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'गलवेशिया, तरवेशिया', कहां-कहां जा रहे मोदी, भगवंत मान का पीएम पर तंज

भगवंत मान ने मीडिया से बात करते हुए न सिर्फ पीएम मोदी पर तंज कसा बल्कि उन्होंने हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज पर भी निशाना साधा।

Bhagwant Mann । Photo Credit: PTI

भगवंत मान । Photo Credit: PTI

सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर पर हरियाणा और पंजाब के बीच लंबे समय से चली आ रही पानी की लड़ाई एक बार फिर राजनीतिक रंग लेने लगी है। हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर लगाए गए 'पाकिस्तान प्रेम' के तंज के जवाब में भगवंत मान ने तीखा पलटवार किया है। मान ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'अनिल विज कह रहे हैं कि मैं पाकिस्तान का प्रेमी हूं। फिर आप ट्रंप से कहकर इंडस वॉटर ट्रीटी (Indus Water Treaty) ही रद्द करवा दो। उस संधि को रद्द करवा दोगे तो भारत को चिनाब और रावी से 23 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी मिलेगा।’

 

मुख्यमंत्री ने इस दौरान तर्क दिया कि पंजाब और हरियाणा के बीच SYL का झगड़ा महज 1–2 MAF पानी का है, लेकिन अगर इंडस संधि रद्द होती है और पाकिस्तान जाने वाला पानी भारत को मिलने लगे तो यह विवाद ही खत्म हो जाएगा। मान ने तंज भरे अंदाज में कहा, 'इतना पानी आएगा तो पंजाब क्या करेगा? चाहे हमें इसे अरब सागर में डालना पड़े, हम तो संभाल ही नहीं पाएंगे।'

 

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पीएम मोदी पर भी तंज

सीएम मान ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा, 'मोदी जी मैग्नीशिया, गलवेशिया, तरवेशिया पता नहीं कहां-कहां जाकर सम्मानित हो रहे हैं — वहां जहां की आबादी मात्र 10 हजार है। वे 140 करोड़ की आबादी वाले देश में तो रह नहीं रहे हैं।’  उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'हमारे यहां तो 10 हजार लोग सिर्फ JCB मशीन चलती देख लें, तो भी देखने आ जाते हैं।’

SYL विवाद क्या है?

SYL नहर का मुद्दा हरियाणा और पंजाब के बीच दशकों से विवाद का कारण बना हुआ है। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद उसे सतलुज नदी से पानी का हिस्सा मिलने का अधिकार दिया गया था। इसी उद्देश्य से SYL नहर बनाई जानी थी ताकि हरियाणा तक पानी पहुंच सके। लेकिन पंजाब में इसके निर्माण का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है और कई बार राजनीतिक, सामाजिक और किसान आंदोलनों के चलते इसका विरोध होता रहा है।

 

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अब जब चुनावी माहौल धीरे-धीरे गर्म होने लगा है, इस मुद्दे को एक बार फिर उठाया जा रहा है और बयानबाज़ी तेज हो गई है। दोनों राज्यों के नेता इसे जनहित से जोड़ रहे हैं, लेकिन असल में यह मसला अब राजनीतिक हो चुका है।

 

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