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24% ही क्यों? वह फॉर्मूला जिससे 1 से 1.24 लाख हुई सांसदों की सैलरी

पांच साल बाद लोकसभा-राज्यसभा सांसदों की सैलरी बढ़ गई है। सांसदों की सैलरी में 24% का इजाफा हुआ है। ऐसे में जानते हैं कि 5 साल बाद सांसदों की सैलरी किस आधार पर बढ़ी है? और 24% ही क्यों बढ़ी है?

mp salary hike

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की सैलरी बढ़ गई है। पहले सांसदों की हर महीने की बेसिक सैलरी 1 लाख रुपये थी। अब बढ़कर 1.24 लाख रुपये हो गई है। बढ़ी हुई सैलरी 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी। इसका मतलब हुआ कि सांसदों को एक साल का एरियर भी मिलेगा। 


सिर्फ सैलरी ही नहीं, बल्कि सांसदों को मिलने वाले भत्ते भी बढ़ गए हैं। पूर्व सांसदों की पेंशन भी 25 हजार से बढ़ाकर 31 हजार रुपये कर दी गई है।

 

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मगर सैलरी बढ़ी क्यों?

आजादी के बाद 1954 में सांसदों की महीनेभर की सैलरी 400 रुपये थी। आखिरी बार सांसदों की सैलरी 2018 में बढ़ाई गई थी। तब सांसदों की सैलरी 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये हुई थी। 2018 के बाद अब अब सैलरी बढ़ी है। यह 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी। इसलिए 5 साल में सैलरी बढ़ाई गई है।


दरअसल, 2018 से पहले तक सांसदों की सैलरी संसद से बढ़ती थी। इसके लिए बिल लाना पड़ता था। बिल पर बहस होती थी और पास होने के बाद ही सैलरी बढ़ाई जाती थी। इसकी आलोचना भी होती थी, क्योंकि इसमें सांसदों की सैलरी बढ़ाने का कोई फॉर्मूला नहीं था।


2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सांसदों को अपना वेतन तय नहीं करना चाहिए। इसके बाद 2018 में फाइनेंस एक्ट में संशोधन किया गया और तय हुआ कि सांसदों की सैलरी हर 5 साल में बढ़ेगी। सैलरी बढ़ाने का आधार कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स यानी CII होगा। इसके लिए 1954 में सांसदों की सैलरी और पेंशन तय करने वाले कानून में संशोधन किया गया, ताकि सैलरी को मुद्रास्फीति यानी CII से जोड़ा जा सके।


चूंकि, 2018 में आखिरी बार सैलरी बढ़ी थी, इसलिए 2023 में इसे बढ़ना था। मगर कोविड और बाकी कारणों के चलते ऐसा नहीं हो सका। आखिरकार 24 मार्च को संसदीय कार्य मंत्रालय ने सांसदों की सैलरी-भत्ते और पूर्व सांसदों की पेंशन बढ़ाने वाली अधिसूचना जारी कर दी।

 

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CII को आधार क्यों बनाया गया?

CII यानी कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स, जिसे हिंदी में लागत मुद्रास्फीति सूचकांक कहते हैं, को इसलिए आधार बनाया गया, क्योंकि यह महंगाई मापने का एक तरीका है। इससे पता चलता है कि हर साल किस दर से महंगाई बढ़ गई है।


खाने-पीने और जरूरत की चीजों के सामान की महंगाई मापने के लिए जिस तरह से कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) और होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) है, वैसे ही कैपिटल गेन या संपत्तियों पर लगने वाले टैक्स को मापने के लिए CII का इस्तेमाल होता है। 

 


2018 से सांसदों की सैलरी और पेंशन तय करने के लिए भी इस्तेमाल हो रहा है। हर साल सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) इसे जारी करता है। 

 

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24% ही क्यों बढ़ी सैलरी?

सांसदों की सैलरी और पूर्व सांसदों की पेंशन 24% ही क्यों बढ़ी? इसे आसान भाषा में समझने के लिए कुछ गुणा-भाग करना पड़ेगा।


आखिरी बार 2018 में सैलरी बढ़ी थी। CBDT की वेबसाइट के मुताबिक, 2017-18 में CII 280 था। अब 2023 में सैलरी बढ़ी है और 2023-24 में CII 348 था। यानी, 2017-18 से 2023-24 के बीच CII 24.29% बढ़ा है। 


अब चूंकि, 2017-18 से 2023-24 के बीच CII 24% बढ़ा है, इसलिए सैलरी भी इतनी बढ़ी। 2018 में सैलरी 1 लाख रुपये थी। इसमें 24% बढ़ने का मतलब हुआ कि 24 हजार रुपये। इसलिए कुल मिलाकर सैलरी हुई 1.24 लाख रुपये। यही फॉर्मूला पेंशन पर भी अप्लाई हुआ है। पहले पूर्व सांसदों की पेंशन थी 25 हजार रुपये। इसे 24% बढ़ाया जाए तो होता है 31 हजार रुपये।


हालांकि, यह 2017-18 और 2023-24 के CII को अंदाजन लिया गया है। चूंकि, CII के आधार पर सैलरी 24% बढ़ी है, इसलिए माना जा सकता है कि 2017-18 और 2023-24 के CII को लिया गया होगा। अगर 2017-18 और 2022-23 के CII की तुलना की जाती तो यह 18.21% होता।

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