छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पंडरिया के परसवारा ग्राम पंचायत में महिला सरपंच समेत 6 महिला पंचों ने जीत हासिल की। जीत के बाद जब शपथ ग्रहण की बात आई तो एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली।
शपथ ग्रहण समारोह में महिला पंचों की जगह उनके पतियों को शपथ दिलाई गई। इस घटना के बाद पंचायती राज व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो रहे है। ऐसी वीडियो के सामने आने पर जिला पंचायत सीईओ अजय त्रिपाठी ने बुधवार को पंचायत सचिव प्रणवीर सिंह ठाकुर को निलंबिंत कर दिया है और मामले की जांच की जा रही है।
यह भी पढ़ें: तेलंगाना में BJP MLC प्रत्याशी की जीत, कौन हैं चिन्नामाइल अंजी रेड्डी?
'पंचायत पति' प्रथा कब होगी खत्म?
अगर आपने ओटीटी सीरीज पंचायत देखी होगी तो उसमें 'प्रधान जी' का रोल भी देखा ही होगा। भले ही उनकी पत्नी आधिकारिक पद पर हों लेकिन उनके पति ही सारी डोर थामे हुए हैं जो भारत की पंचायती राज व्यवस्था की वास्तविकता को दर्शाता है। देश भर में स्थानीय निकायों में जो पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं वहां अक्सर उनक पति ही असली अधिकार रखते हैं। इन्हें आमतौर पर 'पंचायत पति' कहा जाता है।
प्रथा को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को दी गई सिफारिशें
यह प्रथा महिलाओं के सशक्तिकरण और पंचायत राज व्यवस्था के उद्देश्यों के बिल्कुल विपरीत है। हालांकि, इस समस्या के समाधान के लिए, ग्रामीण विकास और पंचायती राज से सबंधित संसद की स्थायी समिति ने 2023 में कुछ कुछ सिफारिशें पेश की थीं। इन सिफारिशों में मुख्य रूप से महिला सरपंचों को उनके कार्यों के लिए आवश्यक ट्रेनिंग देने पर जोर दिया गया था, ताकि वे आत्मनिर्भर होकर अपने कर्तव्यों सही तरीके से पालन कर सकें।
यह भी पढ़ें: अनंत अंबानी की तरह 'वनतारा' शुरू करना है? नियम-कानून समझिए
क्या हैं सिफारिशें?
वार्ड स्तर पर समितियों का गठन: इससे स्थानीय स्तर पर निगरानी और समर्थन सुनिश्चित हो सके।
महिला लोकपाल (ओम्बुड्समैन) की नियुक्ति: इससे महिला प्रतिनिधियों की शिकायतों का तुरंत समाधान हो सके।
ग्राम सभा में महिला पंचायत प्रधान का सार्वजनिक शपथ ग्रहण समारोह: इससे समुदाय में उनकी भूमिका और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़े।
महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करना: स्थानीय प्रशासन और समुदाय के माध्यम से महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देना।
इन सिफारिशों का उद्देश्य महिला पंचायत प्रतिनिधियों को सशक्त बनाना और 'पंचायत पति' प्रथा को समाप्त करना है, ताकि पंचायत राज व्यवस्था में महिलाओं की वास्तविक भागीदारी सुनिश्चित हो सके।