4 मांगों से क्या कुछ बदलेगा? लेह में 36 साल बाद भड़की हिंसा की कहानी
शांत रहने वाले लेह में बुधवार को अचानक हिंसा भड़क गई है। इस हिंसा में अब तक 4 की मौत हो चुकी है। 36 साल बाद लद्दाख में ऐसी हिंसा भड़की है।

लेह में प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी थी। (Photo Credit: PTI)
2019 में केंद्र शासित प्रदेश बने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर बुधवार को लेह में हिंसा भड़क गई। सड़कों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई। जगह-जगह आगजनी और हिंसा की घटनाएं सामने आईं। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई जबकि 80 लोग घायल हो गए, जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
आगजनी और तोड़फोड़ में शामिल प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर और हिल काउंसिल के दफ्तरों में भी तोड़फोड़ की और आग लगा दी। दर्जनों गाड़ियों को भी फूंक दिया। भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।
बताया जा रहा है कि जो लोग घायल हैं, उनमें कम से कम 6 की हालत गंभीर है। इसलिए मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
लद्दाख में लगभग 36 साल बाद इस तरह के हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। आखिरी बार 27 अगस्त 1989 को लद्दाख में ऐसी हिंसा भड़की थी। दिलचस्प बात यह है कि उस वक्त लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
लेह में बुधवार को भड़की हिंसा के लिए केंद्र सरकार ने एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के 'भड़काऊ बयानों' को जिम्मेदार ठहराया है। बीजेपी ने इस हिंसा को हवा देने के लिए कांग्रेस पर भी आरोप लगाए हैं। वहीं, इस हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है। सोनम वांगचुक 10 सितंबर से हड़ताल पर थे और उनकी यह हड़ताल 35 दिन की थी।
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...लेकिन यह सब हुआ क्यों?
5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। जम्मू-कश्मीर में तो विधानसभा भी रखी लेकिन लद्दाख में ऐसा नहीं किया।
इसके बाद से ही लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने समेत कई मांगों को लेकर प्रदर्शन होते रहे हैं। एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक अपनी मांगों को लेकर कई बार भूख हड़ताल कर चुके हैं।
अपनी मांगों को लेकर लेह अपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) पिछले 4 साल से केंद्र सरकार से बातचीत कर रही थी। हालांकि, अब तक कोई बात नहीं बन सकी। 10 सितंबर को जब सोनम वांगचुक ने फिर से 35 दिन की भूख हड़ताल शुरू की तो 10 दिन बाद 20 सितंबर को केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए LAB और KDA को न्योता दिया है।
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बुधवार को अचानक से क्या हो गया?
लेह में कई दिनों से ही तनाव था। मंगलवार से ही लेह में तनाव और बढ़ने लगा था। हुआ यह था कि 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे LAB के 15 में से 2 लोगों की मंगलवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
दो लोगों की तबीयत बिगड़ने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। बुधवार को LAB ने इसके विरोध का एलान किया था। सोनम वांगचुक ने कहा कि त्सेरिंग आंगचुक और ताशी डोल्मा को अस्पताल ले जाना ही हिंसा का कारण था।
VIDEO | Activist Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) says meeting with the Centre over the demand of statehood to Ladakh should happen well before the proposed date of October 6.
— Press Trust of India (@PTI_News) September 24, 2025
He says, "People are angered. After keeping people hungry for 16 days, meeting was called. People are… pic.twitter.com/J63Joenvpb
न्यूज एजेंसी PTI ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि LAB की अपील पर बुधवार को लेह बंद रहा। बुधवार सुबह से ही NDS मेमोरियल पार्क में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। बाद में छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य के समर्थन में नारेबाजी करते हुए सड़कों पर मार्च निकाला।
हालात तब बिगड़ गए जब कुछ लोगों ने बीजेपी और हिल काउंसिल के दफ्तरों पर पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी। बीजेपी दफ्तर को भी फूंक दिया। उन्होंने बीजेपी दफ्तर और एक इमारत के अंदर फर्नीचर और कागजात में आग लगा दी।
#WATCH | Leh, Ladakh: BJP Office in Leh set on fire during a massive protest by the people of Ladakh demanding statehoothe d and the inclusion of Ladakh under the Sixth Schedule turned into clashes with Police. https://t.co/yQTyrMUK7q pic.twitter.com/x4VqkV8tdd
— ANI (@ANI) September 24, 2025
बेकाबू होते हालात को काबू करने के लिए शहर भर में भारी संख्या में पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को तैनात किया गया। हालात काबू में लाने के लिए सुरक्षाबलों ने भीड़ पर आंसू गैस के गोले दागे।
कई घंटों तक पूरे लेह में जगह-जगह हिंसक झड़पें होती रहीं। घंटों बाद हालात काबू में आ सके। बुधवार शाम केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि हालात अब काबू में हैं और शाम 4 बजे के बाद से कोई हिंसा नहीं हुई है।
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लेकिन इतना सब क्यों हुआ?
लोगों का कहना है कि अगस्त 2019 में जब अनुच्छेद 370 हटाया गया तो इसने लद्दाख को बहुत बदल दिया। लद्दाख के पास अब वैसी संवैधानिक सुरक्षा नहीं रही, जैसी पहले थी।
प्रदर्शन और भूख हड़ताल कर रहे सोनम वांगचुक और लद्दाख के लोगों न सिर्फ पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं, बल्कि संविधान की छठी अनुसूची का दर्जा भी मांग रहे हैं। इनकी 4 बड़ी मांगे हैं:-
- पहली: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी यह केंद्र शासित प्रदेश है। पूर्ण राज्य बनेगा तो इसकी अपनी विधानसभा होगी। 370 हटने से पहले तक लद्दाख में 4 विधानसभा सीटें थीं।
- दूसरी: लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। अभी त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम इसमें शामिल हैं। इससे संवैधानिक सुरक्षा मिलती है और जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है।
- तीसरी: 370 हटने से पहले लद्दाख में दो लोकसभा- लेह और कारगिल थी। मगर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां सिर्फ एक ही लोकसभा सीट रह गई है। लद्दाख के लोगों का कहना है कि यहां पहले की तरह ही दो लोकसभा सीटें होनी चाहिए।
- चौथी: लद्दाख के लोगों ने रोजगार में आरक्षण की मांग भी की है। इनका कहना है कि यहां पब्लिक सर्विस कमीशन (PSC) बने, ताकि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के मौके बन सकें।
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लद्दाख को सुलगाने का जिम्मेदार कौन?
सब एक-दूसरे पर लद्दाख को सुलगाने का आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी ने दावा किया है कि कांग्रेस नेता और पार्षद फुंत्सोग तांजिन सेपाग की वजह से लेह में हिंसा भड़की। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस हिंसा के लिए सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषणों को जिम्मेदार ठहराया है। केंद्र ने इस हिंसा को 'राजनीति से प्रेरित' बताते हुए कहा कि कुछ लोग चल रही बातचीत की प्रगति को देखकर खुश नहीं हैं।
Ministry of Home Affairs releases a press note on Leh protest, it reads, "A hunger strike was started by Sh Sonam Wangchuk on 10-09-2025 stating the demand of 6th schedule and statehood for Ladakh. It is well known that Government of India has been actively engaged with Apex Body… pic.twitter.com/90OPe85sLy
— Press Trust of India (@PTI_News) September 24, 2025
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने लेह में हुई हिंसा की तस्वीरें और वीडियो शेयर करते हुए कांग्रेस को इससे जोड़ा। अमित मालवीय ने X पर पोस्ट किया, 'लद्दाख में दंगा कर रहा यह व्यक्ति अपर लेह वार्ड का कांग्रेस वार्ड फुंत्सोग तांजिन सेपार है। उसे भीड़ को उकसाते और बीजेपी दफ्तर और हिल काउंसिल को निशाना बनाकर की गई हिंसा में शामिल होते हुए साफ देखा जा सकता है।' उन्होंने पूछा, 'क्या राहुल गांधी इसी तरह की अशांति की कल्पना कर रहे हैं?'
आरोप है कि सेपाग ने मंगलवार को भूख हड़ताल वाली जगह पर भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई। इसे लेकर सेपाग के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
This man rioting in Ladakh is Phuntsog Stanzin Tsepag, Congress Councillor for Upper Leh Ward.
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 24, 2025
He can be clearly seen instigating the mob and participating in violence that targeted the BJP office and the Hill Council.
Is this the kind of unrest Rahul Gandhi has been… pic.twitter.com/o2WHdcCIuC
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि यह हिंसा देश में बांग्लादेश, नेपाल और फिलीपींस जैसे हालात पैदा करने की कांग्रेस की नापाक साजिश का हिस्सा है। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा, 'लद्दाख में विरोध प्रदर्शनों को Gen-Z का दिखाने की कोशिश की गई लेकिन जब जांच की गई तो पता चला कि यह Gen-Z का विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि वास्तव में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन था।'
#WATCH | Delhi | On protests in Leh, BJP MP Sambit Patra says, "Today, in Ladakh, attempts were made to portray some protests as being led by Gen Z. However, when investigated, it was discovered that these protests were not led by Gen Z, but by Congress. Congress councillor… pic.twitter.com/BTED6PRMfQ
— ANI (@ANI) September 24, 2025
हालांकि, सोनम वांगचुक का कहना है कि यहां कांग्रेस का इतना प्रभाव नही है कि वह 5 हजार युवाओं को सड़कों पर ला सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्षद गुस्से में अस्पताल पहुंचे थे, क्योंकि उनके गांव के दो लोग अस्पताल लाए गए थे।
#WATCH | Leh | On BJP leader Amit Malviya alleging involvement of Congress Councillor Phuntsog Stanzin Tsepag in violence targeted at Leh BJP office today, Activist Sonam Wangchuk says, "Congress doesn't have such influence here that it can manage to get 5000 youth on the… pic.twitter.com/gmJpJMScIz
— ANI (@ANI) September 24, 2025
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'इस मामले को संवेदनशीलता से निपटा जाना चाहिए और इस बात की फोरेंसिक जांच होनी चाहिए कि एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसक क्यों और कैसे हो गया?'
वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लेह की स्थिति आंखे खोल देने वाली है कि जम्मू-कश्मीर के लोग राज्य का दर्जा न दिए जाने पर कैसा महसूस करते हैं, जबकि लद्दाख को कभी राज्य का दर्जा देने का वादा भी नहीं किया गया था।
भाकपा (माले) ने इन सबके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। भाकपा (माले) ने कहा, 'इस पूरी स्थिति के लिए पूरी तरह से मोदी सरकार जिम्मेदार है, जिसने संविधान को रौंदा है और अपनी सत्तावादी पकड़ मजबूत करने के लिए लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया है।'
पार्टी ने कहा, 'मोदी सरकार ने 2019 में मनमाने ढंग से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों जगहों के लोग पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग लगातार उठा रहे हैं। फिर भी मोदी सरकार आंखें मूदकर बैठी है।'
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लद्दाख में अभी कैसे हैं हालात?
केंद्र सरकार का कहना है कि लेह में स्थिति अब नियंत्रण में है। हालांकि, एहतियात के तौर पर लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने लेह में कर्फ्यू लगा दिया है।
लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 को लागू कर दिया गया है, जिसे पहले धारा 144 कहा जाता था।
लेह के डीएम रोमिल सिंह डोंक ने बुधवार को धारा 163 लागू करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के कोई जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाल सकता। इस दौरान कोई भी व्यक्ति लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी नहीं कर सकता और न ही ऐसा कोई बयान देगा जिससे शांति भंग होने की संभावना हो।
लद्दाख में 4 दिन का फेस्टिवल चल रहा था, उसे भी बुधवार को बंद कर दिया गया। बुधवार को फेस्टिवल का आखिरी दिन था। फिलहाल हालात काबू में हैं लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है और CRPF को भी तैनात किया गया है।
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