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दीघा मंदिर पर ओडिशा और पश्चिम बंगाल में ठन क्यों गई? इनसाइड स्टोरी

पश्चिम बंगाल के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर के नाम पर विवाद शुरू हो चुका है। पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने इस पर आपत्ति जताई। अब ओडिशा सरकार भी इस विवाद में कूद गई है।

Digha Jagannath temple

दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर। Photo Credit:X/Social Media

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल को दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया। मगर अब इस मामले में बंगाल और ओडिशा सरकार के बीच ठन गई है। दूसरी तरफ मंदिर के नाम पर पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। पश्चिम बंगाल का दीघा शहर समुद्र तट पर बसा है। यहां बना नया जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी से करीब 350 किमी दूर है। 30 अप्रैल को दीघा मंदिर के उद्घाटन में पुरी मंदिर के वरिष्ठ सेवक रामकृष्ण दासमोहपात्रा और इस्कॉन के पुजारियों ने हिस्सा लिया था। इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास के मुताबिक इस मंदिर में गैर-हिंदुओं और विदेशियों को भी प्रवेश मिलेगा। बता दें कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश मिलता है।

 

आइए जानते हैं इससे जुड़ा पूरा विवाद... ओडिशा सरकार और पुरी के जगन्नाथ मंदिर को क्या है आपत्ति?

 

'धाम' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति

दीघा में बना मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर के जैसा है। पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने विज्ञापनों में मंदिर के नाम के साथ 'धाम' शब्द का इस्तेमाल किया है। पुरी मंदिर के पुजारियों को धाम शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति है। 

 

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सेवकों ने जारी किया नोटिस

पुरी मंदिर में भोग तैयार करने वाले सेवकों के समूहों ने नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि दीघा मंदिर के किसी भी अनु्ष्ठान में भाग न लें। मंदिर के एक सेवक ने कहा कि वे दीघा मंदिर के उद्घाटन का स्वागत करते हैं। मगर पुरी के मूल मंदिर के अनुष्ठानों की नकल नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होगा तो पुरी मंदिर का महत्व घट जाएगा।

 

पुरी मंदिर के वरिष्ठ सेवक रामचंद्र दासमोहपात्रा का कहना है कि हिंदू धर्म में केवल चार धाम हैं, बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम। उन्होंने आगे कहा कि दीघा मंदिर की मूर्तियां पत्थर से बनी हैं। वहीं हिंदू परंपरा के मुताबिक भगवान जगन्नाथ दारू ब्रह्म हैं। वे कभी पत्थर से नहीं बने हैं। दारू लकड़ी है और ब्रह्मा सर्वोच्च शक्ति हैं। ये मूर्तियां नीम की लकड़ी से बनी हैं। 

क्या घट जाएगी भक्तों की संख्या?

पश्चिम बंगाल से ओडिशा बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं। माना जा रहा है कि दीघा मंदिर के निर्माण से पश्चिम बंगाल से आने वाले भक्तों की संख्या में कमी आ सकती है। इस कारण भी पुरी मंदिर के पुजारियों की चिंता बढ़ी है।  ओडिशा सरकार के सांख्यिकी बुलेटिन के अनुसार, 2023 में प्रदेश में 97.25 लाख घरेलू पर्यटक आए थे। इसमें से 13.59 लाख पर्यटक पश्चिम बंगाल के थे। 

 

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ओडिशा सरकार ने दिया जांच का आदेश

इस बीच पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकार के बीच राजनीतिक विवाद भी शुरू हो चुका है। दावा किया गया कि दीघा मंदिर में पुरी मंदिर के नीम की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रमुख अरबिंद पाधी को मामले की जांच का आदेश दिया है। दावे के मुताबिक 2015 में आयोजित नवकलेवर समारोह से बची हुई नीम की लकड़ी का उपयोग दीघा मंदिर की मूर्तियों के निर्माण में किया गया है।

दीघा मंदिर के बारे में जानें

पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में समुद्र किनारे दीघा कस्बा बसा है। यहां 24 एकड़ भूमि पर भव्य जगन्नाथ मंदिर बनाया गया गया। इसकी लागत 250 करोड़ रुपये है। मंदिर का निर्माण कलिंगन स्थापत्य शैली में बलुआ पत्थर से किया गया है। इसकी कुल उचांई 213 फुट है। मंदिर बनाने का एलान 2019 में हुआ था। मगर निर्माण कार्य मई 2022 से शुरू हुआ था। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और देवी महालक्ष्मी को समर्पित है।

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