेलेंस्की को किया फोन, अलास्का में पुतिन से बन गई बात?
भारत के सामने दिक्कत क्या है?
डिजिटल उद्योग में भारत की कई कंपनियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पेटीएम, स्विगी, जोमैटो, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, ओला, रैपिडो और मीशो जैसे सफल प्लेटफॉर्म है। मगर सोशल मीडिया में ट्रैक रिकॉर्ड सही नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अच्छे गुणवत्ता वाले डेटा सेंटर की कमी है। देश के अच्छे इंजीनियर और टेक दिग्गज बेहतरीन अवसर की तलाश में विदेश जाते हैं। इस वजह से एक बेहतरीन इको सिस्टम नहीं बन पाता है। जबकि यही भारतीय लोग गूगल, माइक्रोसॉफ्ट औ एपल जैसी कंपनियों में झंडा बुलंद करते हैं।
सोशल मीडिया स्टार्टअप फेल होने के पीछे एक वजह फंडिंग का न मिलना है। भारत के धनकुबेर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पैसा लगाने से बचते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो Koo जैसी कंपनी बंद नहीं होती। सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत के लोग खुद के एप से अधिक विदेशी सोशल मीडिया एप के लती है। जब तक देश के लोग अपने प्लेटफॉर्म को अपनाना शुरू नहीं करेंगे तब तक देसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सफल होना संभव नहीं है।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap