तुर्किये से जापान तक, क्या ये देश बना पाएंगे अपना परमाणु बम?
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• NEW DELHI 29 May 2025, (अपडेटेड 29 May 2025, 8:32 PM IST)
दुनियाभर के देशों के बीच परमाणु होड़ शुरू हो चुकी है। जो देश कभी परमाणु कार्यक्रम त्यागने की बात कह चुके हैं, अब वहां भी सामूहिक विनाश के हथियारों की मांग उठने लगी हैं।

परमाणु हथियार। (AI Generated Images)
दुनियाभर के देशों में परमाणु हथियारों की होड़ दोबारा मचने लगी है। तुर्किये से जापान और सऊदी अरब से ईरान तक, कई देश परमाणु हथियार अपनाने पर विचार करने में जुटे हैं। कुछ देशों ने गुप्त परमाणु कार्यक्रम भी चलाया। मगर सभी को सफलता नहीं मिली। 1945 में अमेरिका ने परमाणु युग की शुरुआत की। जुलाई 1945 में पहला परमाणु परीक्षण किया गया और अगले महीने अगस्त में जापान पर दो परमाणु बमों से हमला किया। तब अमेरिका को लग रहा था कि वह दुनिया का इकलौता देश होगा, जिसके पास परमाणु बम रहेगा। मगर उसका भ्रम टूटा और अब तक 9 देशों ने परमाणु हथियार बनाने में कामयाबी हासिल की, लेकिन कुछ और देश भी हैं, जो अब बदले परिवेश में परमाणु हथियार विकसित करना चाहते हैं।
अभी तक कुल 29 देशों ने परमाणु बम बनाने की कोशिश की। मगर कामयाबी सिर्फ 10 देशों को मिली। मौजूदा समय में सिर्फ 9 देशों के पास परमाणु बम हैं। लैटिन अफ्रीका में अर्जेंटीना का परमाणु कार्यक्रम बेहद उन्नत है। ब्राजील के पास भी कुछ तकनीक है। जापान, दक्षिण कोरिया, तुर्किये, सऊदी अरब और ईरान भी परमाणु हथियार बनाना चाहते हैं।
अर्जेंटीना, ब्राजील, मिस्र, स्विटज़रलैंड, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान ने अपने परमाणु कार्यक्रम चलाए थे। बाद में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, जर्मनी, जापान और दक्षिण कोरिया समेत कई देशों परमाणु हथियार कार्यक्रम न अपनाने का फैसला किया, लेकिन अब इन देशों की धारणा में बदलाव आने लगा है।
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इन देशों में उठ रही परमाणु बम की मांग
जापान: जापान ने 1940 के दशक में अपना परमाणु कार्यक्रम चलाया था। विश्व युद्ध के बाद इसे खत्म कर दिया। अब चीन और उत्तर कोरिया के साथ उसका विवाद गहराता जा रहा है। ऐसे में जापान में भी परमाणु हथियारों की मांग उठने लगी है। माना जाता है कि जापान के पास परमाणु बम बनाने की तकनीक है। अगर वह चाहे तो महीने भर में बम बना सकता है।
दक्षिण कोरिया: उत्तर कोरिया ने 2006 में सफल परमाणु परीक्षण किया। समय-समय पर उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव देखने को मिलता है। दक्षिण कोरिया के लोग उत्तर कोरिया को खतरे के रूप में देखते हैं। अब यहां भी परमाणु बम की मांग उठने लगी। दक्षिण कोरिया के 70 फीसदी लोग परमाणु के पक्षधर हैं। माना जाता है कि दक्षिण कोरिया के पास परमाणु हथियारों की पर्याप्त तकनीक है।
ताइवान: ताइवान ने 1970 के दशक में खुद का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। बाद में अमेरिका के दबाव में खत्म करना पड़ा। मगर चीन की बढ़ती आक्रामकता ताइवान को परमाणु हथियार की तरफ धकेल सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक ताइवान के पास परमाणु बम बनाने की क्षमता है। ताइवान में 4900 मेगावाट की क्षमता वाली 6 परमाणु ऊर्जा इकाइयां चालू हैं।
ईरान: ईरान का परमाणु कार्यक्रम काफी उन्नत है। अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के पास 60 फीसदी तक संवर्धित यूरेनियम है। अगर वह चाहे तो एक महीने में हथियार ग्रेड यूरेनियम बना सकता है। वहीं एक परमाणु बम सिर्फ एक हफ्ते में बनाने की क्षमता है। इजरायल के साथ तनाव के बीच ईरान हर हाल में परमाणु बम बनाने की कोशिश में जुटा है।
सऊदी अरब: ईरान और सऊदी अरब के बीच दुश्मनी जग जाहिर है। अगर ईरान के पास परमाणु बम आता है तो सऊदी अरब भी इस दिशा में अपने प्रयास शुरू कर सकता है। हाल ही में सऊदी अरब ने कहा था कि अगर ईरान ने परमाणु बम बनाया तो हमें भी ऐसा ही करना पड़ेगा। उसने जनवरी महीने से यूरेनियम का संवर्धन करने की बात भी कही थी। सऊदी अरब ने अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौता करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुपचुप तरीके से सऊदी अरब भी परमाणु कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने लगा है।
तुर्किये: तुर्किये मुस्लिम जगत का लीडर बनना चाहता है। एर्दोगन ने परमाणु हथियार बनाने की इच्छा 2019 में जाहिर कर चुके हैं। रूस के साथ तुर्किये की नजदीकी से भी दुनियाभर में चिंता है। पाकिस्तान भी इसमें उसकी मदद कर सकता है। दरअसल, इजरायल के बाद तुर्किये मध्य-पूर्व में परमाणु शक्ति बनने की मंशा रखता है। इसी मंशा ने उसे बेताब कर रखा है।
किसने कब किया परमाणु परीक्षण?
