घर बिकने को तैयार, पर खरीदार नहीं! DDA फ्लैट्स से क्यों कतराते हैं लोग
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• NEW DELHI 22 May 2025, (अपडेटेड 22 May 2025, 7:47 PM IST)
27 मई से DDA फ्लैट्स की बिक्री शुरू होने जा रही है लेकिन इसके बावजूद कई लोग इन्हें खरीदने से पीछे हट रहे हैं। आखिर क्या कारण है लोगों की इस हिचकिचाहट के पीछे? जानिए पूरी जानकारी यहां।

डीडीए, Photo Credit: Freepik
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने 27 मई से अपना घर आवास योजना 2025 के तहत 7,500 फ्लैट्स की बुकिंग शुरू करने जा रही है। यह स्कीम नरेला, सिरसपुर और लोकनायकपुरम में EWS, LIG, MIG, और HIG कैटेगरी के फ्लैट्स को कवर करती है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 20 मई को इस योजना को लॉन्च किया। इसका टारगेट दिल्ली में किफायती और गुणवत्तापूर्ण आवास उपल्बध कराना है। यह स्कीम सबका घर आवास योजना और श्रमिक आवास योजना का हिस्सा है, जिसमें 25% तक छूट दी जा रही है। अब आपको यह सुनकर हैरानी होगी कि इतनी छूट मिलने के बावजूद लोग DDA के फ्लैट्स खरीदने के कतरा रहे है।
दरअसल, DDA के ज्यादातर फ्लैट्स दिल्ली के बाहरी इलाकों में हैं। इन जगहों पर पहुंचना मुश्किल है क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा कम है। वहीं, इन इलाकों में बुनियादी सुविधाएं जैसे अच्छे स्कूल, अस्पताल, मार्केट और मनोरंजन के साधन कम हैं। इसके अलावा DDA के फ्लैट्स में पुरानी पानी की लाइनें, सीलन और सीवर की समस्याएं हैं। कुछ तो बिल्कुल जर्जर हाल में हैं, जिससे लोग इन्हें खरीदने से हिचकते हैं। कई DDA फ्लैट्स लीज होल्ड पर हैं, जिसका मतलब है कि मालिकाना हक पूरी तरह नहीं मिलता। बता दें कि डीडीए की कई हाउसिंग स्कीम्स फ्लॉप रही हैं। जैसे: 2021 में 18,335 फ्लैट्स में से सिर्फ 5,227 ही बिके। इससे लोगों का भरोसा डीडीए पर कम हो गया है।
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क्या DDA फ्लैट्स वाकई आकर्षण खो रहे हैं?
DDA के फ्लैट्स को लेकर लोगों में अब पहले जैसा उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है। इसी कड़ी में खबरगांव ने DDA फ्लैट खरीदने वाले एक वास्तविक ग्राहक से बातचीत की ताकि जमीनी सच्चाई का पता लगाया जा सके। हरियाणा के मुजफ्फरनगर जिले के निवासी सुमीत निरवाल ने वर्ष 2021 में द्वारका स्थित DDA की एक योजना के तहत MIG कैटेगरी में करीब 1.14 करोड़ रुपये में 2BHK फ्लैट खरीदा था।
खबरगांव से बातचीत में सुमीत ने बताया:
'मैंने इस फ्लैट में अपनी जिंदगी की पूरी कमाई लगा दी थी। सोचा था कि सरकार की योजना है, तो क्वालिटी बेहतरीन होगी लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग निकली। फ्लैट के कमरे छोटे थे और अंदर से बेहद कंजेस्टेड। हम वहां केवल एक महीने ही रह पाए। गांव में खुले वातावरण में रहने की आदत थी, तो यह फ्लैट किसी डिब्बे जैसा लगने लगा। मजबूरन इसे किराए पर चढ़ाना पड़ा और हम खुद किराए के एक निजी फ्लैट में रहने लगे। आज लगता है कि इतनी बड़ी रकम खर्च कर DDA फ्लैट खरीदना बड़ी भूल थी। प्राइवेट बिल्डर से घर लेना कहीं बेहतर विकल्प होता।'
