'अगर एक टांग खोई है तो क्या हुआ, मेरा हौसला तो अब भी जिन्दा है!' इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर आज हम आपको एक ऐसी महिला की प्रेरणादायक कहानी सुनाएंगे जो हमें यह सिखाती है कि कभी हार मत मानो। जिंदगी में कठिनाइयां आएंगी लेकिन अगर हौसला मजबूत हो तो कोई भी बाधा हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकती।
अरुणिमा सिन्हा, भारत की पहली विकलांग महिला हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) फतह किया। वह एक पूर्व राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी भी थीं लेकिन एक भीषण हादसे में उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया। इसके बावजूद उन्होंने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया और पर्वतारोहण की दुनिया में इतिहास रच दिया।
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यूपी की अरुणिमा को मिला पद्म श्री
20 जुलाई, 1988 में उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में अरुणिमा सिन्हा का जन्म हुआ। पेशे से वह एक पर्वतारोही और एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं। अरुणिमा माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली विकलांग महिला है। उन्हें वर्ष 2015 में पद्म श्री पुरस्ककार से भी सम्मानित किया गया।
जब अरुणिमा सिन्हा की जिंदगी ने लिया अलग मोड़
बता दें कि 2011 में अरुणिमा सिन्हा के साथ एक दर्दनाक हादसा हुआ था। 11 अप्रैल 2011 को लखनऊ से दिल्ली जा रही पद्मावती एक्सप्रेस ट्रेन में कुछ लुटेरों ने उनका बैग छीनने की कोशिश की। जब उन्होंने विरोध किया, तो लुटेरों ने उन्हें चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इस हादसे में अरुणिमा गंभीर रूप से घायल हो गईं और एक दूसरी पटरी पर गिर गईं, जहां से गुजर रही एक ट्रेन ने उनके पैर को बुरी तरह कुचल दिया। इस घटना के बाद डॉक्टरों को उनका एक पैर काटना पड़ा। इस भयानक हादसे के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अरुणिमा ने आर्टिफिशियल पैर के सहारे 2013 में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर इतिहास रच दिया। वह ऐसा करने वाली पहली महिला दिव्यांग पर्वतारोही बनीं।
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माउंट एवरेस्ट फतह करने की कहानी क्या?
अरुणिमा सिन्हा ने टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में बछेंद्री पाल (भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता) से पर्वतारोहण की ट्रेनिंग ली। 21 मई, 2013 को उन्होंने आर्टिफिशियल पैर के सहारे एवरेस्ट फतह कर इतिहास रच दिया था। इसके बाद उन्होंने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां भी फतह कीं। बता दें कि अरुणिमा को 2015 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया। 2015 में उन्हें तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवॉर्ड मिला। इसके बाद युवा आइकॉन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा अरुणिमा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है।
- 2013- माउंट एवरेस्ट (एशिया)
- 2014-माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका)
- 2014- माउंट एल्ब्रुस (यूरोप)
- 2015-माउंट कास्तेंज़ पिरामिड (ऑस्ट्रेलिया)
- 2015-माउंट अकोंकागुआ (दक्षिण अमेरिका)
- 2019-माउंट विन्सन (अंटार्कटिका)