- अमेरिका ने 1945 में पहली बार परमाणु बम दागा।
- सोवियत संघ ने 1948 में अपना पहला परमाणु टेस्ट किया था।
- यूनाइटेड किंगडम ने1952 में परमाणु हथियार बनाए।
- फ्रांस ने 1960 में पहला परमाणु परीक्षण किया।
- चीन ने 1964 में दुनिया के सामने परमाणु टेस्ट किया।
- भारत ने पहली बार 1974 में परमाणु परीक्षण किया।
- पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार परमाणु टेस्टिंग की।
- भारत ने 1998 में दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया।
- इजरायल ने कभी परमाणु परीक्षण नहीं किया। मगर उसके पास हथियार हैं।
यह देश एनपीटी के सदस्य नहीं
परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने की खातिर 1968 में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और 1996 में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) हुई। भारत, पाकिस्तान और इजरायल एनपीटी का हिस्सा नहीं हैं। 2003 में उत्तर कोरिया ने भी एनपीटी से खुद को अलग कर लिया। ईरान एनपीटी का सदस्य है। बावजूद इसके उसने गुप्त तरीके से अपना परमाणु कार्यक्रम चलाया। यह भी सच है कि एनपीटी के बाद कई देशों को अपने परमाणु कार्यक्रमों को खत्म करना पड़ा।
टूटा इन देशों का परमाणु ख्वाब
इराक ने 1991 में गुप्त तरीके से परमाणु कार्यक्रम चलाया। बाद में अमेरिका ने इराक के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। सद्दाम हुसैन के पतन के साथ ही इराक का परमाणु सपना चकनाचूर हो गया। लीबिया ने भी परमाणु बम बनाने की कोशिश की। मगर 2003 में इसने अंतरराष्ट्रीय दबाव में स्वेच्छा से अपना कार्यक्रम खत्म कर दिया। सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद ने भी परमाणु बम हासिल करने का प्रयास किया। 2007 में इजरायल ने सीरिया के अल किबर में निर्माणाधीन रिएक्टर पर बमबारी करके असद का ख्वाब तबाह कर दिया।
इन देशों के पास अमेरिका व रूस के परमाणु बम
इटली, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड और तुर्किये के पास अपने परमाणु बम नहीं है। मगर यहां अमेरिका ने अपने बम रखे हैं। उधर, रूस ने बेलारूस में अपने परमाणु बमों की तैनाती कर रखी है।
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वो मुल्क जिन्होंने परमाणु जखीरा लौटा दिया
1979 में दक्षिण अफ्रीका ने अपना पहला परमाणु बम बनाया था। मगर 1993 में उसने स्वेच्छा से ही अपने परमाणु भंडार को नष्ट करने का एलान किया। कजाकिस्तान, बेलारूस और यूक्रेन को सोवियत संघ के पतन के बाद विरासत में परमाणु बम मिले, लेकिन बाद में इन देशों ने अपने बमों को लौटा दिया था।
किसने-किसकी मदद से बनाए परमाणु हथियार?
अमेरिका, सोवियत संघ, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और भारत ने अपने दम पर परमाणु बमों को विकसित किया। कहा जाता है कि इजरायल ने फ्रांस की मदद से परमाणु हथियार हासिल किए। उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को पाकिस्तान से मदद मिली और चीन ने काफी हद तक समर्थन दिया। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को अमेरिका से मदद मिली। दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल की मदद से गुपचुप तरीके से परमाणु हथियारों को विकसित किया। पाकिस्तान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक ने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को मदद पहुंचाई।
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