संसद भवन के पास एक मस्जिद में मीटिंग होती है। इस मीटिंग में समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव रहती हैं। साथ में समाजवादी पार्टी के कई सांसद और नेता भी इसमें रहते हैं। इस मीटिंग को लेकर कई दिन से बवाल चल रहा है। अब बरेली के ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता को चिट्ठी लिखकर सपा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को दिल्ली की मस्जिद के इमाम पद से हटाने की मांग की है।
बरेलवी ने अपनी चिट्ठी में कहा कि मस्जिद के अंदर समाजवादी पार्टी की मीटिंग करके नदवी ने मस्जिद की पवित्रता का उल्लंघन किया है और मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा, 'मस्जिद के अंदर अल्लाब की इबादत के अलावा और कोई काम नहीं हो सकता।'
क्या है पूरा मामला?
22 जुलाई को संसद भवन के पास बनी मस्जिद में एक बैठक हुई थी। यह मीटिंग मौलाना नदवी ने करवाई थी। मौलाना नदवी उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद हैं।
इस मीटिंग में अखिलेश यादव, डिंपल यादव, जिया उर रहमान बर्क और धर्मेंद्र यादव समेत समाजवादी पार्टी के कई सांसद मौजूद थे।
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मस्जिद में मीटिंग पर बवाल क्यों?
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलान बरेलवी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चिट्ठी में लिखा, 'नापाक लोग मस्जिद के अंदर नहीं आ सकते। केवल वही लोग मस्जिद में आ सकते हैं, जो पाक हैं।'
उन्होंने आगे कहा कि मस्जिद के अंदर महिलाओं के आने की मनाही है लेकिन दो महिलाएं मस्जिद के अंदर आईं और बैठक में भी शामिल हुईं। उन्होंने कहा, 'मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया गया। इस बैठक के जरिए यह राजनीतिक संदेश दिया या कि समाजवादी पार्टी मुसलमानों की हमदर्द है।'
बरेलवी ने कहा, 'मैं आपसे मांग करता हूं कि मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को इमामत से हटा दिया जाए और सूफा विचारधारा वाले किसी ऐसे व्यक्ति को इमाम बनाया जाए जो राजनीतिक न हो।'

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लोकसभा से अयोग्य घोषित करने की मांग भी
इससे पहले बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखकर मौलाना नदवी को लोकसभा से अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने मस्जिद के इमाम के तौर पर 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' का आरोप लगाते हुए कहा था कि वक्फ बोर्ड से सैलरी ले रहे हैं।
उन्होंने कहा था कि रामपुर से सांसद मौलाना नदवी मस्जिद के इमाम हैं और हर महीने वक्फ बोर्ड से 18 हजार रुपये की तनख्वाह ले रहे हैं। उन्होंने कहा था, 'संविधान के अनुच्छेद 102(1)(a) के तहत, नदवी के पास जो इमाम का पद है, उसे 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' माना जा सकता है, क्योंकि इसे दिल्ली सरकार के एक निकाय की तरफ से वित्तीय मदद दी जाती है।'
उन्होंने दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता को भी चिट्ठी लिखी थी और नदवी को मस्जिद के इमाम पद से तुरंत हटाने की मांग की थी। उन्होंने नदवी पर मस्जिद को 'निजी संपत्ति' के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।
सिद्दीकी ने कहा था कि 22 जुलाई को मस्जिद के अंदर बैठक हुई। चाय-नाश्ता भी किया गया, जो इस्लाम के नियमों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है, इसके बावजूद डिंपल यादव वहां गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि नदवी मस्जिद में समाजवादी पार्टी का प्रचार कर रहे हैं, जो एक इमाम के तौर पर नहीं किया जा सकता।
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अखिलेश-डिंपल का क्या है कहना?
इन आरोपों को अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही है, ताकि असल मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके।
डिंपल यादव ने कहा, 'हमारे सांसद इमाम नदवी जी ने हमें आमंत्रित किया था, इसलिए हम गए थे। बीजेपी गलत सूचना फैला रही है। हम वहां किसी बैठक में नहीं गए थे। बीजेपी असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह सब कह रही है। सरकार जनता से जुड़े मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती।'
अखिलेश यादव ने भी पलटवार करते हुए बीजेपी पर राजनीतिक लाभ के लिए धर्म को हथियार बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ये धार्मिक लोग मेरे साथ खड़े हैं। मैं बस एक ही बात जानता हूं कि आस्था लोगों को जोड़ती है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो। कोई भी आस्था जो लोगों को एक साथ लाती है, हम उसके साथ खड़े हैं। यही बात बीजेपी को परेशान करती है। वह एकता नहीं चाहती, वह चाहती है कि दूरियां बनी रहे।'