DDA के 7,500 फ्लैट अब भी खाली, पूर्व इंजीनियर की राय
खबरगांव ने DDA के पूर्व एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आर.एस. गौतम से बातचीत की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर क्यों लोग अब DDA के फ्लैट्स में निवेश करने से कतरा रहे हैं। आर.एस. गौतम के अनुसार, 2024 के बाद से DDA के लगभग 7,500 फ्लैट्स खाली पड़े हैं, जिनकी बिक्री इस वर्ष की जानी है। जब उनसे पूछा गया कि लोगों की दिलचस्पी इन फ्लैट्स में क्यों कम हुई है, तो उन्होंने कहा, 'सबसे बड़ी समस्या लोकेशन की है। कई प्रोजेक्ट्स ऐसे इलाकों में हैं जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं सीमित हैं। ऐसे में लोग वहां निवेश करने से बचते हैं।' हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि 'नरेला के पास अब मेट्रो आने का काम चल रहा है, जिससे आने वाले समय में कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इसके चलते हमें उम्मीद है कि इस साल फ्लैट्स की बिक्री में तेजी आ सकती है।'
जब खबरगांव ने फ्लैट्स की स्थिति के बारे में सवाल किया, तो आर.एस. गौतम ने बताया, 'चूंकि ये फ्लैट्स कई साल पहले बनकर तैयार हो चुके हैं, इसलिए इनमें कुछ हद तक डैमेज होना स्वाभाविक है लेकिन जब तक कोई व्यक्ति खुद जाकर फ्लैट का निरीक्षण नहीं करता, उसकी असली स्थिति का मूल्यांकन करना मुश्किल होता है।'
15 साल पहले DDA की कैसे होती थी बुकिंग?
2010 के आसपास और 2025 में डीडीए की बुकिंग प्रक्रिया, कीमत, सुविधाएं और मांग में बेहद अतंर देखने को मिले। 15 साल पहले यानी 2010 के आसपास की बात करें तो उस समय डीडीए फ्लैट्स की बुकिंग के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके उपलब्ध थे। लोग डीडीए ऑफिस में जाकर या डाक के जरिए आवेदन पत्र जमा करते थे। लॉटरी सिस्टम मुख्य तरीका था। आवेदन करने के बाद एक ड्रा के जरिए फ्लैट्स का आवंटन होता था। आवेदन के लिए फॉर्म बैंकों या डीडीए ऑफिस से खरीदे जाते थे और रजिस्ट्रेशन फीस जमा करनी पड़ती थी।
फ्लैट्स की कीमत
2010 में डीडीए फ्लैट्स की कीमतें आज की तुलना में काफी कम थीं। उदाहरण के लिए, LIG फ्लैट्स की कीमत 7-15 लाख और MIG/HIG फ्लैट्स 20-50 लाख के बीच थी, जो लोकेशन द्वारका, रोहिणी पर निर्भर करती थी। कीमतें आम लोगों के लिए सस्ती मानी जाती थीं, क्योंकि प्राइवेट बिल्डर्स के फ्लैट्स उस समय भी महंगे थे।
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लोकेशन और मांग
फ्लैट्स ज्यादातर द्वारका, रोहिणी, और वसंत कुंज जैसे विकसित इलाकों में थे, जहां मेट्रो और बुनियादी सुविधाएं बेहतर थीं, इसलिए मांग ज्यादा थी। नरेला जैसे बाहरी इलाकों में फ्लैट्स की मांग कम थी लेकिन कुल मिलाकर डीडीए फ्लैट्स को लोग निवेश और रहने के लिए अच्छा मानते थे। उस समय डीडीए की छवि निर्माण गुणवत्ता के लिए ठीक थी लेकिन कुछ प्रोजेक्ट्स में देरी और खराब फिनिशिंग की शिकायतें थीं। फ्लैट्स में बुनियादी सुविधाएं पानी, बिजली, सीवर होती थीं लेकिन आधुनिक सुविधाएं जैसे जिम, स्विमिंग पूल नहीं थीं।
