कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री रान्या राव को सोना की तस्करी मामले में एक साल की सजा सुनाई गई है। यह द कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट, 1974 (COFEPOSA) के तहत सलाहकार बोर्ड ने जारी किया है। बोर्ड के आदेशों के मुताबिक इस दौरान रान्या राव को जेल में ही रहना होगा। सजा की अवधि के दौरान उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जाएगा। बेंगलुरु की कोर्ट ने रान्या राव और सह आरोपी तरुण राजू को प्रक्रिया संबंधी आधार पर डिफॉल्ट जमानत दी थी। डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) की ओर से तय समय के भीतर चार्जशीट नहीं दायर हो पाई थी।
कोर्ट ने रान्या राव और तरुण राजू को 2 लाख के बॉन्ड पर दो जमानती शर्तों पर डिफ्ट जमानत दी थी। COPEPOSA कानून यह अधिकार देता है कि किसी को एक साल तक जमानत देने से इनकार किया जा सकता है। रान्य राव पर 14.8 किलोग्राम के सोने की तस्करी का आरोप है। कोर्ट के आदेश के के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।
बेल मिलने के बावजूद रान्या को रिहाई नहीं मिली, क्योंकि 22 अप्रैल को जारी COFEPOSA डिटेंशन ऑर्डर के कारण उन्हें अभी भी जेल में रहना पड़ रहा है। इससे पहले, रान्या राव की जमानत याचिकाएं विशेष आर्थिक अपराध कोर्ट, सत्र न्यायालय और कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थीं।
यह भी पढ़ें: गोल्ड स्मलिंग केस में रान्या राव और तरुण कोंडाराजू को मिल गई जमानत
कौन है तरुण राजू?
तरुण राजू, एक अमेरिकी नागरिक हैं। वह भी गोल्ड स्मगलिंग केस में सह आरोपी है और जेल काट रहा है। दोनों को डिफॉल्ट बेल दो गारंटरों और 2 लाख रुपये के बॉन्ड के साथ-साथ विदेश यात्रा पर रोक की शर्तों पर दी गई थी।
कैसे हुआ था गोल्ड स्मगलिंग केस का पर्दाफाश?
रान्या राव ने 34 बार दुबई की यात्रा की थी। रान्या ने साल 2023 से 2025 के बीच 34 बार अकेले दुबई की यात्रा की थी। उसके घर पर छापेमारी में 2.06 करोड़ रुपये की सोने की ज्वैलरी और 2.67 करोड़ रुपये का कैश नोट बरामद हुआ था। रान्या राव पर अब कस्टम्स एक्ट की धारा 135 और 104 के तहत मामले दर्ज हैं। धारा 108 के तहत कार्यवाही भी चल रही है।"
यह भी पढ़ें: DRI का दावा- रान्या राव ने हवाला के जरिए खरीदा था सोना
अब आगे क्या हो सकता है?
रान्या राव की कानूनी टीम ने DRI पर दस्तावेजों में हेरफेर का आरोप लगाया है। रान्या राव के वकीलों ने कहा है कि यह अपराध इतना बड़ा नहीं है कि ऐसी सजा दी जाए। रान्या राव की रिहाई अभी दूर की कौड़ी है।
COFEPOSA क्या है?
द कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट साल 1974 से लागू है। यह कानून विदेशी मुद्रा पर नजर रखने और तस्करी रोकने के लिए है। इसके तहत सरकार संदिग्ध व्यक्तियों को बिना मुकदमे के हिरासत में ले सकती है जिससे अवैध गतिविधियों को रोका जा सके। इसके प्रावधानों के तहत 1 साल तक बिना जमानत के बेल में रखा जा सकता है।