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SC में SIR पर बहस के बाद इतनी चर्चा में क्यों हैं योगेंद्र यादव?

बिहार में SIR को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान योगेंद्र यादव दो ऐसे लोगों को लेकर पहुंचे, जिन्हें चुनाव आयोग ने कथित तौर पर मृत घोषित कर दिया था।

yogendra yadav

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI/AI Generated)

बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। SIR को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। योगेंद्र यादव ने इसके विरोध में एक याचिका दायर की है। मंगलवार को जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तब योगेंद्र यादव अपने साथ दो लोगों को लेकर भी पहुंचे। उनका दावा है कि इन दोनों को आयोग ने मृत घोषित कर दिया और वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया।

 

सुप्रीम कोर्ट में योगेंद्र यादव ने खुद ही अपनी दलीलें भी रखीं। उन्होंने SIR पर भी सवाल उठाए और कहा कि इस प्रक्रिया का मकसद सिर्फ वोटरों को हटाना है।

योगेंद्र यादव ने क्या-क्या कहा?

सुनवाई के दौरान योगेंद्र यादव ने कहा कि SIR के जरिए जानबूझकर लोगों को बाहर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार की वयस्क आबादी 8.18 करोड़ है, जबकि चुनाव आयोग 7.9 करोड़ बता रहा है। उन्होंने लील दी कि SIR सिर्फ वोटर्स को डिलीट करने के लिए डिजाइन किया गया है।

 

उन्होंने दावा किया कि इतिहास में कभी भी रिवीजन प्रक्रिया में लोगों से अपने फॉर्म जमा करने को नहीं कहा गया। उन्होंने दावा किया कि SIR में कोई भी नया नाम नहीं जोड़ा गया।

 

योगेंद्र यादव ने कहा, 'चुनाव आयोग किसी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं ढूंढ पाया, जिसका नाम जोड़ा जाए। इसकी बजाय बूथ लेवल ऑफिसर नाम हटाने के लिए घर-घर गए' उन्होंने दावा किया कि इतिहास में यह पहली बार है जब बिना कोई नाम जोड़े संशोधन किया गया है।

 

 

उन्होंने SIR को 'वोट के अधिकार से वंचित करने वाली प्रक्रिया' बताया। उन्होंने कहा कि 65 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर किया जा चुका है और जहां-जहां SIR लागू किया जाएगा, वहां-वहां ऐसे नतीजे देखने को मिलेंगे।

 

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सुप्रीम कोर्ट ने भी की तारीफ

योगेंद्र यादव अपने साथ दो लोगों को भी लेकर आए। उन्होंने कोर्ट में दावा किया कि इन लोगों को मृत बताकर चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया है।

 

इन दोनों को कोर्ट के सामने पेश करते हुए यादव ने कहा, 'यह रिवीजन का मुद्दा नहीं है। इन्हें देखिए। इन्हें मृत घोषित कर दिया गया है लेकिन ये जिंदा हैं'

 

चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने इसे 'ड्रामा' बताया। उन्होंने कहा, 'यह ड्रामा टीवी के लिए सही है, कोर्टरूम के लिए नहीं'

 

इसके बाद योगेंद्र यादव ने दावा करते हुए कहा कि पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को बाहर किया गया है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास इस बात के भी सबूत हैं कि पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के नाम हटाए गए हैं। 31 लाख महिलाओं और 25 लाख पुरुषों के नाम हटाए गए हैं'

 

उन्होंने कहा, 'अगर पलायन और मौतें नाम काटे जाने के पीछे की वजहें हैं तो ज्यादा संख्या में पुरुषों के नाम काटे जाने चाहिए थे, क्योंकि महिलाएं शायद ही कभी अकेले राज्य से बाहर पलायन करती हैं और महिलाओं में मृत्यु दर भी ज्यादा नहीं है' उन्होंने कहा, 'हम शायद भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के इतिहास में वोटिंग के अधिकार से वंचित करने की सबसे बड़ी कवायद देख रहे हैं' उन्होंने दावा किया कि इससे 1 करोड़ लोगों को बाहर किया जाएगा।

 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने योगेंद्र यादव की तारीफ भी की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर ध्यान दिलाने के लिए योगेंद्र यादव का शुक्रिया अदा किया। साथ ही जिंदा व्यक्ति को मृत व्यक्ति घोषित करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर अनजाने में कोई गलती हुई हो तो उसमें सुधार किया जा सकता है, क्योंकि यह अभी ड्राफ्ट है।'

 

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क्या है बिहार का SIR?

बिहार में वोटर लिस्ट का रिवीजन किया जा रहा है। यह प्रक्रिया 24 जून से 25 जुलाई तक चली। SIR की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 1 अगस्त को चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी किया था। इसमें बिहार में 7.89 करोड़ पात्र वोटर्स में 65.63 लाख का नाम वोटर लिस्ट से बाहर हो गया था। अब बिहार में 7.24 करोड़ वोटर्स ही योग्य हैं।

 

चुनाव आयोग ने बताया था कि जिन 65.63 लाख लोगों के नाम इससे हटे हैं, उनमें से 22.34 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 36.28 लाख वोटरों ने अपना पता बदल लिया है। जबकि 7 लाख से ज्यादा वोटर ऐसे हैं, जिनके नाम दो जगह पाए गए हैं, इसलिए उनका नाम हटा दिया गया है।

 

हालांकि, यह अभी ड्राफ्ट है। 1 सितंबर तक इसे लेकर दावे-आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि किसी भी आपत्ति को 7 दिन के भीतर निपटाना होगा। इसके बाद फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।

 

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