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40 डिग्री तापमान में 50 डिग्री वाली गर्मी का अहसास क्यों? समझ लीजिए

दिल्ली में रहने वालों को 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी 50 डिग्री वाली गर्मी का अहसास हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि हीट इंडेक्स 50 डिग्री तक पहुंच गया है।

heat index

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)

क्या आपको भी कुछ दिन से गर्मी ज्यादा महसूस हो रही है? बाहर निकलते ही पसीना-पसीना हो जा रहे हैं? जबकि अभी तो तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही है। फिर भी ऐसा क्यों लग रहा है कि तापमान 50 डिग्री के करीब पहुंच गया हो। अगर दिल्ली में हैं तो कुछ इसी तरह का महसूस हो रहा होगा। ऐसा क्यों हो रहा है? इसे समझेंगे लेकिन पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर मौसम खेल क्या खेल रहा है?


हुआ यह है कि सोमवार को दिल्ली का तापमान 40.8 डिग्री रहा है। मगर इस दिन लोगों को जो गर्मी महसूस हुई, वह 48.5 डिग्री वाली थी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन दिल्ली का हीट इंडेक्स 48.5 डिग्री तक पहुंच गया था।


मौसम विभाग ने बताया कि सोमवार को दिल्ली में तापमान 40.8 डिग्री सेल्सियस रहा। यह सामान्य से 0.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। हवा में नमी का स्तर 44 से 74 प्रतिशत रहा था। इस कारण हीट इंडेक्स 48.5 डिग्री तक पहुंच गया। इससे एक दिन पहले यानी रविवार को हीट इंडेक्स 43.6 डिग्री रहा था।

 

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यह हीट इंडेक्स क्या चीज है?

जब हम गर्मी की बात करते हैं तो हम हवा के तापमान को मापते हैं। तापमान कितना है? इससे पता चलता है कि गर्मी कितनी है। मगर जब हम इसमें हवा में मौजूद नमी यानी ह्यूमिडिटी को भी शामिल कर लेते हैं तो हमें यह पता चलता है कि वास्तव में हम कितनी गर्मी महसूस कर रहे हैं। हवा के तापमान और नमी को मिलाकर हीट इंडेक्स बनता है। आसान शब्दों में कहें तो हीट इंडेक्स वह तापमान है, जो हमें महसूस होता है।

 


हीट इंडेक्स से दो बातें पता चलती हैं। पहली यह कि हमें कितनी गर्मी महसूस हो रही है। और दूसरी यह कि तापमान के साथ-साथ आसपास की हवा में कितनी गर्मी है। 


अमेरिका की कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. रॉबर्ट जी. स्टीडमैन ने हीट इंडेक्स का कॉन्सेप्ट दिया था। उन्होंने एक टेबल बनाया था, जिसमें बताया था कि हवा की नमी और तापमान के जरिए हीट इंडेक्स को कैसे मापा जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि तापमान के साथ-साथ हवा की नमी भी इंसान के शरीर पर असर डालती है।

 

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महसूस होने वाली गर्मी कितनी खतरनाक?

अगर तापमान 37 डिग्री सेल्सियस है, तब तो कोई दिक्कत नहीं है। अगर यह तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जाने लगता है तो गर्मी महसूस होने लगती है। 

 


बढ़ते तापमान के साथ-साथ अगर हवा में नमी भी बढ़ने लगे तो यह खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इससे ज्यादा गर्मी महसूस होती है। अगर हवा में नमी ज्यादा है तो कम तापमान होने पर भी ज्यादा गर्मी महसूस होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब हवा में नमी होती है तो पसीना सूख नहीं पाता, जिस कारण शरीर ठंडा नहीं हो पाता। 

 

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कैसे मापा जाता है हीट इंडेक्स?

हीट इंडेक्स को एक फॉर्मूला से निकाला जाता है। इसमें तापमान और नमी को डाला जाता है। 


उदाहरण के लिए अगर हवा का तापमान 34 डिग्री सेल्सियस है और नमी 75% है तो हीट इंडेक्स 49 डिग्री सेल्सियस होगा। यानी, ऐसी स्थिति में हमें 49 डिग्री वाली गर्मी महसूस होगी। इसी तरह अगर तापमान 31 डिग्री सेल्सियस है और नमी 100% है तो भी हमें 49 डिग्री वाली गर्मी महसूस होगी।


अगर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस है और नमी 40% है तो हीट इंडेक्स 48 डिग्री हो जाएगा। इतनी गर्मी इंसानों के लिए खतरनाक हो सकती है। अगर पारा 43 डिग्री पहुंच जाता है और नमी 40% ही रहती है तो हमें 57 डिग्री वाली गर्मी महसूस हो जाएगी। इसे 'बहुत खतरनाक' माना जाता है।

 

 

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वेट बल्ब टेंपरेचर भी 28 डिग्री के पार

तापमान और नमी बढ़ने की वजह से दिल्ली में वेट बल्ब टेंपरेचर भी बढ़ रहा है। सोमवार को दिल्ली का वेट बल्ब टेंपरेचर 28.87 डिग्री दर्ज किया गया। वेट बल्ब टेंपरेचर 32 डिग्री से ऊपर होना खतरनाक माना जाता है। अगर यह टेंपरेचर 35 डिग्री तक पहुंच जाता है या इसे पार कर जाता है तो इससे हीट स्ट्रोक हो सकता है और मौत भी हो सकती है।


वेट बल्ब टेंपरेचर एक ऐसा तापमान होता है, जिसे नमी और तापमान को ध्यान में रखकर मापा जाता है। यह हीट इंडेक्स से अलग होता है। हीट इंडेक्स से पता चलता है कि हमें कितनी गर्मी का अहसास हो रहा है जबकि वेट बल्ब टेंपरेचर से पता चलता है कि शरीर खुद को ठंडा रख सकता है या नहीं।


इसका बढ़ना क्यों खतरनाक होता है? इसे ऐसे समझिए कि हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस जबकि स्किन का 35 डिग्री सेल्सियस होता है। अगर तापमान बढ़ता है तो हम पसीने के जरिए अपने शरीर का तापमान कंट्रोल करते हैं। हालांकि, जब वेट बल्ब टेंपरेचर 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है तो शरीर का तापमान कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि पसीना सूखता ही नहीं है।

 


किस जगह पर वेट बल्ब टेंपरेचर कितना है? इसे मापने का भी एक तरीका है। इसके लिए थर्मामीटर के बल्ब पर एक गीला कपड़ा लपेटा जाता है। इसे हवा में घुमाया जाता है। जैसे-जैसे पानी सूखकर उड़ता है, वैसे-वैसे तापमान गिरता है। अगर वेट बल्ब टेंपरेचर कम है तो पता चलता है कि हवा में गर्मी है और पानी सोखने की क्षमता ज्यादा है। अगर तापमान ज्यादा है तो इसका मतलब हुआ कि हवा में नमी ज्यादा है।

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