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UK का F-35B जेट केरल में अटका क्यों है और वापस जा क्यों नहीं पा रहा?

20 दिन पहले भारत में लैंड हुआ UK का F-35B जेट बिन बुलाया मेहमान है और अब जा ही नहीं पा रहा है। आइए समझते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।

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केरल में खड़ा है F-35B, Photo Credit: PTI

2010 में एक फिल्म आई थी- अतिथि तुम कब जाओगे। यह शरद जोशी की एक कहानी पर बनी थी, जिसमें एक मेहमान घर आता है तो जाने का नाम ही नहीं लेता। कुछ-कुछ ऐसा ही हाल केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर खड़े F-35B का भी है। 14 जून 2025 को यह विदेशी पंक्षी अचानक हमारी डाल पर आकर बैठा। वह दिन है और आज का दिन है। इसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बस वहीं बैठा हुआ है।

 

हुआ यह था कि 14 जून को हिंद महासागर के इलाके में रॉयल नेवी का ऑपरेशन हाईमास्ट चल रहा था। यह एक ट्रेनिंग एक्सरसाइज़ थी, जिसमें ब्रिटेन की नौसेना ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर HMS प्रिंस ऑफ वेल्स को भी भेजा था। इसपर F35 B स्टेल्थ फाइटर जेट्स तैनात हैं। इन्हीं में से एक ने उड़ान भरी लेकिन यह जेट अपनी मदर शिप- यानी प्रिंस ऑफ वेल्स तक लौट नहीं पा रहा था। कारण- हमें नहीं पता। इनफैक्ट किसी को नहीं पता। बस कुछ थ्योरी हैं, जिनपर हम बात करेंगे। 

 

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पायलट माइक ने जब देखा कि वह मदर शिप पर नहीं लौट पाएंगे तो उन्होंने रात के 9 बजकर 20 मिनट पर SQUAWK 7700 नाम का कोड तिरुवनंतपुरम के एयर ट्रैफिक कंट्रोल को भेजा। SQUAWK 7700 एक खास कोड है जो पायलट तब इस्तेमाल करता है जब विमान में कोई बड़ी इमरजेंसी होती है। जैसे इंजन खराब होना या कोई मेडिकल समस्या। यह जेट के ट्रांसपोंडर से रिले होता है ताकि ATC को तुरंत पता चल जाए कि विमान को फौरन मदद चाहिए। इससे ATC विमान को प्राथमिकता देता है और विमान की जल्द से जल्द लैंडिग करवा देता है। भारतीय एयरफोर्स के IACCS कमांड कंट्रोल सिस्टम की मदद से इस जेट को 9:30 बजे तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड करवाया गया। शुरू में कहा गया कि फ्यूल खत्म हो गया था। ऐसा होता तो जेट कुछ घंटों में दोबारा उड़ जाता और शायद हमें और आपको उसके गायब होने के बाद खबर मिलती लेकिन जेट खड़ा है रहा। पायलट कुछ देर जेट में रहा फिर कुर्सी लगाकर उसके बगल में बैठ गया।

 

वह 14 जून की तारीख थी, आज 4 जुलाई है। प्लेन को लैंड हुए 20 दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक इसकी ब्रिटेन वापसी नहीं हो पाई है। जनता मीम बनाने लगी कि क्या फायदा, इतना महंगा जेट बनाने का, जब उड़ ही नहीं पा रहा। हद तो तब हो गई जब FAUXY ने एक मीम में F-35 को केरल टूरिज्म के पोस्टर पर खड़ा कर दिया और कुछ घंटों में केरल टूरिज्म ने वाकई एक ऐसा पोस्टर बनाकर शेयर किया और लिखा, 'Kerala, the destination you'll never want to leave।' 

 

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ढाई हफ्ते तक कोई वापस न जाए तो अगला यही सोचेगा कि जगह पर या लोगों पर दिल आ गया है लेकिन यहां बात दुनिया के सबसे महंगे फाइटर प्रोग्राम के नमूने की थी। खुफिया फौजी टेक्नॉलजी की थी। 918 करोड़ रुपये और भारत पर राज कर चुके ब्रिटेन की नेवी के ट्रेनिंग और मेंटेनेंस प्रोटोकॉल की थी। आइए समझते हैं कि यह F-35B फाइटर जेट अब तक भारत में ही क्यों रुका हुआ है?


भारत में क्यों लैंड हुआ F-35?