रिफंड और नियम
अगर ड्रा में नाम नहीं निकलता था, तो रजिस्ट्रेशन फीस 3 महीने के अंदर बिना ब्याज के वापस मिलती थी। लीज होल्ड फ्लैट्स ज्यादा थे और फ्री होल्ड में बदलने की प्रक्रिया जटिल थी।
2025 में DDA फ्लैट्स की बुकिंग
अब बुकिंग पूरी तरह ऑनलाइन हो गई है। डीडीए की वेबसाइट (eservices.dda.org.in) पर लॉगिन बनाकर आवेदन करना होता है। फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व (FCFS) और ई-ऑक्शन सिस्टम लागू है। FCFS में फ्लैट चुनने के लिए 15-30 मिनट का समय मिलता है और बुकिंग अमाउंट ऑनलाइन जमा करना होता है। लॉटरी सिस्टम अभी भी कुछ स्कीम्स जैसे DDA Special Housing Scheme 2025 में है, जो कंप्यूटराइज्ड ड्रा के जरिए होता है। हालांकि, रजिस्ट्रेश फीस कम कर दी गई है।
फ्लैट्स की कीमत
कीमतें काफी बढ़ गई हैं। EWS फ्लैट्स 8.65-11.5 लाख से शुरू हैं, LIG फ्लैट्स 14-27 लाख, और MIG/HIG फ्लैट्स 29 लाख से 2.1 करोड़ तक हैं। 25% तक छूट दी जा रही है, खासकर EWS, LIG, और सरकारी कर्मचारियों को इससे फायदा मिलता है। फिर भी, कीमतें प्राइवेट बिल्डर्स से कम हैं लेकिन मध्यम वर्ग के लिए अब भी महंगी लगती हैं।
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लोकेशन और मांग
ज्यादातर फ्लैट्स अब नरेला, लोकनायकपुरम, सिरसपुर जैसे बाहरी इलाकों में हैं, जहां मेट्रो और सुविधाएं सीमित हैं। इस वजह से मांग घटी है। 2024 में 40 हजार फ्लैट्स बिके ही नहीं है, जिससे समझ आता है कि लोग अब ऐसे फ्लैट्स खरीदने से बच रहे है। इसके अलावा फ्लैट्स अब फ्री होल्ड हैं, जिससे मालिकाना हक आसान हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत EWS/LIG फ्लैट्स पर 6.5% ब्याज सब्सिडी मिलती है।
DDA का सिग्रनेचर अपार्टमेंट विवाद
दिल्ली के मुखर्जी नगर में स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स को लेकर विवाद पहले से ही सुर्खियों में है। इस अपार्टमेंट की खराब निर्माण गुणवत्ता, संरचनात्मक असुरक्षा, और डीडीए की लापरवाही के कारण अब लोग DDA के फ्लैट्स लेने से बच रहे है। बता दें कि सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स 2007-2010 के बीच डीडीए ने बनाए थे, जिसमें 336 फ्लैट्स (224 HIG और 112 MIG) हैं। ये 12 मंजिला टावरों में हैं, जिनकी लागत करीब 45 करोड़ थी।
फ्लैट्स की डिलीवरी 2011-12 में शुरू हुई और महज एक साल के भीतर ही फ्लैट्स में दरारें, छतों और दीवारों का गिरना और सीलन जैसी समस्याएं सामने आने लगी। 2021-22 में IIT दिल्ली की रिपोर्ट ने इमारत को 'संरचनात्मक रूप से असुरक्षित' घोषित किया और तुरंत खाली करने व तोड़ने की सलाह दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे 'अक्षम्य लापरवाही' बताया, जिसने सैकड़ों निवासियों की जिंदगी को खतरे में डाला। फिलहाल 326 फ्लैट्स में से 110 खाली हैं, और करीब 1,300 निवासी अभी भी वहां रह रहे हैं।
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