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CISF को क्यों थी महिला बटालियन जरूरत? विस्तार से समझिए

गृह मंत्रालय ने CISF में महिला बटालियन की स्थापना को मंजूरी दी है। इससे बदलेगा क्या, आइए जानते हैं।

CISF Women wing

देश की सुरक्षा में तैनात CISF जवान।

भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर हो या दिल्ली मेट्रो, भारत की सुरक्षा में हिंदुस्तानी लड़कियां जी-जान से जुटी हैं। सेना हो या अर्ध सैनिक बल हिंदुस्तानी लड़कियों का दम, पूरी दुनिया देख रही है। गृह मंत्रालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में शामिल होने की चाहत रखने वाली लड़कियों के लिए एक और बहु-प्रतीक्षित फैसला पर मुहर लगाई है।

महिलाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा में अहम भूमिका देने के लिए गृह मंत्रालय ने CISF की पहली महिला बटालियन की स्थापना को मंजूरी दे दी है। CISF के डिप्टी कमांडेंट नितिन कुमार ने खबरगांव से बातचीत में बताया कि महिलाओं की भागीदारी अब CISF में और बढ़ने वाली है। ऐसा नहीं है कि महिलाएं पहले CISF  में शामिल नहीं थी लेकिन अब उनके लिए एक अलग बटालियन ही बनाया जा रहा है, यह उनके काम का अब सही सम्मान है। CISF की कुल रिजर्व बटालियन 12 हैं, अब यह 13 होने जा रही है। 

अलग बटालियन की जरूरत क्या थी?
डिप्टी कमांडेंट नितिन कुमार बताते हैं कि महिलाएं, CISF में शामिल होना पसंद करती हैं। इसमें जोखिम है तो राष्ट्र रक्षा का भाव भी है। अभी महिला जवानों की संख्या 7 प्रतिशत से ज्यादा है। यह और बढ़ने वाली है। महिला बटालियन बनने की वजह से अब और महिलाएं, इसमें शामिल होंगी और अपने सपनों को पंख देंगी। CISF मुख्यालय, नई दिल्ली में महिला बटालियन के लिए भर्ती, प्रशिक्षण और चयन के लिए तैयारियां शुरू तेज हो गई हैं। पहले महिलाएं, अलग-अलग बटालियन का हिस्सा थीं, अब उनका खुद का बटालियन होगा।


महिला बटालियन की जिम्मेदारी क्या होगी?
डिप्टी कमांडेंट नितिन कुमार के मुताबिक महिला बटालियन को खास ट्रेनिंग दी जाएगी, उन्हें रणनीतिक रूप से अहम जगहों पर नियुक्त किया जाएगा। वे महिला कमांडो के तौर पर एयरपोर्ट, मेट्रो, एटमिक प्लांट जैसे कर्तव्य स्थलों की सुरक्षा करेंगी। महिलाओं की ट्रेनिंग अवधि भी एक साल की ही होती है। उनकी ट्रेनिंग वैसी ही होती है जैसे पुरुष जवानों की होती है, जिससे वे हर परिस्थितियों से निपटने लायक बन सकें। 

हर मोर्चे पर खुद को साबित करेगी CISF की महिला बटालियन।

55 साल बाद मिलेगा पहला बटालियन
दिल्ली का मेट्रो स्टेशन हो या मुंबई का एयरपोर्ट, न्यूक्लियर प्लांट हों या शस्त्रागार, देश के रणनीतिक रूप से अहम औद्योगिक संस्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस सुरक्षाबल के हवाले होती है, उसका नाम है केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)। सार्वजनिक क्षेत्रों के अलग-अलग उपक्रमों को संभालने की जिम्मेदारी लेने वाले इस संगठन का गठन 15 मार्च 1969 में हुआ था। अब CISF को 55 साल बाद, पहली बार महिला बटालियन मिलने जा रहा है।

क्या है CISF की ताकत?
जब CISF का गठन हुआ, तब इसमें 2800 जवान शामिल थे। अब इस विभाग में 1 लाख से ज्यादा सुरक्षाकर्मी हैं। इनमें महिलाएं भी हैं और पुरुष भी। अप्रैल 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने इनकी क्षमता 145000 से बढ़ाकर 180000 करने का फैसला किया था, जिसे अब और भी बढ़ा दिया गया है। 