 

14 जून की रात 9:30 बजे तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर F-35B लैंड होने के बाद रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि लैंडिग कम फ्यूल होने की वजह से की गई। बता दें कि तिरुअनंतपुरम में एयरपोर्ट होने के साथ इंडियन एयरफोर्स के साउदर्न कमांड का हेडक्वार्टर भी है। जब इसे वापस भेजने की कोशिश हुई तो पता चला कि हाइइ्रोलिक सिस्टम में खराबी की वजह से यह उड़ान नहीं भर सकता। यानी दिक्कत फ्यूल को लेकर नहीं थी। द इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उसी रात जब जेट लैंड हुआ, एक AW101 मर्लिन हेलीकॉप्टर एयरक्राफ्ट कैरियर एक रिप्लेसमेंट पायलट और 3 टेक्निशियन्स को लेकर एयरपोर्ट पहुंचा। टेक्निशियन्स ने जेट को चेक किया और कहा कि इसे ठीक करने के लिए UK से एक स्पेशल टीम की ज़रूरत पड़ेगी। तीनों टेक्निशियन्स और पायलट केरल में ही रहे। जेट को एयरपोर्ट की ही पार्किंग बे नंबर 4 में रखा गया। जहां CISF इसकी सिक्योरिटी में तैनात कर दी गई। जेट का पायलट तुरंत जेट से नहीं उतरा। उसने जेट के पास एक कुर्सी पर बैठने की डिमांड की। कुछ देर कुर्सी पर बैठने के बाद अधिकारी उसे एयरपोर्ट के अंदर ले गए। इसके बाद 15 से 16 जून के बीच 6 और टेक्निशियन्स इस जेट को ठीक करने के लिए आए। जेट ठीक नहीं हुआ और 6 टेक्निशियन्स वापस प्रिंस ऑफ वेल्स लौट गए। 

 

इसके बाद एयर इंडिया ने रॉयल नेवी को एक प्रस्ताव दिया कि इस विमान को हैंगर में शिफ्ट कर दिया जाए लेकिन रॉयल नेवी ने एयर इंडिया के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि ब्रिटेन इसे सैटेलाइट के ज़रिए मॉनिटर कर रहा था। ऐसे में अगर जेट हैंगर में पार्क हो जाता तो इसको लेकर ब्रिटेन की चिंता बढ़ सकती थी। चिंता यह कि कहीं इस जेट की टेक्नॉलजी लीक न हो जाए। इसकी स्टेल्थ टेक्नॉलजी के इंटेलेक्चुअल राइट्स अमेरिका के पास हैं। अमेरिका का डिफेंस डिपार्टमेंट (DoD) इस टेक्नॉलजी के मालिक हैं। F-35 का डिजाइन, सॉफ्टवेयर, स्टेल्थ टेक्नॉलजी पर पूरा कंट्रोल अमेरिका के पास ही रहता है। यहां तक कि जो पार्टनर देश (जैसे UK, इटली, ऑस्ट्रेलिया) इस जेट को खरीद रहे हैं वे भी अपने हिसाब से F-35 के कोर सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर में बदलाव नहीं कर सकते। ब्रिटेन के इंजीनियर भी सिर्फ रूटीन मेन्टेनेंस या छोटे मोडिफिकेशन कर सकते हैं लेकिन हार्डकोर सॉफ्टवेयर और सेंसर डेटा अमेरिका ही कंट्रोल करता है। ऐसे में ब्रिटेन की सरकार को यह चिंता थी कि कहीं इसकी तकनीक को लेकर कोई दिक्कत न पैदा हो जाए। इसे आपको एक और उदाहरण देकर समझाते हैं। साल 2022 में अमेरिका का F-35b जेट एयरक्राफ्ट कैरियर पर उतरने के दौरान साउथ चाइना सी में क्रैश हो गया। जैसे ही यह जेट क्रैश हुआ अमेरिका ने उस लोकेशन के आस-पास अपने जहाज तैनात कर दिए। उस पूरे एरिया को लॉक कर दिया ताकि गलती से भी उसका मलबा चीन या किसी और देश के हाथ न लग जाए।

 

वापस केरल में फंसे F-35B पर आएं तो 2 हफ्तों के बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने विमान को हैंगर में ले जाने की मंजूरी दी। इसी दौरान ब्रिटेन से एक एक्सपर्ट टीम और ज़रूरी स्पेयर पार्ट्स भारत पहुंचे। ब्रिटिश हाई कमीशन के प्रवक्ता ने कहा, 'हम तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर UK के F-35B विमान की मरम्मत जल्द से जल्द करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए हम भारतीय अधिकारियों के सहयोग के आभारी हैं।'

 

 

 

हालांकि, The Independent में छपे एक आर्टिकल में यह भी बताया कि कुछ एक्सपर्ट्स को चिंता यह है कि अगर यह एयरक्राफ्ट ज्यादा समय तक पब्लिक एयरपोर्ट पर खड़ा रहा तो कोई तीसरा इसकी तकनीक के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर सकता है।

F-35B की खूबी क्या है?

