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केजरीवाल के हाथ से MCD झटकने की तैयारी? समझिए कैसे पलट गया पूरा मामला

दिल्ली चुनाव में BJP की जीत का असर दिल्ली नगर निगम पर भी दिख सकता है। फिलहाल AAP का मेयर है लेकिन अप्रैल में होने वाले चुनाव में मामला पलट सकता है। समझिए पूरी गणित।

arvind kejriwal and mcd headquarters

अरविंद केजरीवाल और MCD मुख्यालय, Photo Credit: PTI

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत ने दिल्ली की राजनीतिक दिशा बदल दी है। अभी तक जहां आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली सरकार से लेकर दिल्ली नगर निगम (MCD) तक हावी दिख रही थी, वहीं अब मामला पलटता दिख रहा है। विधानसभा चुनाव में 70 में से 48 सीटें जीतने वाली बीजेपी अब सरकार बनाने वाली है लेकिन उसका अगला निशाना दिल्ली नगर निगम है। तीन बार मेयर चुनाव में जोर लगाने के बावजूद हार जाने वाली BJP को अब उम्मीद दिख रही है। दिल्ली की सत्ता गंवा चुकी AAP हर हाल में MCD में खुद को बरकरार रखना चाहेगी। पिछले दो चुनावों में बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे इसमें कामयाबी भी मिली है। हालांकि, अब स्थिति बदल गई है। वजह है कि दिल्ली की सत्ता पर BJP काबिज हो गई है, उसके विधायकों की संख्या बढ़ गई है और कई पार्षदों ने पाला भी बदल लिया है।

 

अब तक के तीन चुनावों में हर बार AAP ने बाजी मारी थी। दो बार शैली ओबेरॉय मेयर बनीं तो एक बार महेश खिंची मेयर चुने गए जो मौजूदा समय में मेयर हैं। अब मेयर के चुनाव अप्रैल महीने में होने हैं। तब तक सरकार का गठन हो जाना है। हालांकि, चर्चाएं हैं कि बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव लाकर अप्रैल से पहले ही बाजी पलटने की कोशिश कर सकती है। वहीं, AAP को उम्मीद है कि वह सत्ता खोने के बाद एमसीडी में काम कर पाएगी। अब देखना यह है कि नंबर किस तरफ जाते हैं और दिल्ली नगर निगम का अगला मेयर किसका बनता है। इससे पहले समझ लीजिए कि दिल्ली में MCD चुनाव का पूरा गणित क्या है।

कैसे होती है वोटिंग?

 

दिल्ली का मेयर चुनने के लिए एमसीडी के 250 पार्षद, 7 लोकसभा सांसद, 3 राज्यसभा सांसद और हर साल 14-14 विधायक वोट डालते हैं। यानी कुल संख्या होती है 274 और मेयर बनाने के लिए 138 वोट की जरूरत होती है। कुल 11 सीटें खाली हैं तो मेयर के चुनाव में कुल वोट 263 होंगे और 132 वोट लाकर ही मेयर का चुनाव जीता जा सकेगा।

 

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अभी तक AAP के पास पार्षदों की ज्यादा संख्या के साथ-साथ विधायकों की भी ज्यादा संख्या थी, इसके चलते वह दो बार चुनाव जीतने में कामयाब हुई। हालांकि, विधानसभा चुनाव से पहले कई पार्षदों के पाला बदलने और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 48 विधायकों के जीतने के बाद स्थिति बदल गई है। इसके अलावा AAP के तीन राज्यसभा सांसदों में से एक स्वाति मालीवाल अब AAP के विरोध में हैं, ऐसे में उनका वोट भी अब अलग दिशा में जा सकता है।

कैसे तय होते हैं 14 विधायक?

 

मेयर के चुनाव में कौन 14 विधायक वोट डालेंगे इसका फैसला विधानसभा के स्पीकर करते हैं। अब जाहिर है कि सत्ता बीजेपी के पास होगी तो स्पीकर भी उसी का होगा। यही स्पीकर इन 14 विधायकों को नामित करता है जो मेयर चुनाव में वोट डालते हैं। अब तक देखा गया कि स्पीकर ने 13 या 14 विधायक AAP के ही नॉमिनेट किए क्योंकि BJP के पास सिर्फ 8 ही विधायक थे। अब बीजेपी के पास 48 विधायक होने के चलते यह तय है कि नामित किए जाने वाले विधायकों में उसके विधायक ज्यादा होंगे।

 

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मौजूदा स्थिति क्या है?

