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राष्ट्रपति की सुरक्षा में पहली महिला ADC, यशस्वी सोलंकी की पूरी कहानी

लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी भारतीय नौसेना की पहली महिला अधिकारी बनी हैं जिन्हें राष्ट्रपति की एड-डी-कैंप (ADC) यानी खास सहायक के तौर पर चुना गया है।

Yashaswi Solankee

यशस्वी सोलंकी, Photo Credit: X/Social Media

भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी को भारत के राष्ट्रपति की एड-डी-कैंप (ADC) नियुक्त किया गया है। यह एक ऐतिहासिक मौका है, क्योंकि पहली बार नौसेना की किसी महिला अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है। ADC यानी 'एड-डी-कैंप' का मतलब होता है कि वह अब राष्ट्रपति के साथ काफी करीब से काम करेंगी। उनका काम यह होगा कि राष्ट्रपति और उनके दफ्तर के अलग-अलग हिस्सों के बीच सही तालमेल बना रहे। इसके अलावा वह यह भी सुनिश्चित करेंगी कि राष्ट्रपति से जुड़ा हर आधिकारिक काम और कार्यक्रम सही तरीके से और समय पर हो।

 

सीधे शब्दों में कहें तो यशस्वी सोलंकी अब राष्ट्रपति के खास सहायक की तरह होंगी, जो उनके रोजमर्रा के कामकाज और कार्यक्रमों में मदद करेंगी और सब कुछ सुचारू रूप से चले, इसका ध्यान रखेंगी। यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। राष्ट्रपति के पास आमतौर पर पांच ADC (एड-डी-कैम्प) होते हैं जिनमें से तीन सेना से, एक नौसेना से और एक वायु सेना से चुने जाते हैं लेकिन इसके अलावा, राष्ट्रपति अपनी मर्जी से किसी भी सशस्त्र बल के अधिकारी को भी इस जिम्मेदारी के लिए चुन सकते हैं।

 

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यशस्वी सोलंकी कौन?

हाल ही में लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी को राष्ट्रपति की ADC नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति इस बात का संकेत है कि अब महिलाओं को भी सेना की अहम भूमिकाओं में ज्यादा से ज्यादा जगह दी जा रही है जैसे कि सेना प्रमुखों, राज्यपालों और बड़े सैन्य अधिकारियों के सहायक के तौर पर। दिसंबर 2024 में यह फैसला लिया गया था कि 1 जनवरी 2025 से सेना, नौसेना और वायु सेना – तीनों के प्रमुखों को निजी स्टाफ अधिकारी उनकी अपनी सेवा से ही दिए जाएंगे।

 

 

ADC की क्या होती है भूमिका

ADC यानी 'एडीसी' (Aide-de-Camp) राष्ट्रपति का सहायक होता है। उसका काम राष्ट्रपति की मीटिंग, कार्यक्रम और औपचारिक कामों में मदद करना और सेना व दूसरे विभागों के बीच तालमेल बनाना होता है। एडीसी यह सुनिश्चित करता है कि हर चीज सही तरीके से और समय पर हो। जब कोई महिला एडीसी बनती है, तो यह देश की सेना और महिलाओं की तरक्की का बड़ा उदाहरण बनता है।

क्यों लिया गया यह फैसला

मतलब, अब से अगर कोई सेना प्रमुख है, तो उसका निजी स्टाफ अधिकारी भी सेना से ही होगा। यह कदम इसीलिए उठाया गया है ताकि तीनों बलों में एक जैसी व्यवस्था और तालमेल बना रहे। सीधे शब्दों में कहें तो अब महिला अधिकारियों को भी बड़ी जिम्मेदारियां दी जा रही हैं, और तीनों सेनाओं में कामकाज को और बेहतर तरीके से चलाने की कोशिश की जा रही है।

 

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क्यों अहम माना जाता है यह पद

इसे भारतीय रक्षा बलों में एक बड़ी और अहम शुरुआत माना जा रहा है, जो सभी सेनाओं को मिलकर काम करने की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। यह प्रक्रिया 2020 में तब शुरू हुई थी जब जनरल बिपिन रावत को पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बनाया गया था। अब तक, हर सेना प्रमुख (जैसे थल सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुख) को उनके निजी सहायक अधिकारी यानी 'एड-डी-कैंप' (ADC) उनकी अपनी सेना से ही मिलते थे। कई बार यह अधिकारी उन यूनिट्स से होते थे जिनसे सेना प्रमुख का पहले कोई निजी या प्रोफेशनल रिश्ता रहा हो।

 

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इस बार हुआ कुछ अलग

हालांकि, इस बार कुछ अलग हुआ है। अब बाकी दो सेनाओं से भी ADC नियुक्त किए गए हैं। यानी अगर कोई थल सेना प्रमुख हैं, तो उनके साथ वायु सेना या नौसेना से भी कोई ADC होगा।

 

यह बदलाव दिखाता है कि अब सेनाएं सिर्फ अपनी-अपनी दिशा में नहीं, बल्कि एक साथ मिलकर काम करने के नए सिस्टम की ओर बढ़ रही हैं, जिसे 'थिएटराइजेशन' कहा जाता है- यानी तीनों सेनाओं का एकजुट होकर ऑपरेशन चलाना। सीधे शब्दों में कहें, तो यह कदम दिखाता है कि अब सेना के तीनों अंग (थल, जल और वायु) सिर्फ नाम के लिए नहीं, बल्कि असल में मिलकर काम करने लगे हैं।

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