 

F-35B को लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है। यह दुनिया के 5th जेनरेशन स्टेल्थ फाइटर जेट्स में से एक है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी रडार से छिपने की क्षमता यानी स्टेल्थ टेक्नॉलजी। इसके अलावा यह वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिग भी कर सकता है। यानी यह हेलीकॉप्टर की तरह सीधे ऊपर उड़ सकता है और नीचे उतर सकता है। इसे ख़ासकर यूएस मरीन कोर और ब्रिटेन की रॉयल नेवी के लिए बनाया गया ताकि वे इसे एयरक्राफ्ट कैरियर या छोटे बेस पर आसानी से इस्तेमाल कर सकें।  F-35B की बॉडी में रडार-एब्जॉर्बिंग मटेरियल और खास शेप डिज़ाइन किया गया है ताकि यह दुश्मन के रडार में लगभग दिखे ही नहीं। इसके वेपन भी इंटरनल वेपन बे यानी अंदर छिपे हुए रहते हैं।  जिससे इसका रडार क्रॉस-सेक्शन और भी कम होता है। F-35B में Distributed Aperture System (DAS) नाम का 360 डिग्री कैमरा-सेंसिंग नेटवर्क होता है। इससे पायलट को हेलमेट डिस्पले पर पूरा व्यू देता है।  F-35B में एक कॉम्बैट क्लाउड सिस्टम भी है। यानी यह बाकी जहाज, ग्राउंड यूनिट या ड्रोन के साथ एक ही नेटवर्क पर जुड़कर रियल टाइम में जानकारी दे सकता है। इसी एफ-35बी जेट को भारत में पार्क करने के लिए ब्रिटेन की सरकार 26,000 रुपए का किराया भर रही है। 40 एक्सपर्ट्स की टीम अब इस जेट को ठीक करने केरल पहुंचेगी।

 

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क्या ब्रिटेन की सरकार या विपक्ष इसे लेकर कोई बात नहीं कर रही? 30 जून को ही ब्रिटेन की संसद यानी हाउस ऑफ कॉमन्स में बेन ओबीस-जे़क्टी, जो कंजरवेटिव पार्टी के सांसद हैं। उन्होंने कीर स्टार्मर की सरकार से सवाल पूछे। उन्होंने सरकार से पूछा कि इस जेट की सुरक्षा और इसे फिर से ऑपरेशनल करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार इस जेट को वापस कैसे लाएगी, इसमें कितना वक्त लगेगा और जब तक यह हैंगर में रहेगा, तब तक इसकी तकनीकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी?

 

इसके जवाब में ब्रिटेन आर्म्ड फोर्सेज के स्टेट सेक्रेटरी ने इस सवाल का जवाब दिया। ल्यूक पोलार्ड ने कहा कि यह जेट पूरी तरह यूके के कंट्रोल  में है और रॉयल एयर फोर्स (RAF) के लोग चौबीसों घंटे इसे सुरक्षा में रख रहे हैं। उन्होंने भारत का भी शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने विमान की इमरजेंसी लैंडिंग के बाद बेहतरीन सहयोग दिया। पोलार्ड ने भरोसा दिलाया कि जेट सुरक्षित हाथों में है क्योंकि RAF का क्रू हर समय वहां मौजूद है। हालांकि, इस विमान की मरम्मत में भी कई चुनौतियां हैं क्योंकि अगर मौके पर यह जेट नहीं ठीक हुआ तो इसे वापस HMS प्रिंस ऑफ वेल्स या सीधे ब्रिटेन ले जाने के लिए C-17 ग्लोबमास्टर की ज़रूरत पड़ेगी। C-17 एक मिलिट्री कार्गो प्लेन है जिससे एफ-35बी जिससे जेट्स को एयरलिफ्ट किया जा सकता है लेकिन इसके लिए जेट के विंग्स अलग करने होंगे।

 

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ऐसे में ब्रिटेन की सरकार का खर्च हर दिन के हिसाब से बढ़ता ही जा रहा है और इस खराबी ने F-35B  प्रोग्राम की रिलायबिलिटी पर भी सवाल खड़े किए हैं। 2024 की अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (DoD) की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि F-35B में तकनीकी खराबियों और उसके मेंटेनेंस की जरूरतों का समय उम्मीद से भी बहुत कम है। इसी वजह से इसे रखने के लिए भी देशों का खर्चा बढ़ रहा है लेकिन तब भी अमेरिका के पार्टनर देशों में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने 24 जून को ही यह बताया कि ब्रिटेन अमेरिका से 15 और एफ-35बी फाइटर जेट्स खरीदने वाला है। फिल्हाल तो अमेरिका से लिया हुआ उनका एक जेट आज भी तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर खड़ा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस जेट में या तो कोई बड़ी दिक्कत या खराबी आई है जिसके कारण इसे इतने टेक्निशियन्स की टीम भी ठीक नहीं कर पाई। दूसरा या तो ब्रिटेन नहीं चाहता कि उसके जेट की मरम्मत किसी दूसरे देश यानी फॉरेन बेस में किया जाए। ऐसे में या तो इस जेट को एयर लिफ्ट कराने की संभावना ज्यादा बताई जा रही है क्योंकि जाहिर सी बात है कि यह जेट उड़ नहीं पा रहा है। 

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