 

पार्षदों के लगातार पाला बदलने के चलते AAP के 134 पार्षदों की संख्या 122 पर आ गई है। वहीं, BJP के 104 पार्षदों की संख्या 120 तक पहुंच गई है। इस विधानसभा चुनाव में जो विधायक जीते हैं उसमें से 10 ऐसे हैं जो पार्षद थे। बीजेपी के 7 तो AAP के 3 पार्षद विधायक बन गए हैं। यानी ये 10 सीटें अब खाली हो गई हैं। इसके हिसाब से देखें तो बीजेपी की संख्या 110 पर आ जाएगी और AAP की संख्या 119 पर आ जाएगी। यहां तक तो AAP आगे है लेकिन लोकसभा के सातों सांसद बीजेपी के हैं। वहीं राज्यसभा के दो सांसद तो AAP के पक्ष में हैं। इनकी संख्या जोड़ें तो AAP की संख्या पहुंचती है 121 और  BJP 117 तक पहुंच जाती है। यहां पर निर्णायक होगी विधायकों की संख्या।

कौन-कौन बन गया विधायक?

 

BJP की ओर से पार्षद गजेंद्र दराल मुंडका से, शिखा रॉय ग्रेटर कैलाश से, रविंदर सिंह नेगी विनोद नगर से, चंदन चौधरी संगम विहार, नीलम पहलवान नजफगढ़ से, उमंग बजाज राजेंद्र नगर से, रेखा गुप्ता शालीमार बाग से और पूनम शर्मा वजीरपुर से विधायक बन गई हैं।

पिछले मेयर चुनाव में क्या हुआ था?

 

आखिरी मेयर चुनाव नवंबर 2024 में हुआ था। जीत तो AAP को मिली थी लेकिन क्रॉस वोटिंग के चलते AAP को वोट उम्मीद से कम मिले थे। तब AAP के पास कुल 127 पार्षद, 13 विधायक और 3 राज्यसभा सांसदों को मिलाकर कुल 143 वोट थे। हालांकि, वोट उसे 133 ही मिले। AAP के 8 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की थी और स्वाति मालीवाल वोट डालने नहीं आईं। यह सब तब हुआ था जब कांग्रेस के दो पार्षद AAP में शामिल हो गए थे। BJP के पास कुल 122 वोट ही थे लेकिन तब उसे 130 वोट मिल गए थे।

 

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2022 में कौन कितनी सीटें जीता था?

 

दिल्ली नगर निगम में 2022 से पहले लगातार तीन बार से बीजेपी चुनाव जीतती आई थी। 2022 के चुनाव में AAP ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी और 250 में से 134 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, बीजेपी 104 सीट जीत पाई थी। कांग्रेस को कुल वार्ड में जीत मिली और 3 निर्दलीय पार्षद चुनकर आए थे। दिल्ली नगर निगम में दल-बदल कानून लागू नहीं होता है जिसके चलते पार्षद लगातार पाला बदलते रहे हैं। अब तक के कार्यकाल में कुछ पार्षद ऐसे भी रहे हैं जो कई बार पार्टी बदल चुके हैं। इसके अलावा, हर बार कुछ पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग भी की है।

 

दिल्ली में एमसीडी का एक कार्यकाल 5 साल का होता है लेकिन मेयर का कार्यकाल एक ही साल का होता है। यानी 5 साल में 5 मेयर बनते हैं। पांचों बार अलग-अलग कैटगरी के लिए सीट आरक्षित रहती है। पहली बार महिला के लिए, दूसरी बार जनरल के लिए, तीसरे साल अनुसूचित जाति के लिए और आखिरी के दो साल जनरल कैटगरी का मेयर होता है। इसी के तहत फरवरी 2023 में शैली ओबेरॉय पहली बार महिला कैटगरी से मेयर बनीं। दूसरी बार अप्रैल 2023 में शैली ओबेरॉय ही सामान्य श्रेणी से मेयर बनीं। तीसरी बार AAP के महेश खिंची अनुसूचित जाति से मेयर बने। अब 2025 और 2026 में होने वाले चुनाव में सामान्य कैटगरी के मेयर चुने जाने हैं।

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