संवेदनशील जगहों की हिफाजत करेंगी महिलाएं 
डिप्टी कमांडेंट नितिन कुमार बताते हैं कि CISF का संचालन, गृहमंत्रालय करता है। इस संगठन का मकसद, देश के औद्योगिक संस्थानों की सुरक्षा है। संसद से लेकर आपदा प्रबंधन तक में इसके जवान पहली पंक्ति में खड़े नजर आते हैं। CISF के जवानों की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा व्यापक है। अब महिला बटालियन को भी एयरपोर्ट, बंदरगाह, मेट्रो रेल नेटवर्क, पुरातत्व विभाग, इसरो, न्यूक्लियर प्लांट और VIP सुरक्षा की जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। 

सिर्फ देश नहीं, विदेश में भी लड़कियां संभालेंगी अहम जिम्मेदारी
CISF की महिला बटालियन को वैश्विक संस्थाओं में भी भारत की ओर से भेजा जाता है। अब उनके लिए अवसर और निखकर सामने आएंगे।

बेहद कड़ी ट्रेनिंग से गुजरती हैं महिला जवान।



कैसा है CISF का संगठन?
CISF का चीफ, डायरेक्ट जनरल रैंक के अधिकारी होते हैं। यह बल, 9 अलग-अलग सेक्टर में बंटा है। एयरपोर्ट, नॉर्थ, नॉर्थ-ईस्ट, ईस्ट, वेस्ट, साउथ, ट्रेनिंग, साउथ-ईस्ट, सेंट्रल एंड फायर सर्विस विंग। 

ऐसी होती है CISF जवानों की रैंकिंग?
-डायरेक्टर जनरल (DG-CISF)
-एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) 
-इंस्पेक्टर जनरल (IG)
-डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG)
-सीनियर कमकांडेंट
-कमांडेंट
-डिप्टी कमांडेंट
-असिस्टेंट कमांडेंट
-इंस्पेक्टर
-सब इंस्पेक्टर

बटालियन बनने से होगा क्या?
सेना की तरह, अर्ध सैनिक बलो में भी बटालियन का क्रेज होता है। महिला बटालियन बनने से क्षमता बढ़ेगी और नई भर्तियां होंगी। एक बटालियन में हजारों महिला सुरक्षाकर्मी हो सकती हैं। इस बटालियन में कई कंपनियां होंगी। इनके पास आयुध भंडार से लेकर ट्रेनिंग तक के लिए अलग व्यवस्था की जाएगी। इनकी ट्रेनिंग होगी और आने वाले दिनों में महिलाओं की ये टुकड़ी और मजबूती से देश की हिफाजत करती नजर आएगी।

कहां होगी महिला अधिकारियों की ट्रेनिंग, जोखिम कितना?
डिप्टी कमांडेंट नितिन कुमार बताते हैं कि आमतौर पर CISF में अधिकारियों की ट्रेनिंग हैदराबाद ट्रेनिंग सेंटर में होती है। सब इंस्पेक्टर और अन्य जवानों की ट्रेनिंग, अलग-अलग क्षेत्रीय ट्रेनिंग सेंटरों में होती है। महिला बटालियन बनने के बाद उन्हें खास तौर पर ट्रेन किया जाएगा। हैदराबाद में ही स्पेशल टैक्टिक्ट एंड ट्रेनिंग विंग (STTW) स्कूल है। यहां महिला कमांडोज को तैयार किया जाएगा। उन्हें फील्ड क्राफ्ट, औद्योगिक और आंतरिक सुरक्षा, हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इन्हें निशानेबाजी भी सिखाई जाती है। 

कब पहली बार CISF में शामिल हुईं महिलाएं?
शुरुआती दौर में CISF में महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी। यहां सिर्फ पुरुषों की भर्ती होती थी। साल 1992 में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) की पहली महिला कमांडेंट बनीं। उनकी पोस्टिंग मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में हुई। पहले महिलाओं की नियुक्ति सुपरवाइजिंग से जुड़े विभागों में ही होती थी। महिलाओं पर बनी एख संसदीय समिति ने तय किया कि महिलाओं की CISF में अहम भूमिका दी जानी चाहिए। इनकी सिफारिशों पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने महिलाओं के लिए पैरा मिलिट्री बलों में आरक्षण का ऐलान किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय का निर्णय है कि अब इन बलों में 15 फीसदी महिला कर्मी होंगी। 5 जनवरी 2016 को 33 फीसदी कांस्टेबल स्तर की नियुक्तियों में महिलाओं को रखने का निर्णय हुआ। महिला कर्मचारियों को CISF आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। 

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