उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें से 7 पर एनडीए गठबंधन ने बपंर जीत हासिल की। यूपी उपचुनाव में सबसे चर्चित अगर कोई सीट रही तो वो है कुंदरकी विधानसभा सीट। यहां 31 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत हासिल की है।
कुंदरकी विधानसभा सीट पर भाजपा के रामवीर सिंह ने समाजवादी पार्टी (सपा) के हाजी रिजवान को करारी हार दी। हैरानी इस बात की है कि मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदू कैंडिटेट रामवीर को 1, 44, 791 वोट हासिल हुए। रामवीर ने मुस्लिम समुदाय के 11 प्रतिनिधियों को पराजित किया। भाजपा उम्मीदवार की जीत ऐसे सीट पर हुई है जहां मुस्लिमों की आबादी 65 फीसदी है।
कौन हैं ठाकुर रामवीर सिंह?
कुंदरकी में इतिहास रचने वाले ठाकुर रामवीर सिंह आखिर हैं कौन? छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू करने वाले रामवीर सिंह हमेशा से भाजपा से ही जुड़े रहे। रामवीर के बड़े भाई जयवीर सिंह करीब 35 साल तक दौलारी के ग्राम प्रधान भी रहे।
1993 से भाजपा में एक्टिव रामवीर
रामवीर सिंह ठाकुर वर्ष 1993 से भाजपा में एक्टिव हैं। 1999 में उन्हें किसान मोर्चा का जिला महामंत्री का पद सौंपा गया। उनकी पत्नी संतोष देवी को 2001 में ब्लॉक प्रमुख बनाया गया। 2005 में रामवीर को भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य चुना गया फिर इसके 2 साल बाद 2007 में उन्होंने भाजपा की तरफ से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने मुरादाबाद देहात विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उनकी किस्मत नहीं चमकी और वह करीब 3 हजार वोटों से हार गए। चुनाव हारने के बावजूद मुंडापांडे ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी उनके परिवार के पास ही रही। 2008 में परिसीमन हुआ और मुंडापांडे क्षेत्र मुरादाबाद देहात विधानसभा से हटकर कुंदरकी विधानसभा सीट का हिस्सा बनी।
ऐसा नहीं है कि रामवीर इस सीट से जीतने के बाद ही प्रमुख चेहरा बनें। वह हमेशा से कुंदरकी में एक्टिव रहे। 2012 और 2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें हाजी रिजवान से हार का सामना करना पड़ा था। 2022 में भाजपा ने रामवीर को टिकट नहीं दिया इसके बावजूद वह पार्टी से जुड़े रहे। 2024 के उपचुनाव में रामवीर सिंह पर एक बार फिर से बीजेपी ने भरोसा जताया और तस्वीर आप सभी के सामने है।
नमाजी टोपी ने दिलाई जीत?
चुनाव प्रचार के दौरान रामवीर सिंह का एक वीडियो भी बहुत पसंद किया गया। इस वीडियो में मुस्लिमों को रामवीर को नमाजी टोपी पहनाते हुए देखा जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय ने रामवीर को अगले ढाई साल तक खुद को साबित करने का मौका दिया है।